राहुल गांधी ने पकड़ा शेयर बाजार में बड़ा खेल, छोटे निवेशकों के घाटे पर बड़े प्लेयर्स कमा रहे मुनाफा!

रूपक प्रियदर्शी

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तस्वीर: इंडिया टुडे.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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छोटे इन्वेस्टर्स के 3 साल में डूबे 1.80 लाख करोड़ रुपए.

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F&O ट्रेडिंग से पिछले साल 73 लाख इन्वेस्टर्स को बड़ा नुकसान हुआ है.

शेयर बाजार राहुल गांधी के पर्सनल वेल्थ का भी मामला है और पॉलिटिक्स का भी. राहुल गांधी के लिए शेयर बाजार मोदी सरकार को घेरने का भी हथियार है और देश के छोटे इन्वेस्टर्स के पैसों की हिफाजत का मकसद भी. हो सकता है राहुल गांधी ने शेयर बाजार में पैसे लगा रखे हों इसलिए शेयर बाजार की हर हलचल पर नजर रखते हैं. हो ये भी सकता है कि शेयर बाजार में गड़बड़ियां दिख रही हों, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे हों. 

राहुल गांधी ने अब शेयर बाजार में जिस घोटाले की आशंका जताई है उसमें कोई चेहरा नहीं है. न मोदी, न अदाणी, न सेबी, न चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच, लेकिन अगर कोई घोटाला हो रहा है तो हो सकता है इनमें से किसी न किसी की जवाबदेही बनती हो.

राहुल गांधी ने दावा किया है कि F&O ट्रेडिंग पिछले 5 साल से अनियंत्रित तरीके से बढ़ी है. 5 साल में 45 गुना ज्यादा ट्रेडिंग हो रही है. इसमें छोटे इन्वेस्टर्स पैसा लगाते हैं. 90 परसेंट छोटे इन्वेस्टर्स पिछले 3 साल में1.8 लाख करोड़ रुपए यानी पौने दो लाख करोड़ गंवा चुके हैं. राहुल गांधी ने सेबी से so called बिग प्लेयर्स का नाम सार्वजनिक करने को कहा है जो छोटे इन्वेस्टर्स के नुकसान पर जमकर मुनाफा कमा रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राहुल गांधी का ये पोस्ट 10 लाख से ज्यादा लोगों ने पढ़ चुके हैं. 

पहले भी राहुल गांधी कर चुके हैं सावधान

शेयर बाजार को लेकर राहुल गांधी की ये चिंता पहली बार नहीं है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने दावा किया कि अदाणी ग्रुप के शेयर प्राइस में मैनुपुलेशन हो रहा है. तब भी राहुल गांधी ने आशंका जताई कि छोटे इन्वेस्टर्स का जोखिम बढ़ गया है. जब सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और अदाणी की मिलीभगत का दावा किया गया तब भी राहुल गांधी ने सावधान किया कि छोटे इन्वेस्टर्स के पैसे सुरक्षित नहीं हैं. 

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4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे से पहले एक्जिट पोल में बीजेपी की बंपर जीत के अनुमान से मार्केट सरपट भागा था. फिर 4 जून को नतीजे आने के बाद बुरी तरह गिरा. इन्वेस्टर्स के 30 लाख करोड़ डूबे तब भी राहुल गांधी ने कहा कि ये शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला है. राहुल गांधी के आरोपों को सरकार, वित्त मंत्रालय, सेबी ने कभी भी गंभीरता से नहीं लिया. 

छोटे इन्वेस्टर्स के 3 साल में डूबे 1.80 लाख करोड़ रुपए

वैसे तो शेयर बाजार में ही रिस्क है. फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग और भी ज्यादा रिस्की बन गया है. कम पैसे लगाकर मोटा मुनाफा कमाने का चांस होता है. इसे ऐसे समझिए कि किसी शेयर की कीमत 100 रुपए है. F&O ट्रेडिंग करते हुए इन्वेस्टर ने अनुमान लगाया कि शेयर प्राइस 150 का हो जाएगा. 100 रुपए के 100 शेयरों की प्राइस 150 रुपए होने की उम्मीद में ट्रेडिंग की.

अगर प्राइस सचमुच 150 पहुंचा तो 5 हजार का प्रॉफिट हो जाएगा. अगर 100 का शेयर 50 रुपए का हो गया तो इन्वेस्टमेंट में ही 5 हजार का लॉस होगा. प्रॉफिट के लालच में लॉस हो रहा है. इसी से छोटे इन्वेस्टर्स को 3 साल में 1.80 लाख करोड़ रुपए गंवाने पड़े है.

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सेबी ये डेटा बता रहा खतरनाक ट्रेंड

राहुल गांधी ने जो डेटा पेश किया है वो डेटा शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने ही दिया है. सेबी का डेटा खतरनाक ट्रेंड बता रहा है. F&O ट्रेडिंग से पिछले साल 91 परसेंट मतलब 73 लाख इन्वेस्टर्स को 75 हजार करोड़ रुपए नुकसान हुआ.  हर इन्वेस्टर का ऐवरेज लॉस 1 लाख 20 हजार रुपए का बना.

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3 साल में F&O ट्रेडिंग करते हुए 1 करोड़ 13 लाख इन्वेस्टर्स ने 1.8 लाख करोड़ गंवाए. 3 साल में केवल 7.2 परसेंट इन्वेस्टर्स ने पैसे कमाए. एक और डेटा ये है कि सिर्फ एक परसेंट इन्वेस्टर्स ऐसे हैं जिन्होंने ट्रांजेक्शन कॉस्ट काटे जाने के बाद एवरेज 1 लाख का प्रॉफिट कमाया. 

F&O ट्रेडिंग का डेंजरस डेटा

साल कितने का घाटा कितने लोगों का घाटा कितनों को प्रॉफिट
1 साल में    75000 करोड़   73 लाख इन्वेस्टर्स  7.2% इन्वेस्टर्स
3 साल में   1.8 लाख करोड़ 1.13 करोड़ इन्वेस्टर्स   

शेयर बाजार में शेयर खरीदने-बेचने के कई तरीके हैं. एक तरीका है स्पॉट मतलब एक हाथ पैसा दिया और दूसरे हाथ से शेयर खरीदा.  वायदा यानी Futures का सिस्टम ये है कि शेयर आज लिया तो डिलीवरी इतने दिन बाद होगी. इस रेट पर होगी. उस दिन रेट कम हुआ तो बेचने वाले को नुकसान और ज्यादा हुआ तो खरीदने वाले का फायदा. 


 तीसरा तरीका है Options जिसकी लत इन्वेस्टर्स को लगी और उसी को लेकर चिंता, डर का माहौल है. Option का मतलब आप चाहें तो सौदा पूरा करें या छोड़ दें. जिस दिन डिलीवरी होना है उस दिन का नुकसान हो रहा है तो निवेशक के पास Option है कि वो सौदा नहीं करें. उसका नुकसान होगा केवल प्रीमियम का.

Option का सौदा करते वक्त पूरे पैसे नहीं चुकाने हैं. केवल प्रीमियम देना है जो कुल सौदे का 2-3 % हिस्सा ही होता है. लॉकडाउन के बाद Options की लत से पिछले साल 8500 करोड़ सौदे हुए. 35% ट्रेडिंग छोटे इन्वेस्टर्स ने की. SEBI के मुताबिक 2019 में 7 लाख इन्वेस्टर्स F&O सेग्मेंट में थे. पिछले साल ये डेटा 45 लाख पहुंच गया.
 

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