राजस्थान में बीजेपी-कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी BAP, उपचुनाव में गठबंधन को लेकर किया बड़ा इशारा

ललित यादव

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rajkumar raut mp
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Rajasthan Politics: राजस्थान में 6 सीटों पर उपचुनाव होना है. बीजपी-कांग्रेस से लेकर अन्य दल भी चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं. इसी बीच भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में अकेले उतरने का मन बना लिया है. इससे पहले हुए चुनाव में BAP का कांग्रेस से गठबंधन था. BAP 4 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेगी. इनमें दौसा, देवली-उनियारा, चौरासी और सलूंबर सीट शामिल है.  

बीएपी के इस ऐलान से बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है. हालांकि बीएपी सांसद राजकुमार रोत गठबंधन को लेकर कह चुके थे कि आगे चुनाव में गठबंधन होगा या नहीं यह जरूरी नहीं है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बांसवाड़ा-डूगरपुर सीट पर बीएपी पार्टी को समर्थन दिया था. गठबंधन नहीं होने के चलते अब प्रदेश ने समीकरण देखने को मिल सकते हैं.

सांसद रोत का भी गठबंधन से इनकार

बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए किसी भी पार्टी के साथ उपचुनाव में गठबंधन से इनकार कर दिया है. रोत ने कहा कि अभी किसी से गठबंधन को हमारी पार्टी में बातचीत की जाएगी लेकिन 99 प्रतिशत संभावना है कि हम स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे. रोत ने कहा, हम जनता के मुद्दे को उठा रहे हैं, इससे हमें जनता का पूरा सहयोग मिल रहा है और हमें उपचुनाव में भी सहयोग मिलेगा. 

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लोकसभा चुनाव में किया था गठबंधन

लोकसभा के दौरान बीएपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. हालांकि कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था और ऐन वक्त पर उस उम्मीदवार को पर्चा वापस लेने के लिए कहा था. लेकिन नाम वापसी के आखिरी दिन प्रत्याशी ने पर्चा वापिस नहीं लिया था. लेकिन पार्टी ने इसके बाद आदेश जारी कर बीएपी उम्मीदवार को ही समर्थन देने की बात कही थी. 

किसको होगा नुकसान

बीएपी ने 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की बात कही है. इन सीटों पर आदिवासी वोटर अच्छी खासी संख्या में हैं. चौरासी सीट से राजकुमार रोत खुद विधायक थे. यहां बीएपी की मजबूत स्थिति बताई जा रही है. इसके अलावा सलूंबर सीट पर बीजेपी के पास थी लेकिन यहां से बीएपी उम्मीदवार ने अच्छे खासे वोट हासिल किए थे. दौसा और देवली-उनियारा में बीएपी अपना उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस के लिए अधिक मुसीबत खड़ी कर सकती है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर आदिवासी वोटर्स ने कांग्रेस का साथ दिया था. 
 

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