कौन हैं राहुल गांधी को आतंकी कहने वाले रवनीत सिंह बिट्टू, जिन पर बेंगलुरु में दर्ज हुई FIR?
Ravneet Singh Bittu: 15 सितंबर को रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी के बारे में कहा था, 'राहुल गांधी देश के नंबर 1 आतंकवादी हैं. उन्हें पकड़ने वाले को इनाम मिलना चाहिए, क्योंकि वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं.' बिट्टू के इस बयान के बाद विवाद गहरा गया.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
राहुल गांधी को देश का दुश्मन बताने वाले रवनीत सिंह बिट्टू केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं
बेंगलुरू में कांग्रेस ने दर्ज कराई एफआईआर, बढ़ सकती हैं केंद्रीय मंत्री की मुश्किलें
Political News: केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी के खिलाफ विवादित टिप्पणी करते हुए उन्हें "देश का नंबर 1 आतंकवादी" कहा, जिसके बाद बिट्टू के खिलाफ दिल्ली समेत कई राज्यों में पुलिस में शिकायत की गई. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने भी उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. इस पर बेंगलुरु पुलिस ने बिट्टू के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है.
रवनीत बिट्टू के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353(2) (झूठी जानकारी या अफवाह फैलाना), 192 (दंगा भड़काने की कोशिश) और 196 (धर्म और जाति के आधार पर नफरत फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दरअसल, 15 सितंबर को रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी के बारे में कहा था, "राहुल गांधी देश के नंबर 1 आतंकवादी हैं. उन्हें पकड़ने वाले को इनाम मिलना चाहिए, क्योंकि वह देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं." बिट्टू के इस बयान के बाद विवाद गहरा गया, और कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. दरअसल, राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि भारत में सिख समुदाय के बीच इस बात की चिंता है कि उन्हें पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं.
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अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश: कांग्रेस
कर्नाटक पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस तरह के बयान न केवल राहुल गांधी के खिलाफ, बल्कि पूरे सिख और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश है.
मुझे पछतावा क्यों होना चाहिए?
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से आज मीडिया के लोगों ने पूछा कि क्या उन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ उनके बयान पर पछतावा है? इसपर बिट्टू ने कहा कि मुझे पछतावा क्यों होना चाहिए? हमने पंजाब में अपनी पीढ़ियां खो दी हैं. गांधी परिवार ने पंजाब को जला दिया, मेरा दर्द एक सिख के रूप में है.
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खरगे-नड्डा के बीच लेटर वार
इस विवाद पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच भी लेटर वार छिड़ गया. खड़गे ने 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भाजपा नेताओं द्वारा राहुल गांधी पर की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इसके जवाब में जेपी नड्डा ने 19 सितंबर को खड़गे को एक ओपन लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले 10 वर्षों में 110 से ज्यादा बार गालियां दी हैं. नड्डा ने सवाल उठाया कि कांग्रेस अपने नेताओं की गलतियों को क्यों अनदेखा कर रही है और राहुल गांधी को सही ठहराने की कोशिश क्यों कर रही है.
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नड्डा ने अपने पत्र में लिखा, "आप राजनीतिक शुचिता की दुहाई देते हैं, लेकिन आपकी पार्टी के नेताओं का इतिहास ही राजनीतिक मर्यादा को तार-तार करने का रहा है." नड्डा ने कांग्रेस नेताओं पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस अपने इतिहास को भूल रही है.
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आइए जानते हैं कौन हैं रवनीत सिंह बिट्टू?
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते हैं. रवनीत सिंह बिट्टू बीजेपी में आने से पहले कांग्रेस में थे. 2009, 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लुधियाना से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. वहीं, 2024 के चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का रुख किया था. बीजेपी ने उन्हें 2024 चुनाव में पटियाला लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि बीजेपी ने उन्हें इसके बाद भी तवज्जो देते हुए केंद्रीय मंत्री पद दिया गया. मोदी सरकार की 3.0 सरकार में रवनीत बिट्टू पंजाब से मंत्री पद हासिल करने वाले एकमात्र नेता हैं. उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय व रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है.
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बता दें कि रवनीत सिंह बिट्टू को राजनीति में पहचान विरासत में मिली है क्योंकि उनके दादा बेअंत सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे. जबकि बेअंत सिंह की मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए 1995 में हत्या कर दी गई थी.
बीजेपी को पंजाब में चाहिए था प्रभावशाली नेता
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब में प्रभावी नेता के रूप में जाने जाते हैं. पंजाब में बीजेपी को काफी मुश्किलें उठानी पड़ रही है. ऐसे में पंजाब कि सियासत साधने के लिए हार के बावजूद उन्हें मंत्री पद दिया गया. वहीं मंत्री पद मिलने के 6 महीने के अंदर उन्हें संसद की सदस्यता होनी चाहिए थी. इस वजह से उन्हें राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बनाया गया है. इसके साथ ही सितंबर में हरियाणा में आगामी चुनाव होने हैं. ऐसे में पंजाब के सटे इलाकों में इसका प्रभाव दिखेगा.
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