पवन कल्याण ने खड़ा किया नया बवाल, गृह मंत्री वंगालापुडी अनीता के जरिए CM नायडू पर उठाए सवाल
Vangalapudi Anita: तिरुपति जिले में एक चार साल की बच्ची के साथ रेप और मर्डर भयावह घटना घटी, पूरे आंध्र प्रदेश में हंगामा मचा है. उसी घटना का रेफरेंस देते हुए पवन कल्याण ने अपने चुनाव क्षेत्र पिथापुरम की भरी रैली में गृह मंत्री अनिता को घेर लिया. खुलेआम वॉर्निंग दे दी. कहा कि मैं गृह मंत्री अनिता से कहना चाहता हूं कि आप गृह मंत्री हैं, कृपया गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालिए.
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Vangalapudi Anitha: एक सांसद या विधायक बनने के लिए 25 साल की उम्र होना जरूरी है... लेकिन आंध्र प्रदेश की यंग फेस और क्वीन ऑफ मासेस कही जाने वाली वंगालापुडी अनीता आज महज 40 साल की उम्र में राज्य की गृह मंत्री हैं. देश के किसी राज्य की अकेली गृह मंत्री. वो भी दलित और इतनी यंग. सिर्फ 10 साल में सरकारी स्कूल टीचर से गृह मंत्री बनने की कहानी है वंगालापुडी अनिता की. आज चंद्रबाबू नायडू सरकार में उस पद पर हैं जहां तक पहुंचने में बड़े-बड़े नेताओं के जूते-चप्पल घिस जाते हैं. अनीता ऐसे-ऐसे मंत्रालय संभाल रही हैं, जो डिप्टी सीएम पवन कल्याण को मिले मंत्रालयों से भी ज्यादा पावरफुल हैं. डीजीपी से लेकर आंध्र प्रदेश में पोस्टेड दर्जन भर आईपीएस अफसर सलाम ठोंकते हैं क्योंकि सबकी सुपर बॉस वंगालापुडी अनिता ही हैं. कौन है 10 साल में राजनीति के टॉप पर पहुंचने वाली वंगालापुडी अनिता.
CM नायडू ने अनीता को गृह मंत्रालय सौंपकर चौंकाया
चर्चा जून में तब शुरू हुई जब चंद्रबाबू नायडू ने सबको सरप्राइज देते हुए अनिता को मैडम होम मिनिस्टर बना दिया. अब अचानक चर्चा इसलिए क्योंकि उनकी ही सरकार के डिप्टी सीएम और पावरफुल लीडर पवन कल्याण ने खुल्लम-खुल्ला धमकाया है. वॉर्निंग दी है कि तुमसे न हुआ तो होम मिनिस्ट्री ले लेंगे. पवन कल्याण शायद ये भूल गए कि अनिता जिस सरकार की गृह मंत्री हैं उसी के डिप्टी सीएम वो हैं. डिप्टी सीएम बनने के बाद पवन कल्याण ने आंध्र प्रदेश की कानून-व्यवस्था को चौपट करार दिया. अपने से जूनियर कैबिनेट मंत्री का अपमान कर दिया. एक दलित और महिला मंत्री की काबिलियत पर सवाल उठा दिया. टीडीपी की यंग फेस को अपनी ही सरकार में जलील कर दिया.
पता नहीं जानबूझकर या अचानक गलती से पवन कल्याण महिला सुरक्षा की चिंता करते-करते महिला का अपमान कर बैठे. महिला भी साधारण नहीं है. चंद्रबाबू नायडू की फेवरेट हैं. एक महिला हैं और एक दलित भी. आंध्र की राजनीति में अनिता को चंद्रबाबू नायडू की फेवरेट नेता और राखी सिस्टर माना जाता है. बहुत कम उम्र में टीडीपी में सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ लीं. 2014 में राजनीतिक करियर शुरू किया. 2024 में गृह मंत्री बन गईं. 1984 में जन्म हुआ. कॉलेज की पढ़ाई के बाद टीचर बन गईं. 12 साल टीचर की नौकरी करते हुए correspondence कोर्स से 2009 में एमएससी और एमएड की डिग्री ली. टीचिंग प्रोफेशनल में आगे बढ़ने का इरादा तब बदला जब टीडीपी नेताओं के संपर्क में आईं. 2014 में पहली बार विधानसभा चुनाव का टिकट मिल गया. चुनाव जीत भी गईं. एक टीचर की टीचर बेटी की पूरी लाइफ ने 360 डिग्री यूटर्न ले लिया.
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अनीता ने 10 साल में तय की गृह मंत्री बनने की राह
2014 से 2019 तक चंद्रबाबू नायडू की सरकार थी. अनिता को पहली बार विधायक बनने पर कुछ खास नहीं मिला. 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति तिरुमला देवास्थानम बोर्ड में सदस्य बना दिया. नायडू के इस फैसले ने बैकफायर किया. अनिता का धर्म राजनीतिक मुद्दा बन गया. विरोधियों ने 2014 का एक टीवी इंटरव्यू का वीडियो क्लिप वायरल कर दिया जिसमें उन्होंने हाथ में बाइबिल लिया हुआ था. अनिता दावा करती रहीं कि वो हिंदू ही हैं लेकिन हिंदू या क्रिश्चियन का विवाद इतना बढ़ा अनीता को तिरुपति बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा.
2019 में जगन मोहन रेड्डी की लहर वाला चुनाव हुआ. नायडू ने अनिता की सीट बदल दी. सारे हालात नेगेटिव हुए. चंद्रबाबू नायडू की सरकार भी गई और अनिता भी चुनाव हार गईं. उस दौरान नायडू ने अनिता को टीडीपी महिला विंग की अध्यक्षता सौंप दी. फैसले लेने वाली टीडीपी की सबसे बड़ी बॉडी पोलित ब्यूरो में सदस्य बना दिया. टीडीपी के बुरे दिनों में भी अनिता के अच्छे दिन चलते रहे. 2024 का चुनाव चंद्रबाबू नायडू और अनिता दोनों की राजनीतिक वापसी वाला बना. चंद्रबाबू ने बंपर बहुमत से चुनाव जीता. अनीता 2014 वाली सीट विशाखापत्तनम की पयाकाराओपेटा रिजर्व सीट से लड़कर जीत गईं. दूसरी बार चुनाव जीतने पर वो मिला जो सोचा भी नहीं था. आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य की गृह मंत्री का पद. साथ में मिली लॉ एंड ऑर्डर और क्राइम फ्री स्टेट बनाने की जिम्मेदारी.
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पवन कल्याण का अनीता पर हमला
चंद्रबाबू नायडू ने अनीता को गृह विभाग दिया जो डिप्टी सीएम पवन कल्याण को मिले पंचायत राज और वन पर्यावरण जैसे विभाग के मुकाबले ज्यादा पावरफुल हैं. राज्य सरकारों में आम तौर पर सीएम ही होम मिनिस्टर होते हैं. ताकि पुलिस सीधे सीएम को रिपोर्ट करती रहे. चंद्रबाबू नायडू ने एक न्यू कमर, एक महिला, एक दलित को फुल टाइम गृह मंत्री बनाकर बड़ा प्रयोग किया. अनिता सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री हैं. हो सकता है कि पवन कल्याण को भी यही खल रहा हो कि डिप्टी सीएम तो मैं ठहरा लेकिन कांस्टेबल से लेकर डीजीपी तक सुनते हैं एक लड़की की. ये सब तब शुरू हुआ जब आंध्र के तिरुपति जिले में एक चार साल की बच्ची के साथ रेप और मर्डर भयावह घटना घटी, पूरे आंध्र प्रदेश में हंगामा मचा है. उसी घटना का रेफरेंस देते हुए पवन कल्याण ने अपने चुनाव क्षेत्र पिथापुरम की भरी रैली में गृह मंत्री अनिता को घेर लिया. खुलेआम वॉर्निंग दे दी. कहा कि मैं गृह मंत्री अनिता से कहना चाहता हूं कि आप गृह मंत्री हैं, कृपया गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालिए. अगर मैं गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहा होता तो स्थिति अलग होती. यदि जरुरत पड़ी तो मुझे ये भूमिका संभालने का अधिकार है.
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पवन कल्याण की चेतावनी और अनीता का शांत जवाब
पवन कल्याण के गुस्से के बाद भी अनिता ने एकदम कूल-कूल रिएक्शन दिया जैसा कुछ खास हुआ ही नहीं. इतना सब सुनने के बाद भी पवन कल्याण को अन्ना यानी बड़ा भाई कहा. हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए सरकार के सीनियर मंत्री आए. कहा कि डिप्टी सीएम को गलतियां बताने और मंत्रियों को सही रास्ते पर लाने का अधिकार है. गृह मंत्री अनिता और पवन कल्याण की लड़ाई में फंस गए हैं सीएम चंद्रबाबू नायडू. धर्मसंकट ये कि किसकी साइड लें. डायनामिक अनिता अगर फेवरेट हैं तो पवन कल्याण भी गैर नहीं. 2023 में जब जगन मोहन ने चंद्रबाबू को जेल में डालकर राजनीति खत्म करने की कोशिश की थी तब पवन कल्याण ही थे जिन्होंने सड़क पर उतरकर नायडू परिवार के साथ खड़े रहकर जेल से बाहर निकालने में सारी ताकत लगा दी थी. कानूनी और राजनीतिक-दोनों लड़ाई में साथ दिया. पवन कल्याण के अलायंस से भी फायदा हुआ. लोकसभा-विधानसभा चुनाव में टीडीपी को प्रचंड जीत मिली.
चंद्रबाबू नायडू की सरकार किसी बैसाखी पर नहीं टिकी है लेकिन पवन कल्याण की जन सेना पार्टी और बीजेपी साथ मिलकर लड़े थे तो साथ मिलकर सरकार भी चला रहे हैं. सरकार बने अभी कुछ ही महीने हुए हैं. लड़ाई डिप्टी सीएम और होम मिनिस्टर की हो रही है. अटकलें लग रही हैं कि कहीं चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के बीच कोई कोल्ड वॉर तो नहीं चल रहा है जिसका गुस्सा पवन कल्याण ने अनीता पर इस तरह निकाला. डिप्टी सीएम बनने के बाद पवन कल्याण गजब एक्शन में हैं. जब चंद्रबाबू नायडू संभल-संभलकर हिंदू-मुसलमान वाली राजनीति कर रहे हैं तब पवन कल्याण ने खुलकर प्रो-हिंदुत्व वाली लाइन ली है जो बीजेपी के काफी करीब है. नायडू की सेक्युलर पॉलिटिक्स के लिए ये अलग समस्या है.
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