अब अग्निवीरों पर यू टर्न लेगी सरकार? 25 की बजाय 50% को परमानेंट करने की चर्चा, डिटेल में जानिए

अभिषेक

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Agniveer (File Photo: PTI)
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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सेना में भर्ती को लेकर मोदी सरकार ने साल 2022 में अग्निवीर स्कीम बनाई थी.

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इस स्कीम में 4 साल सर्विस के बाद केवल 25 फीसदी अग्निवीरों को ही सेना में स्थायी किया जाता है जिसपर विरोध हो रहा है.

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कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियां इसे खत्म करने की मांग कर रही है.

Agneepath Scheme: सेना में भर्ती को लेकर मोदी सरकार की फ्लैगशिप स्कीम को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार अग्निपथ स्कीम में बदलाव करने की योजना बना रही है. ये बदलाव उनकी संख्या और उनके मिलने वाले लाभों को लेकर हो सकते है. दरअसल अभी तक अग्निवीर स्कीम के तहत केवल 25 फीसदी ही अग्निवीरों को सेना में परमानेंट रूप से रखा जाता था जिसे लेकर इस स्कीम और सरकार का जमकर विरोध देखने को मिला है. सूत्रों के मुताबिक सरकार अब 25 फीसदी के बजाय 50 फीसदी अग्निवीरों को परमानेंट करने की योजना बना रही है. 

अगर मोदी सरकार इस स्कीम में कोई बदलाव करती है तो इसे मोदी 3.0 का एक और यू-टर्न माना जा रहा है. क्योंकि इससे पहले सरकार वक्फ बिल, लेटेरल इंट्री पर पहले ही यू-टर्न ले चुकी है. न्यू पेंशन स्कीम के विरोध पर सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाई और अब अग्निवीर स्कीम में भी बदलाव को लेकर बातें चल रही है. 

अग्निवीर स्कीम में क्या और क्यों बदलाव कर सकती है सरकार? 

रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अग्निवीरों को स्थायी करने के प्रतिशत को बढ़ाने पर विचार-विमर्श चल रहा है, जिससे अधिक संख्या में अग्निवीरों को अपने शुरुआती चार साल के कार्यकाल के बाद भी पूर्णकालिक सेवा में बने रहने की अनुमति मिल सके. फिलहाल केवल 25 फीसदी अग्निवीरों को 4 साल की सर्विस के बाद बरकरार रखा जाता है जिसे सैन्य विशेषज्ञ अपर्याप्त मानते है. इसी के परिणाम स्वरूप सरकार इसमें बदलाव को लेकर विचार-विमर्श कर रही है. 

एक शीर्ष रक्षा सूत्र ने बताया कि, 'जमीन पर पर्याप्त लड़ाकू ताकत बनाए रखने के लिए एक चौथाई बहुत कम संख्या है. सेना ने सिफारिश की है कि चार साल के अंत में अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़कर लगभग 50 फीसदी होना चाहिए. अपने विभिन्न इकाइयों और संरचनाओं के भीतर किए गए आंतरिक फीडबैक और सर्वेक्षणों के बाद, सेना ने पहले ही संभावित बदलावों को लेकर सरकार को सिफारिशें सौंप दी हैं. 

अब ये भी जान लीजिए क्या है अग्निपथ योजना?

केंद्र सार्क रणे अग्निपथ योजना को 2022 में शुरू किया था. इस स्कीम में युवाओं को चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा का मौका मिलता है. चार साल की सेवा के बाद, 25 फीसदी सैनिकों को बरकरार रखा जाता है और बाकी 75 फीसदी सैनिक बाहर कर दिए जाते है. इनको ग्रेच्युटी और पेंशन लाभ का कोई अधिकार नहीं होगा. सरकार का इस योजना के पीछे तर्क ये है कि, युवाओं को देना में काम करने का मौका मिलेगा और फिर उन्हें एकमुश्त राशि मिलेगी जिससे वो कुछ और काम कर सकते है. इसके साथ ही इन 75 फीसदी सैनिकों को राज्य सरकार और अन्य कई नौकरियों में वेटेज दिया जाएगा. 

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हालांकि अग्निपथ योजना को देशव्यापी विरोध का सामना करना पड़ा, सेना के उम्मीदवारों ने कहा कि 4 साल के बाद सेवा छोड़ने वालों को अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने योजना को वापस लेने की मांग की है, जबकि NDA के सहयोगियों ने इसकी समीक्षा की मांग की है. इसके साथ ही बीजेपी की आंतरिक रिपोर्टों से पता चला है कि पार्टी को हाल के लोकसभा चुनावों में उन क्षेत्रों में झटका लगा है जहां रक्षा कर्मचारियों की संख्या सबसे अधिक है. 

इसके साथ ही इस योजना के पीछे कई विशेषज्ञों का तर्क है कि, यह योजना सरकार के पेंशन बिलों को बचाने के लिए लाई गई है. अग्निपथ योजना में कोई पेंशन प्रावधान नहीं है.  हालांकि अग्निवीरों को 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी बीमा कवर प्रदान किया जाता है. 

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