अब SBI को एक दिन में देनी होगी इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी पर BJP के लिए राहत की बात क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को SBI की इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया. लेकिन SBI के इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा उजागर करने के बाद भी बीजेपी के लिए ये मुश्किलें नहीं खड़े करने वाला है.
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Electoral Bond Case: सुप्रीम कोर्ट(SC) ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक(SBI) की इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया. SBI ये सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि चुनावी बॉन्ड की सारी डिटेल देने की डेडलाइन 6 मार्च से बढ़ाकर 30 जून तक की जाए. पर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को खरीखोटी सुनाते हुए ये राहत देने मना कर दिया. अब SC के फैसले के मुताबिक SBI को 12 मार्च यानी मंगलवार तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देनी है. इसके बाद चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम पांच बजे तक उस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए आदेश दिया गया है.
वैसे तो समय बढ़ाने की मांग करने वाले SBI के अनुरोध को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया है, लेकिन बीजेपी जो इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की सबसे बड़ी लाभार्थी रही है, उसने अब राहत की सांस ली है. आइए आपको बताते हैं आखिर SBI के इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा उजागर करने के बाद भी बीजेपी के लिए कैसे ये मुश्किलें नहीं खड़े करने वाला है.
SC के आदेश के मुताबिक SBI को 12 मार्च 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी को दो अलग-अलग सेट में देना होगा.
1. प्रत्येक इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीद की तारीख, बॉन्ड के खरीदार का नाम और खरीदे गए बॉन्ड के मूल्य से संबंधित विवरण.
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2. इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों से संबंधित जानकारी जिसमें प्रत्येक बॉन्ड को भुनाने की तारीख और भुनाए गए बॉन्ड का मूल्य शामिल है.
केवल खरीददारों और भुनाने वाले दलों के डेटा जारी करने का है आदेश: CJI
इससे पहले SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि, खरीदे गए बॉन्ड के विवरण को भुनाए गए बांड के विवरण के साथ मिलान करने में लंबा वक्त लगेगा. यानी यह बताने में कि किस दानदाता ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया, ज्यादा वक्त लगेगा. इसी वजह से SBI ने डेडलाइन बढ़ाने की मांग की.
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इसे लेकर सोमवार को SC में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने ये स्पष्ट किया कि, 15 फरवरी, 2024 के न्यायालय के आदेश में बैंक को 'मिलान अभ्यास' यानी 'किसने कितना बॉन्ड खरीदा और किसने किसके खरीदे बॉन्ड को भुनाया' ये करने की आवश्यकता नहीं थी. उन्होंने कहा, आदेश में केवल खरीददारों और भुनाने वाले दलों के डेटा को प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी जो जानकारी बैंक के पास आसानी से उपलब्ध है.
तो बीजेपी के राहत की ये है वजह
SC के इस फैसले का मतलब यह है कि चुनावी बॉन्ड किसने , कितने मूल्य का और कब खरीदा इसकी जानकारी SBI को देनी होगी. यह भी बताना होगा कि किस राजनीतिक दल को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कितने रुपए प्राप्त हुए. वहीं SBI को यह जानकारी फिलहान देने की आवश्यकता नहीं है कि इलेक्शन बॉन्ड के जरिए किसने किस राजनीतिक दल को कितना दान दिया. यही बात बीजेपी के लिए राहत की बात है. क्योंकि अधिकृत बैंक के रूप में SBI ही एकमात्र निकाय है जो यह डेटा दे सकता है कि, किसने किस राजनीतिक दल को कितना दान दिया.
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