इंजीनियर राशिद को आगे कर बीजेपी जीतेगी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव! क्यों लग रहे 'प्रॉक्सी' के आरोप?

अभिषेक शर्मा

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Engineer Rashid in J&K elections
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक चर्चा इंजीनियर राशिद की हो रही है.

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इंजीनियर राशिद की पार्टी प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है.

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इंजीनियर राशिद पर लग रहे हैं बीजेपी के 'प्रॉक्सी' होने के आरोप

Jammu Kashmir Elections: जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सहित अन्य दल चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं लेकिन सबसे अधिक चर्चा इंजीनियर राशिद की हो रही है जिनकी अवामी इत्तिहाद पार्टी और प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों का गठबंधन भी चुनावी मैदान में है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में भारत सरकार ने जमात ए इस्लामी पर टेरर फंडिंग और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पांच साल की पाबंदी लगा दी थी.

इंजीनियर राशिद बारामूला सीट से लोकसभा सांसद हैं. इंजीनियर राशिद की छवि अलगाववाद समर्थक की रही है और दक्षिण कश्मीर में बेहद लोकप्रिय होने की वजह से बहुत पहले से चर्चा में रहे हैं. इनकी लोकप्रियता तब और बढ़ गई थी जब लोकसभा चुनाव में उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुला को दो लाख से अधिक वोटों से चुनाव हराया था. फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं और जमात ए इस्लामी के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में अपनी पार्टी अवामी इत्तिहाद के टिकट पर उम्मीदवार भी उतार रहे हैं.

यह सब करते देख कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि यह सब कुछ भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर हो रहा है. इंजीनियर राशिद को लेकर बीजेपी हमेंशा ही आक्रामक रही है. कई गंभीर धाराओं में इंजीनियर राशिद पर केस लगाए गए थे, जिसके बाद उनको जेल जाना पड़ा था. जिस इंजीनियर राशिद पर बीजेपी अलगाववादी होने और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगाती थी, आज उन्हें खुलेआम पार्टी बनाने, फंड एकत्रित करने और चुनाव लड़ने की कानूनी सुविधाएं जो अचानक से मिली, उसे देखते हुए पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने इंजीनियर राशिद पर बीजेपी का प्रॉक्सी होने के आरोप लगा दिए.

इंजीनियर राशिद उन इलाकों में लोकप्रिय, जहां पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस की जड़े थीं

इंजीनियर राशिद मूल रूप से दक्षिण कश्मीर के इलाकों में खासे लोकप्रिय हैं. इंजीनियर राशिद और उनके गठबंधन की साथी जमात ए इस्लामी दोनों के राजनीतिक विचार एक जैसे हैं. दोनों ही कश्मीर समस्या के समाधान के लिए भारत, पाकिस्तान और कश्मीरियों के साथ सामूहिक बातचीत पर जोर देते हैं. कश्मीर के सोपोर, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में कभी पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस का वोट बैंक हुआ करता था लेकिन इस वोट बैंक में सेंध लगा दी है इंजीनियर राशिद ने. पीडीपी जिस तरह के सॉफ्ट अलगाववाद को सपोर्ट करती थी, उससे कहीं अधिक अलगाववाद विचारधारा की बात इंजीनियर राशिद करते हैं और इस हार्डकोर अलगाववाद को दक्षिण कश्मीर में लोग सपोर्ट करते हैं, जिसकी वजह से अब इंजीनियर राशिद पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस जैसी पार्टियों के विकल्प बनकर उभरे हैं.

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बीजेपी अब क्यों नहीं करा रही इंजीनियर राशिद और जमात ए इस्लामी की जांच?

पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से ये आरोप लगाए गए हैं कि देशभर में राजनेताओं और पार्टियों के फंडिंग, निजी व्यवहार तक की गोपनीय जांच कराने वाली बीजेपी सरकार अब क्यों चुप है. केंद्र सरकार अब क्यों नहीं पता लगा रही है कि इंजीनियर राशिद के पास पार्टी बनाने, चुनाव लड़ाने पैसे कहां से आ रहे हैं. इनके फंड का स्रौर्स क्या है. जमात ए इस्लामी तो प्रतिबंधित संगठन है, इसलिए वह सीधे तौर पर तो उम्मीदवार नहीं उतार रहा है लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों और इंजीनियर राशिद की पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन कर रहा है. ऐसे में जमात की गतिविधियों की जांच क्यों नहीं हो रही. इन फैक्ट के आधार पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने बीजेपी पर आरोप लगाए हैं कि वे इंजीनियर राशिद का इस्तेमाल उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में कर रहे हैं.

कश्मीर में बीजेपी के पास उम्मीदवार नहीं, वह जम्मू तक सीमित

जम्मू कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटे हैं. इनमें से 47 सीटें कश्मीर घाटी में हैं. 43 सीटें जम्मू रीजन में हैं. बीजेपी की असली ताक़त जम्मू क्षेत्र में मानी जाती है. लेकिन कश्मीर में कमजोर होने की वजह से बीजेपी के पास यहां की 47 सीटों में से सिर्फ 19 सीटों पर ही चुनाव लड़ाने उम्मीदवार मिले हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का स्पष्ट मानना है कि जहां पर बीजेपी कमजोर है, वहां पर बीजेपी की कोशिश रहेगी कि कश्मीर घाटी में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ने से रोका जाए. इसलिए इंजीनियर राशिद और जमात ए इस्लामी जैसे संगठनों को पर्दे के पीछे से सपोर्ट किया जा रहा है, जिससे वे पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस को कश्मीर में नुकसान पहुंचा सकें. अब राजनीतिक विश्लेषकों के इस अनुमान में कितनी सच्चाई है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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