मथुरा गए PM मोदी, क्या अब बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर का काम आगे बढ़ेगा? देखिए क्या है तैयारी
19 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में मंगलाआरती के समय गर्भगृह खचाखच भरा हुआ था. वहां सांस लेने तक की जगह नहीं थी. मंदिर में एकाएक भगदड़ शुरू हुई. जिसमें दो लोगों की जान चली गई. कई लोग घायल हुए.
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Mathura Corridor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार 23 नवंबर को मथुरा में ब्रज रज उत्सव में शामिल हुए. इससे पहले उन्होंने कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन भी किए. वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन किए हैं. पीएम मोदी की इस यात्रा के बीच मथुरा कॉरिडोर को लेकर भी जबरदस्त चर्चा है. 20 नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा कॉरिडोर के बनने को लेकर अनुमित दे दी थी. कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने में बांकेबिहारी मंदिर के खाते में जमा फंड्स को इस्तेमाल करने पर रोक लगाई है. सरकार को कॉरिडोर बनाने के लिए खुद रुपए खर्चने होंगे. इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और उज्जैन महाकाल कॉरिडोर बनाया जा चुका है.
क्या है बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर?
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की अनुमानित लागत 1000 करोड़ रुपए बताई जा रही है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की कुल लागत 750 करोड़ रुपए आई थी. उज्जैन महाकाल कॉरिडोर की कुल लागत 856 करोड़ रुपए आई थी. उत्तर प्रदेश सरकार 5 एकड़ इलाके में कॉरिडोर का निर्माण करेगी. जिसमें तीर्थयात्रियों के लिए प्रतीक्षालय, वीआईपी कक्ष, पेयजल सुविधा, सुलभ शौचालय, जूता घर, सामान घर, पूजा सामग्री के लिए दुकानें, चिकित्सा कक्ष आदि सारी व्यवस्थाएं होंगी. वृंदावन में करीब 150 गलियां हैं जिनकी चौड़ाई 3 फुट से लेकर 10 फुट तक है.
क्या है विवादः
विवाद होने का कारण बना एक हादसा. 19 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी के दिन मंगलाआरती के समय मंदिर का गर्भगृह खचाखच भरा हुआ था. जगह न होने के कारण लोग एक-दूसरे को धकेल रहे थे. सांस लेने तक की जगह नहीं थी. उमस और गर्मी की वजह से भक्तों की हालत खराब होने लगी. एकाएक मंदिर में भगदड़ शुरू हुई. जिसमें दो लोगों की जान चली गई. कई लोग घायल हुए.
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मंदिर में हुई मौत के कारणों और श्रद्धालुओं के लिए सुदृढ़ व्यवस्था के लिए सुलखान सिंह समिति बनाई गई. जिसने अपनी रिपोर्ट में कुछ बिंदुओं को स्थापित किया. जो कॉरिडोर जैसी व्यवस्था बनाने की ओर इशारा कर रही थीं. रिपोर्ट को गोपनीय रखा गया, लेकिन पब्लिक में यह बात जाने से लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि इससे उनकी दुकानें और मकान तोड़े जाएंगे वहीं प्रशासन कहना है कि कॉरिडोर बनाने में जिनकी भी दुकानें तोड़ी जाएंगी उनको कॉरिडोर बनने के बाद दुकान अलॉट की जाएगी. कुछ लोगों का कहना है कि इससे बृज की खूबसूरती खत्म हो जाएगी.
2022 में दाखिल की गई थी याचिका
अनंत शर्मा, मधुमंगल दास की ओर से 2022 में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि आम दिनों में बांकेबिहारी के दर्शन करने 40-50 हजार लोग आते हैं. छुट्टी वाले दिनों में यह संख्या बढ़कर डेढ़ से ढाई लाख हो जाती है. पर्व-त्यौहारों के दिन यह संख्या और भी बढ़ जाती है. जिसमें प्रशासन फेल हो जाता है. यहां गलियां काफी संकरी और तंग हैं. ज्यादा भीड़भाड़ होने के कारण भगदड़ जैसी स्थिति बनी रहती है. कुछ लोगों की भीड़ में दम घुटने की वजह से मौत भी हो चुकी है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस बारे में कोई कदम नहीं उठा रही है. रिट में हाईकोर्ट से राज्य सरकार को उचित कदम उठाने के निर्देश देने की अपील की गई थी. इसके बाद कोर्ट ने कॉरिडोर के पक्ष में फैसला सुनाया.
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