MUDA स्कैम में विशेष अदालत ने सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के दिए आदेश, क्या CM की कुर्सी को है खतरा?
Karnataka MUDA Case: कर्नाटक में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव हुए. चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने बंपर जीत हासिल की. पार्टी को जीत तो मिल गई लेकिन कौन CM बनेगा इस पर रार छिड़ गई. एक तरफ सिद्धारमैया का गुट था तो दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का. दोनों पक्ष CM पद पर अपना-अपना दावा कर रहे थे.
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Karnataka MUDA Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जमीन के हेर-फेर के मामले में इन दिनों सवालों के घेरे में हैं. यह मामला बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में चल रहा है. विशेष अदालत ने इस मामले में बीते दिन यानी बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि, मुख्यमंत्री के परिवार ने मैसूर में अवैध रूप से 14 आवासीय प्लाट हासिल किए हैं. आपको बता दें कि, कोर्ट ने स्नेहमयी कृष्णा के दायर शिकायत याचिका पर पहले ही प्रारंभिक सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन हाई कोर्ट में इस मामले के आ जाने की वजह से निचली अदालत अपना आदेश नहीं सुना रहा था. पिछले दिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत पर लगी रोक को हटा दिया जिसके बाद ये फैसला आया.
क्या है पूरा मामला?
जमीन का यह मामला मैसूरु का है. CM सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से शहर के बाहरी इलाके केसारे गांव में अधिग्रहित 3.16 एकड़ जमीन के बदले में मैसूरु के एक महंगे आवासीय क्षेत्र में 14 महंगे भूखंड आवंटित किए गए. CM की पत्नी के जमीन के बदले मिली जमीन के बाजार कीमत में करोड़ों का अंतर है. इसी को लेकर उन पर मामला चल रहा है. जन प्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए बनी विशेष अदालत में न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत शिकायत का संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का आदेश दिया. जज ने आदेश दिया है कि, मामले की जांच तीन महीने में पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाये.
वैसे आपको बता दें कि, हाई कोर्ट ने भी सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत की जांच करने के लिए जांच एजेंसियों के लिए सभी कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया है.
जांच का सामना करने को हूं तैयार: CM सिद्धारमैया
विशेष अदालत के आदेश के बाद CM सिद्धारमैया ने कहा कि, वह कानूनी लड़ाई लड़ने और जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं. सीएम ने अपने बयान में कहा, 'मैंने यह कल कहा था और अब इसे दोहरा रहा हूं. जांच से डरने का कोई सवाल ही नहीं है. मैंने यह सब सामना करने का फैसला किया है.'
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क्या CM सिद्धारमैया की कुर्सी को है खतरा?
कर्नाटक में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव हुए. चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने बंपर जीत हासिल की. पार्टी को जीत तो मिल गई लेकिन कौन CM बनेगा इस पर रार छिड़ गई. एक तरफ सिद्धारमैया का गुट था तो दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का. दोनों पक्ष CM पद पर अपना-अपना दावा कर रहे थे. फिर पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया को चुना और डीके को डिप्टी CM बनाया गया. हालांकि तब बात ये भी चली थी कि, ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमति बनी है. यानी की सिद्धारमैया ढाई साल और डीके ढाई साल मुख्यमंत्री बनेंगे. वैसे पार्टी की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई.
सिद्धारमैया की सरकार को अभी 1 साल ही हुए की एक बार फिर से CM को लेकर दोनों गुटों के समर्थक हंगामा करने लगे. एक गुट 3 डिप्टी CM बनाने की की बात कर रहा था तो दूसरा गुट मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहा था. इन्हीं सब बातों के बीच CM सिद्धारमैया पर जमीन के हेर-फेर का मामला आ गया. अब सिद्धारमैया बैकफुट पर आते हुए नजर आ भी रहे है. हालांकि पार्टी आलाकमान ने उन पर भरोसा जताया हुआ है लेकिन अगर CM सिद्धारमैया दोषी पाए जाते है तब क्या होगा? वैसे ये तो हुआ पार्टी का मामला लेकिन पेच तब भी फंसेगा जब पुलिस जांच के लिए उन्हें कस्टडी में लेगी. अगर ऐसा होता है तो क्या वे CM पद पर बने रहेंगे? इस सवाल पर अभी संशय बना हुआ है.
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