क्या हम सच में सुरक्षित हैं? दिल्ली-NCR में पब्लिक सेफ्टी के हालात बदतर, इंडिया टुडे सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे

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देश में पब्लिक सेफ्टी के बुरे हाल हैं, सबसे खराब हालत उत्तर प्रदेश के हैं.
देश में पब्लिक सेफ्टी के बुरे हाल हैं, सबसे खराब हालत उत्तर प्रदेश के हैं.
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Safest State in India: सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) किसी भी समाज की बुनियादी जरूरतों में से एक होती है. यह सिर्फ अपराध के आंकड़ों तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें यह भी शामिल होता है कि आम लोग खुद को अपने ही शहर, मोहल्ले और सार्वजनिक स्थानों पर कितना सुरक्षित महसूस करते हैं. इंडिया टुडे के "ग्रोस डोमेस्टिक बिहेवियर" (GDB) सर्वे 2024 ने इस मुद्दे पर गहराई से नजर डाली. चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं...

कैसे हुआ सर्वे? 

इंडिया टुडे ने "How India Lives" के साथ मिलकर यह सर्वे किया, जिसमें 21 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के कुल 9,188 लोगों से सुरक्षा, लैंगिक सोच और भेदभाव से जुड़े सवाल पूछे गए. इस सर्वे में लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि वे अपने इलाके में सुरक्षा को लेकर क्या सोचते हैं, सार्वजनिक परिवहन में वे कितने सुरक्षित महसूस करते हैं, और महिलाओं के लिए हालात कैसे हैं?

कौन-कौन से राज्य सुरक्षित और असुरक्षित?

सर्वे के नतीजे बताते हैं कि केरल, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा सार्वजनिक सुरक्षा के मामले में सबसे आगे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की स्थिति सबसे खराब है. दिल्ली-NCR में भी पब्लिक सेफ्टी को लेकर चिंताजनक हालात सामने आए हैं. 21 राज्यों और एक केंद्र शासित राज्य में दिल्ली 10वें नंबर पर है.

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आइए बताते हैं राज्यों में सुरक्षा का क्या हाल है...

# राज्य का नाम सार्वजनिक सुरक्षा रैंक
1 केरल सबसे सुरक्षित
2 हिमाचल प्रदेश सुरक्षित
3 ओडिशा सुरक्षित
4 पश्चिम बंगाल औसत
5 महाराष्ट्र औसत
6 हरियाणा औसत
7 उत्तराखंड औसत
8 बिहार कमजोर
9 तमिलनाडु औसत
10 दिल्ली-NCR कमजोर
11 झारखंड कमजोर
12 तेलंगाना कमजोर
13 गुजरात कमजोर
14 मध्य प्रदेश बहुत कमजोर
15 असम बहुत कमजोर
16 छत्तीसगढ़ बहुत कमजोर
17 चंडीगढ़ कमजोर
18 आंध्र प्रदेश कमजोर
19 राजस्थान बहुत कमजोर
20 कर्नाटक सबसे कमजोर
21 पंजाब सबसे कमजोर
22 उत्तर प्रदेश सबसे असुरक्षित

दिल्ली-NCR में क्यों बिगड़ रहे हैं हालात: दिल्ली-NCR में बढ़ते अपराध, सार्वजनिक स्थानों पर असुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों ने चिंता बढ़ा दी है. सर्वे में शामिल 62% लोगों ने माना कि उनके क्षेत्र में छेड़छाड़ कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन 44% महिलाओं ने कहा कि वे उत्पीड़न का शिकार हुई हैं.

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पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा कैसी: 86% भारतीयों को सार्वजनिक परिवहन सुरक्षित लगता है, लेकिन राज्यों के अनुसार इसमें भारी अंतर दिखा. महाराष्ट्र में 89% लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुरक्षित मानते हैं, जबकि पंजाब में यह आंकड़ा सिर्फ 73% है.

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यातायात अनुशासन और सार्वजनिक स्थानों पर असुरक्षा: यातायात नियमों के अनुपालन में असम सबसे आगे रहा, जबकि कर्नाटक सबसे पीछे. इसी तरह, आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर भी राज्य अलग-अलग सोच रखते हैं. केरल में 96% लोग आवारा कुत्तों की मौजूदगी नहीं चाहते, जबकि उत्तराखंड के 64% लोग उन्हें अपनाने के लिए तैयार हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर लोगों की धारणाओं में क्षेत्रीय विविधता साफ दिखती है. हिंसक अपराधों की रिपोर्टिंग में भी बड़ा अंतर देखा गया. 84% नागरिकों ने माना कि वे हिंसक अपराधों की रिपोर्ट करेंगे, लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्यादातर मामले पुलिस तक नहीं पहुंचते.

यूपी-दिल्ली समेत इन राज्यों में सुधार की जरूरत

बता दें कि सार्वजनिक सुरक्षा सिर्फ एक सरकारी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है. GDB सर्वे के नतीजे दिखाते हैं कि हालात सुधारने के लिए सरकार, प्रशासन और आम जनता. सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे. खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दिल्ली-NCR जैसे राज्यों में सुधार की सबसे ज्यादा जरूरत है.

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