लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची में शामिल कराना चाहते हैं सोनम वांगचुक, पर क्यों?

अभिषेक

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Sonam Wangchuk, Pashmina March, Leh, preventive measures, internet restrictions, Chinese incursions, Ladakh statehood, Sixth Schedule, Constitution
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Sonam Wangchuk: सोनम वांगचुक की आज कल खूब चर्चा है. लद्दाख के रहने वाले वांगचुक पिछले 3 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली में है. कभी जेल तो कभी बाहर दिख रहे है. वांगचुक एक पर्यावरण ऐक्टिविस्ट हैं. वो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने को लेकर लंबे समय से आन्दोलनरत है. इसके लिए उन्होंने लेह से दिल्ली के लिए पदयात्रा की शुरुआत की. 

लेह से एक सितंबर को शुरू हुई ये यात्रा करीब एक हजार किलोमीटर थी जिसे पूरा करते हुए वो करीब 150 साथियों के साथ सोमवार शाम को दिल्ली में दाखिल हुए. हालांकि दिल्ली में उनकी इंट्री होने से पहले सिंघु बॉर्डर पर ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें डिटेन कर लिया. वांगचुक को हिरासत में लिए जाने पर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की खूब आलोचना की. हालांकि कल बीते दिन उन्हें रिहा कर दिया गया जिसके बाद उन्होंने बापू की समाधि पर गए. 

पहले दिल्ली के लिए पदयात्रा करना, फिर जेल जाना. ऐसे में सोनम वांगचुक देशभर में चर्चा में बने हुए हैं. वैसे वांगचुक की कई मांगे है लेकिन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल करने की उनकी मांग महत्वपूर्ण है. आखिर वो इसकी डिमांड क्यों कर रहे है? अगर ऐसा हो भी जाता है तो क्या बदलाव होंगे? आइए आपको बताते हैं. 

'लद्दाख को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा'

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया. इस आर्टिकल के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था जो समाप्त हो गया. संसद में प्रस्ताव लाकर जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया और दोनों राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. तभी से लद्दाख में केंद्रीयकृत प्रशासन लागू है. जम्मू-कश्मीर में तो विधानसभा के चुनाव हो रहे है लेकिन लद्दाख को लेकर केंद्र सरकार का अभी कोई प्लान सामने नहीं आया है. वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की डिमांड कर रहे है. वे लगातार लद्दाख के मुद्दों, लेह और कारगिल से जुड़ी मांगों को उठा रहे हैं. इससे पहले मार्च में भी वांगचुक ने अपनी मांगों को लेकर 21 दिनों का अनशन किया था. 

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लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल क्यों कराना कहते हैं वांगचुक?

सोनम वांगचुक सबसे बड़ी मांग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की है. ऐसए होने पर उसे संवैधानिक सुरक्षा मिल जाएगी. छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत विशेष प्रावधान मिले हुए है. वर्तमान में इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम शामिल है. वांगचुक लद्दाख को भी इसमें शामिल करने की मांग कर रहे हैं. 

आपको बता दें कि, छठी अनुसूची के तहत पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है. इसके तहत आने वाले प्रदेशों में स्वायत्त जिला परिषदों के गठन किया जाता है. इन स्वायत्त जिला परिषदों को लैंड रेवेन्यू जमा करने, टैक्स लगाने, कारोबार को रेगुलेट करने, खनिजों के खनन के लिए लाइसेंस या पट्टा जारी करने के साथ-साथ स्कूल, मार्केट और सड़कें बनाने का अधिकार भी होता है. यानी की इससे जिलों के पास रेवेन्यू जेनरेट करने के पर्याप्त संसाधन होते है. वांगचुक ऐसा करके लद्दाख को स्वायत्त बनाना चाहते है. इसके साथ ही पहाड़ी राज्य लद्दाख के संरक्षण में वहां के लोगों को भागीदार बनाना चाहते है. 

अब जानिए कौन हैं सोनम वांगचुक?

सोनम वांगचुक 2003 में आई फिल्म ‘थ्री इडियट’ के बाद चर्चा में आए थे. माना जाता है कि यह फिल्म उनके जीवन से प्रेरित थी जिसमें वांगचुक का किरदार आमिर खान ने निभाया था. वांगचुक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं. वो पिछले 30 सालों से शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे है. वे स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के संस्थापक डायरेक्टर है. इस मूवमेंट का लक्ष्य हिमालय क्षेत्र में सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार लाना है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वांगचुक ने लेह के पास एक ऐसा स्कूल बनाया है, जहां सिर्फ उन बच्चों को एडमिशन दिया जाता है जो परीक्षा में फेल हो जाते है. वहां वांगचुक बच्चों को नई-नई चीजें सिखाते हैं.

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