महाराष्ट्र की राजनीति में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों को हर पार्टी क्यों लाना चाहती है अपने पाले में?

रूपक प्रियदर्शी

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Shivaji Maharaj statue
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों को लेकर हर पार्टी हुई सक्रिय.

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महाविकास अघाड़ी हो या महायुति दोनों ही गठबंधन में महत्वपूर्ण बने हैं शिवाजी के वंशज.

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक से छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों की पूछ-परख बढ़ गई है. कांग्रेस हो या बीजेपी, एनसीपी हो या शिवसेना हर पार्टी छत्रपति शिवाजी महाराज के वर्तमान वंशजों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव से पहले सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी की चूर-चूर हुई मूर्ति ने बीजेपी और महायुति को डराया हुआ है. छत्रपति शिवाजी राजे का अपमान हुआ. गिरने वाली मूर्ति वही थी जिसे गाजे-बाजे के साथ पीएम मोदी ने लगवाया था. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एक लड़ाई छत्रपति के सम्मान और अपमान के बीच भी है. 

मोदी और बीजेपी ने छत्रपति शिवाजी को अपना बनाने के बड़े जतन किए थे. 2016 में छत्रपति के वंशज संभाजी राजे छत्रपति को राज्यसभा का सांसद यूं ही नहीं बनाया था. छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज और कोल्हापुर के राजर्षि छत्रपति शाहू के परपोते संभाजी राजे कोल्हापुर के राज परिवार के उत्तराधिकारी हैं.

हो सकता है कि एक बार राज्यसभा भेजकर बीजेपी ने मान लिया हो कि छत्रपति का सम्मान हो गया या ये भी समझ लिया हो कि इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला. 2022 में संभाजी राजे का राज्यसभा का 6 साल का टर्म पूरा हुआ तो बीजेपी ने ड्रॉप कर दिया. संभाजी ज्यादा दिन बीजेपी में टिके नहीं. कोई और पार्टी भी ज्वाइन नहीं की. अब संभाजी राजे छत्रपति ने बड़ा खेल रचा है जिससे महायुति और एमवीए दोनों के लिए खतरे की घंटी बज रही है.

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संभाजी राजे ने बनाई अपनी पार्टी

महाराष्ट्र में छत्रपति के वंशज राजनीतिक रूप से अलग-अलग पार्टियों में बंटकर अपनी पूछ बनाए हुए हैं. 
कॉमन बस ये है कि वंशज का राजनीतिक खेल अब बीजेपी के खिलाफ जाता है. संभाजी राजे बीजेपी या कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना-किसी के साथ नहीं हैं. उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई महाराष्ट्र स्वराज्य पक्ष. 

छत्रपति संभाजी के पिता हैं छत्रपति शाहू महाराज जो 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कोल्हापुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते. कोल्हापुर सीट करीब 20 साल बाद कांग्रेस के लिए जीत कर लाए. पिता को जिताने के लिए संभाजी राजे ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया लेकिन पार्टी से नहीं जुड़े. इसी परिवार से जुड़े समरजीत सिंह घाटगे पहले ही बीजेपी छोड़कर शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो चुके हैं. 

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बीजेपी को हुआ शिवाजी की मूर्ति के गिरने की घटना से राजनीतिक नुकसान

शिवाजी की मूर्ति गिरने के घटना के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने बीजेपी के खिलाफ जूता मारो अभियान चलाया था. तब शिवाजी के सम्मान में शाहू महाराज नंगे पांव शरद पवार को सहारा देकर गेटवे ऑफ इंडिया तक पैदल मार्च करने निकल पड़े. पदयात्रा करते शरद पवार और शाहू महाराज की तस्वीरें खूब वायरल हुई थीं. शाहू महाराज कांग्रेस के सांसद हैं तो महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के साथ रहेंगे लेकिन उनके बेटे युवराज संभाजी राजे नया चक्रव्यूह बुन रहे हैं. 

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महाराष्ट्र में छोटी पार्टियाें की पूछ-परख बढ़ी

महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां कई छोटी पार्टियां के बड़े नेता एक्टिव हैं. छोटी पार्टियों के इन बड़े नेताओं की राजनीति की खासियत ये है कि ये कभी किसी के साथ परमानेंट मोहमाया में नहीं फंसते. हर चुनाव में अपनी सुविधा के अनुसार गठबंधन बदलते रहे. कभी कांग्रेस के साथ कभी शिवसेना के साथ तो कभी बीजेपी के साथ.स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष के राजू शेट्टी, प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू कुडू ऐसे ही नेता हैं. 

अलग-अलग इलाकों में जातियों, समुदायों के बीच असरदार हैं इसलिए हर चुनाव में डिमांड बढ़ जाती है. इस बार खेल कुछ ऐसा है कि किसी की जरूरत नहीं बन रहे हैं. मिलकर अपना अस्तित्व बनाकर दोनों बड़े गठबंधनों को डरा दिया है. संभाजी राजे छत्रपति ने राजू शेट्टी, बच्चू कुडू को लेकर एक नया गठबंधन परिवर्तन महाशक्ति बनाया है. तैयारी है मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और वंचित बहुजन अघाड़ी यानी वीबीए के प्रकाश आंबेडकर को भी साथ लिया जाए. बस जिनसे दूरी रखनी है वो हैं महायुति और एमवीए.

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