अपनी ही सरकार के खिलाफ स्टैंड क्यों ले रहे है मंत्री चिराग पासवान, क्या है इसके पीछे की वजह? जानिए 

अभिषेक

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Chirag Paswan
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Chirag Paswan: लोकसभा चुनाव के बाद देश में तीसरी बार PM मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार बनी. इस बार की सरकार 2014 और 2019 की सरकारों से अलग है. तब बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत मिला था अब पार्टी अपने सहयोगियों के दम पर सरकार में है और उसका असर भी दिख रहा है. एक के बाद सरकार ने अपने कई फैसलों पर यू-टर्न ले चुकी है. बीजेपी के कई सहयोगी अपने ही सरकार के खिलाफ खड़े नजर आ रहे है. समें एक प्रमख नाम केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का है. चिराग पासवान सरकार बनने के बाद से ही अब तक चार बाद NDA से अलग स्टैंड ले चुके हैं. 

आइए आपको बताते हैं क्या थे वो मुद्दे जिनपर चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसके साथ ही आखिर वो ऐसा कर क्यों रहे है?

जातिगत जनगणना पर मोदी सरकार के खिलाफ चिराग 

केन्द्रीय मंत्री और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने हाल ही में जातिगत जनगणना का समर्थन किया है. चिराग ने कहा, 'हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो.' उन्होंने जाति जनगणना के समर्थन में अपनी पार्टी का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि जाति जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होनी चाहिए, क्योंकि समुदाय-आधारित विकास योजनाओं के लिए सही आंकड़े जरूरी होते हैं. आपको बता दें कि इससे पहले भी चिराग पासवान जातिगत जनगणना को लेकर अपनी ऐसी ही राय रख चुके हैं. इस बात का समर्थन करके वो विपक्षी नेताओं राहुल गांधी और अखिलेश यादव के समर्थन में खड़े हो गए है. ये दोनों ही नेता लोकसभा चुनाव के पहले से ही जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाए हुए है. 

SC/ST आरक्षण पर 'भारत बंद' का चिराग पासवान ने किया था समर्थन

पिछले दिनों अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति(ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था. कई विपक्षी दलों को भी इस 'भारत बंद' का समर्थन किया था. लोजपा (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भारत बंद का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि 'इस बंद को हमारा पूरा समर्थन रहेगा. चिराग ने कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है. तब तक SC/ST श्रेणियों को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए.'

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लेटरल एंट्री पर भी रखी थी सरकार से अलग राय

हाल ही में चिराग पासवान ने केन्द्रीय नौकरियों में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी विरोध जताया था. दरअसल आरक्षण के मुद्दे पर चिराग पासवान का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है. उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रावधान के समर्थन में जोरदार तरीके से बात उठाई थी. हाल ही में, जब UPSC में लैटरल एंट्री का मुद्दा उठा, तो चिराग पासवान ने इसकी कड़ी आलोचना की और कहा कि यह आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सरकारी पदों पर आरक्षण का प्रावधान जरूरी है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर उन्होंने NDA के कुछ घटक दलों से अलग राय रखी है, जो लैटरल एंट्री का समर्थन करते हैं.

NDA के फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं चिराग पासवान 

बिहार के हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का कोर वोटर पासवान वोटर है. पासवान वोटबैंक बिहार में करीब 5.31 फीसदी है जो अनुसूचित जाति में आता है. चिराग को इस बात का अंदाजा है कि, किसी दूसरे वर्ग के समर्थन के बिना अकेले पासवान वोटर के दम पर उन्हें चुनाव जीतने में मुश्किल होगी. यही वजह है कि, वो इन जातियों में क्रीमी लेयर का विरोध कर रहे है. 

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वैसे कहा ये भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में आई कमी और आरजेडी, सपा जैसी पार्टियों के अच्छे प्रदर्शन के बाद चिराग सियासी मौसम का मिजाज भांप धीरे-धीरे अपना स्टैंड शिफ्ट भी करते नजर आ रहे है. हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं है क्योंकि उन्होंने हमेशा पीएम मोदी की हां में हां मिलाई है. 

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