नितिन गडकरी ने जिस रोपवे का किया शिलान्यास कंगना क्यों उसके विरोध में उतरीं?

रूपक प्रियदर्शी

ADVERTISEMENT

newstak
social share
google news

Bijli Mahadev Ropeway: किसान आंदोलन पर बयान देकर बीजेपी को घेरने के बाद कंगना रनौत ने अब हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद के रूप में नया मुद्दा उठाया है. इस बार कंगना ने मोदी सरकार के एक प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे बीजेपी और मोदी सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

दरअसल, कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर के लिए 272 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे रोपवे प्रोजेक्ट का शिलान्यास मार्च में नितिन गडकरी ने किया था. यह रोपवे परियोजना मोदी सरकार की पर्वतमाला योजना के तहत आ रही है, जिसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है. इस प्रोजेक्ट से उम्मीद की जा रही है कि एक दिन में 36,000 श्रद्धालु बिजली महादेव पहुंच सकेंगे. लेकिन 6 महीने बाद कंगना ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध दर्ज कराया.

स्थानीय लोगों की समस्याएं और विरोध

राहल और कशावरी घाटी के स्थानीय लोग इस रोपवे प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनके रोजी-रोटी के साधन छिन जाएंगे. मंदिर जाने वाले रास्तों पर लगे होटल, ढाबे और दुकानें बर्बाद हो जाएंगी. साथ ही, कई पेड़ काटे जाने से पर्यावरण को भी नुकसान होगा. यहां तक कि लोगों का दावा है कि देवता भी इस रोपवे से खुश नहीं हैं और इसके निर्माण से मंदिर की परंपराओं को आघात पहुंचेगा.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

कंगना ने गडकरी को किया फोन, जताया विरोध

कंगना रनौत ने खुद कुल्लू जाकर स्थानीय लोगों से मुलाकात की और बिजली महादेव मंदिर के दर्शन किए. इसके बाद उन्होंने नितिन गडकरी को फोन कर इस प्रोजेक्ट का विरोध जताया. कंगना का मानना है कि अगर देवता इस प्रोजेक्ट के खिलाफ हैं, तो इसे रोक देना चाहिए. उनका दावा है कि गडकरी ने काम बंद कराने की बात कही थी, लेकिन फिर भी कुछ लोगों ने इसे दोबारा शुरू करा दिया.

बीजेपी के लिए धर्मसंकट

सरकार ने स्थानीय लोगों के विरोध को अब तक अनदेखा किया था, लेकिन कंगना रनौत के इस मुद्दे पर बोलने के बाद बीजेपी के लिए धर्मसंकट खड़ा हो गया है. अब या तो सरकार को प्रोजेक्ट रोकना होगा, या फिर अपनी ही सांसद कंगना की बात को अनदेखा करना होगा.

ADVERTISEMENT

बिजली महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व

बिजली महादेव एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जो करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर है. मान्यता है कि हर 12 साल में इस मंदिर के शिवलिंग पर बिजली गिरती है, जिससे शिवलिंग के टुकड़े हो जाते हैं, जिन्हें पुजारी मक्खन और दाल के आटे से फिर से जोड़ देते हैं. कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे, तब वे हिमाचल प्रभारी रहते हुए जून 2000 में बिजली महादेव के दर्शन करने आए थे.
 

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT