गौरी लंकेश की हत्या के आरोपियों को मिली जमानत, हिन्दू संगठनों ने किया फूल-मालाओं से स्वागत, VIDEO वायरल

सुमित पांडेय

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गौरी लंकेश की हत्या के आरोपियों को मिली जमानत तो हिंदू संगठनों ने किया स्वागत.
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Gauri Lankesh News: बेंगलुरु में पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों की जमानत पर विवाद खड़ा हो गया है. हाल ही में आरोपियों पारसुराम वाघमोर और मनोहर यादव को जमानत मिलने के बाद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस स्वागत समारोह में आरोपियों को शॉल और माला पहनाई गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर तीन बंदूकधारियों द्वारा की गई थी. इस हत्याकांड में कई लोग आरोपी हैं, और बेंगलुरु की सेशन कोर्ट ने इस मामले में शामिल आठ आरोपियों को जमानत दी है. इस साल सितंबर में कर्नाटक हाई कोर्ट ने चार अन्य आरोपियों को भी जमानत दी थी. फिर, 9 अक्टूबर को सेशन कोर्ट ने इन आरोपियों को बेल दी, जिसके बाद 11 अक्टूबर को वे जेल से रिहा हो गए.

हिंदुत्ववादी संगठनों ने आरोपियों के स्वागत के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया. कालीकादेवी मंदिर में पूजा की गई और शिवाजी महाराज की मूर्ति पर पुष्पमाला अर्पित की गई. इस प्रकार के स्वागत ने नागरिक समाज में और अधिक विवाद पैदा कर दिया है.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने त्वरित सुनवाई के दिए थे निर्देश 

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि गौरी लंकेश हत्याकांड अभी भी एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दिसंबर 2023 में गौरी लंकेश हत्या मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत स्थापित करने का निर्देश दिया था.

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साथ ही, गौरी लंकेश की हत्या ने देश में पत्रकारिता के प्रति बढ़ते खतरों को भी उजागर किया है. इस मामले की सुनवाई और न्याय की प्रक्रिया को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने आवाज उठाई है.

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जमानत मिलने के बाद आरोपियों के स्वागत पर विवाद

जमानत मिलने के बाद आरोपियों का स्वागत और इस मामले की कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए, नागरिक समाज ने इस मुद्दे को फिर से जीवित कर दिया है. गौरी लंकेश की हत्या ने केवल उनके परिवार को ही नहीं, बल्कि समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित किया है.

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आखिर तक लड़ती रहीं गौरी लंकेश

गौरी लंकेश का नाम भारत में उन पत्रकारों में शामिल है जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. उनकी हत्या के मामले ने न्याय प्रणाली की दक्षता और अखंडता पर भी सवाल खड़े किए हैं. अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या इन आरोपियों को सच में न्याय मिल सकेगा या नहीं.

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