आंध्र सरकार के विरोध में INDIA के करीब आए जगन मोहन रेड्डी, राहुल गांधी पर दे दिया ऐसा बयान 

रूपक प्रियदर्शी

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Jagan Mohan Reddy: चुनाव हारने और सत्ता चले जाने के बाद जगन मोहन रेड्डी का दुख खत्म नहीं हो रहा. दुख इतना है की आंध्र प्रदेश से उठकर दिल्ली के जंतर मंतर आकर बैठना पड़ गया. जिनसे 10 साल कोई वास्ता नहीं रखा उनसे समर्थन मांगना पड़ गया. एक तो एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हारे. ऊपर से चंद्रबाबू नायडू सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करके रोज नए-नए कहर बरपा रहे हैं. जगन मोहन पर अटैम्ट टू मर्डर से लेकर करप्शन के केस लग चुके हैं. इसके साथ ही YSRCP का दावा है कि, चुनाव के बाद हिंसा में उसके 31 कार्यकर्ता मारे गए और 35 जान देने के लिए मजबूर हुए. 

जगन मोहन रेड्डी को कंपनी देने INDIA गठबंधन के नेताओं के पहुंचने से राजनीति पलटती दिख रही है.  सपा के अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, शिवसेना के संजय राउत, प्रियंका चतुर्वेदी, टीएमसी के नजीबुल हक, जेएमएम के विजय हांसदा, आप के राजेंद्र पाल गौतम जगन मोहन रेड्डी को हिम्मत और हौसला देने जंतर मंतर पहुंचे. दिल्ली आते समय जगन मोहन कुछ फोटोग्राफ प्रिंट कराकर लाए थे. विपक्ष के जितने नेता मिलने आए सबको फोटो दिखाकर बता रहे थे कि देखो क्या हाल कर दिया. रक्तचरित्र नाम की किताब भी छपवाई है जिसमें नायडू के अत्याचारों की कहानी लिखी है.

क्या INDIA में शामिल होंगे जगन मोहन?

वैसे ये पता नहीं जगन मोहन के दुख में INDIA गठबंधन के नेताओं को कितना इंटरेस्ट रहा होगा. हालांकि एक चांस जरूर बना है और वो है INDIA अलायंस के एक्सपेंशन का और जगन मोहन रेड्डी को INDIA गठबंधन में लाने का. 10 साल से जगन मोहन रेड्डी बीजेपी के मित्र की भूमिका निभा रहे थे. बिना मांगे NDA सरकार का समर्थन करते रहे लेकिन चुनाव आया तो बीजेपी ने चंद्रबाबू नायडू से अलायंस कर लिया. अचानक जगन कहीं के नहीं रहे और अकेले पड़ गए.

जगन के मंच पर INDIA नेताओं की मौजूदगी से ये चर्चा तेज है कि उनकी एंट्री गठबंधन में कराई जा सकती है. जगन बहुत बुरी हालत में भी लोकसभा के 4, राज्यसभा के 11 सांसदों की पार्टी के चीफ हैं. तमिलनाडु की VCK नेता टी थिरुमावलवन ने ऑन द स्पॉट जगन मोहन को INDIA अलायंस में आने का न्योता तक दे दिया. कहा कि राहुल गांधी को संज्ञान लेना चाहिए. हालांकि इसमें खेल ये है कि जगन का हालचाल पूछने कांग्रेस से कोई नेता जंतर मंतर नहीं पहुंचा. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी आंध्र में अत्याचार के खिलाफ जंतर मंतर आने को कहा गया था लेकिन पार्टी ने दूरी बनाई. 

कांग्रेस ने जगन की बहन शर्मिला रेड्डी को किया था आगे 

जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. राजनीतिक कारणों से भाई-बहन की नहीं बनती. पूरे चुनाव में शर्मिला रेड्डी जगन मोहन के अत्याचार, करप्शन, राजनीति पर सवाल उठाती रहीं. शर्मिला भी चंद्रबाबू के विरोध में ही हैं. कांग्रेस पार्टी चुनाव से पहले शर्मिला रेड्डी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला था हालांकि उससे कुछ खास फायदा नहीं मिला. अब जगन और शर्मिला दोनों की हालत लगभग एक जैसी ही हो गई है. 

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जगन का कांग्रेस से है पुराना नाता 

YSRCP पार्टी बनाने से पहले जगन मोहन रेड्डी कांग्रेस में होते थे. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते थे. कांग्रेस के दिग्गज नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे होने का भरपूर फायदा कांग्रेस में मिलता रहा. मामला तब गड़बड़ाया जब 2009 में वाईएसआर की मौत के बाद कांग्रेस ने सीएम नहीं बनाया. और भी ज्यादा बात तब बिगड़ी जब यूपीए सरकार के रहते हुए जगन मोहन रेड्डी को करप्शन के आरोप में जेल भेजा गया. जगन मोहन के साथ ये सब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के रहते हुए जिसे जगन मोहन माफ नहीं कर पाए. 

जेल से निकलकर जगन मोहन ने YSRCP पार्टी खड़ी और कांग्रेस, टीडीपी-बीजेपी से अकेले लड़ते हुए सत्ता तक पहुंचे. बहुत सालों तक शर्मिला रेड्डी भाई के साथ रहीं लेकिन 2020-21 से भाई-बहन के रिश्ते में राजनीति आड़े आई. शर्मिला ने पहले अलग पार्टी बनाई. फिर कांग्रेस में जा मिलीं. जगन ने शर्मिला के कांग्रेस में जाने का हमेशा विरोध किया लेकिन वक्त ने ऐसी करवट मारी कि जगन मोहन रेड्डी के सामने चंद्रबाबू नायडू से बचने के लिए कांग्रेस की लाठी जरूरत आ पड़ी है. 

राजनीति में कुछ भी है संभव 

राजनीति में इमोशन या इगो स्थाई नहीं रह सकते. जगन मोहन चंद्रबाबू नायडू के रहते बीजेपी के साथ जा नहीं सकते. कांग्रेस का स्टैंड क्लियर नहीं है लेकिन INDIA अलायंस के रास्ते बात कुछ बन सकती है. जगन के आने के विपक्ष का फायदा ये है कि राज्यसभा में उसकी ताकत बढ़ जाएगी. सरकार प्रेशर में आ जाएगी. YSRCP के साथ से राज्यसभा में विपक्ष का नंबर 98 हो जाएगा. एनडीए फिलहाल बहुमत से कम 101 पर है. लोकसभा में भी विपक्ष के नंबर YSRCP के सांसदों के साथ 4 और बढ़ जाएंगे. 

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ओडिशा में नवीन पटनायक और जगन मोहन की पॉलिटिक्स में कॉमन ये रहा कि दोनों बिना एनडीए में गए बीजेपी के मित्र बने रहे. चुनावों में दोनों का भारी नुकसान हुआ. चुनाव बाद नवीन पटनायक को स्टैंड लेना पड़ा कि बीजेडी के राज्यसभा सांसद सरकार के खिलाफ रहेंगे. चुनाव बाद भी जगन एनडीए के साथ गए लेकिन चंद्रबाबू ने हालात ऐसे बनाए कि जगन मोहन रेड्डी को सरवाइव करने के लिए कोई बड़ा स्टैंड लेना होगा.

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