हिमाचल बीजेपी नेता शांता कुमार ने AAP नेताओं को लेकर फोड़ा ऐसा बम की हिल गई बीजेपी, जानिए 

रूपक प्रियदर्शी

12 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 12 2024 2:00 PM)

BJP leader Shanta Kumar: जब पूरी बीजेपी बरसों से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को करप्ट साबित करने में जुटी है तब शांता कुमार कह रहे हैं कि AAP नेता करप्ट नहीं हैं.

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BJP leader Shanta Kumar: शांता कुमार जिस समय बीजेपी के टॉप नेताओं में गिने जाते थे तब राजनीति में अरविंद केजरीवाल का अता-पता भी नहीं था. शांता कुमार हिमाचल में बीजेपी सरकार के सीएम रहे. अटल-आडवाणी के दौर वाली पार्टी में वो फ्रंट लाइन के नेताओं में गिने जाते थे. हालांकि शांता कुमार हिमाचल तक ही सीमित रहे. उनका अरविंद केजरीवाल से कहीं कोई कनेक्शन नहीं है. हालांकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने एक चिट्ठी लिखकर बम फोड़ दिया है. शांता कुमार की चिट्ठी न केवल पार्टी लाइन के खिलाफ है बल्कि इससे करप्शन के आरोपों में घिरे केजरीवाल, मनीष सिसौदिया को क्लीन चिट भी मिलती है. 

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सुप्रीम कोर्ट से मिली थी मनीष सिसौदिया को राहत 

26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार हुए मनीष सिसोदिया 530 दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर 9 अगस्त को जेल से बाहर आए. बीजेपी को इससे परेशानी हुई लेकिन शांता कुमार ने ओपन लेटर लिखकर इसका जश्न मनाया. शांता कुमार ने लिखा है, इस बात से पाठकों को हैरानी हो सकती है और कुछ मित्र नाराज भी होंगे, लेकिन वो अपनी बात खुलकर कहना चाहते हैं. उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के नेता व्यक्तिगत रूप से करप्ट नहीं हैं. पार्टी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन से निकली. दिल्ली की सत्ता पर बीजेपी की नाक के नीचे आम आदमी पार्टी दूसरी बार काबिज होने में कामयाब रही. आप ने अच्छा काम करके जीत हासिल की. 

काले धन से चुनाव लड़ने वालों पर साधा निशाना 

AAP नेताओं को क्लीन चिट देने तक शांता कुमार नहीं रूके. बिना नाम लिए काले धन से चुनाव लड़ने पर अपनी पार्टी को भी लपेट भी लिया. उन्होंने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है आज भी देश में काले धन से चुनाव लड़ा जाता है. हर चुनाव के लिए पार्टी धन इकट्ठा करती है. पूरे देश की पार्टी बनने के लिए यही काम आम आदमी पार्टी ने भी शुरू किया, लेकिन उन्हें चुनाव में धन इकट्ठा करने का अनुभव नहीं था. अन्य पार्टियों इस तरह से धन इकट्ठा करती हैं कि कानून के शिकंजे में कभी कोई नहीं आता. आम आदमी पार्टी के पास इसका अनुभव नहीं था, इसलिए पकड़ी गई. 

पहले भी कर चुके हैं पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी 

जब पूरी बीजेपी बरसों से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को करप्ट साबित करने में जुटी है तब शांता कुमार कह रहे हैं कि AAP नेता करप्ट नहीं हैं. वैसे पार्टी लाइन से अलग शांता कुमार ने पहली बार बयान नहीं दिया है. 2015 में मध्य प्रदेश में बीजेपी के शासन काल में जब व्यापम घोटाला हुआ तब भी कांगड़ा से लोकसभा सांसद होते हुए उन्होंने बम फोड़ा था. तब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चिट्ठी लिखते हुए कहा था कि व्यापम घोटाले से NDA सरकार की छवि को धक्का लगा है और हम सब का सिर शर्म से झुक गया है.

जनवरी में जब राम मंदिर प्रतिष्ठा होने लगी तो शांता कुमार ने फिर पार्टी को सुनाया. कहा कि आज कुर्सी हथियाने की राजनीति चल रही है. राम मंदिर बनाने से कुछ नहीं होगा. श्रीराम के आदर्श अपनाने होंगे. 2024 का लोकसभा चुनाव आया तो उन्होंने सुनाया दिया कि सही जनादेश आया. 2014 और 2019 में विपक्ष न होने से बीजेपी को अहंकार आ गया था. बीजेपी में रहते हुए शांता कुमार कांग्रेस सरकार के सीएम सुखविंदर सुक्खू की भी तारीफ कर चुके हैं. 

अब जानिए कौन हैं शांता कुमार?

शांता कुमार हिमाचल में बीजेपी को खड़ा करने वाले पहली पीढ़ी के नेता हैं. जब भारतीय जनता पार्टी बनी भी नहीं थी तब वो 1977 में हिमाचल प्रदेश के सीएम बन गए थे. दूसरी बार 1990 से 1992 तक हिमाचल के सीएम रहे. शांता कुमार हिमाचल में सीएम बनने वाले पहले राजपूत नेता हैं. 1963 में ग्राम पंचायत के पंच से राजनीति में कदम रखने वाले शांता कुमार पहली बार 1972 में हिमाचल में विधायक बन गए थे. 1999 में वाजपेयी की सरकार में शांता कुमार ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री रहे.

अटल-आडवाणी के दौर तक शांता कुमार का सब ठीक-ठाक चला लेकिन मोदी-शाह के जमाने में धीरे-धीरे बैकग्राउंड में जाने लगे. दिल्ली की राजनीति में पूछ कम होने लगी. हिमाचल में नए नेता हावी हो गए. हालांकि उनकी उम्र भी एक कारण रही होगी. 90 साल के होने जा रहे शांता कुमार को सबसे बड़ा झटका 2019 के चुनाव में लगा था. 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी, सीटिंग सांसद होने के बाद भी 2019 में कांगड़ा से उनका टिकट काटा गया. 1989 से शांता कुमार ने कांगड़ा लोकसभा सीट से चार लोकसभा चुनाव जीते.  

इसी के साथ  करीब 50 साल चुनाव और सत्ता की राजनीति में एक्टिव रहे शांता कुमार अचानक डिएक्टिव कर दिए गए लेकिन शांता कुमार डिएक्टिव रहने को तैयार नहीं हैं. रह-रहकर चिट्ठियों, बयानों से बम फोड़कर ये एहसास कराते रहते हैं कि शांता कुमार शांत रहने वालों में से नहीं हैं.

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