पांच राज्यों में आचार संहिता लागू, क्या आप Model Code of Conduct के बारे में जानते हैं

देवराज गौर

09 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 9 2023 8:59 AM)

विधानसभा चुनाव 2023ः चुनाव आयोग ने पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है. इसी के…

चुनावों की घोषणा के साथ ही लागू हुई आदर्श आचार संहिता

चुनावों की घोषणा के साथ ही लागू हुई आदर्श आचार संहिता

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विधानसभा चुनाव 2023ः चुनाव आयोग ने पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है. इसी के साथ अब आपको ‘आदर्श आचार संहिता’ जैसा टर्म बार-बार सुनने को मिल रहा होगा. आखिर क्या होती है आचार संहिता, क्यों लागू होती है और इसके नियम क्या हैं? आइए समझते हैं.

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कब लागू होती है आचार संहिता?

जैसे ही चुनाव आयोग विधानसभा या लोकसभा चुनावों के तारीखों की घोषणा करता है, वैसे ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और यह तब तक लागू रहती है जब तक चुनावी पक्रिया पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाती.

आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) क्या है?

आचार संहिता का मूल अर्थ होता है कि किसी विशेष समय में आपका आचरण कैसा होना चाहिए. देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियमों को तय करता है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को मानना पड़ता है. उनका उल्लंघन करने पर आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है. जैसे चुनाव लड़ने से रोक सकता है, आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है. कई मामलों में जेल जाने तक के सख्त प्रावधान हैं. आचार संहिता को राजनैतिक दलों की सर्वसम्मति से ही तैयार किया गया है.

आचार संहिता सबसे पहले केरल के विधानसभा चुनावों में 1960 में लागू की गई थी. उसके बाद 1964 से यह व्यापक रूप से लागू की गई.

नियम क्या कहते है?

चुनाव आयोग राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता में तमाम प्रावधान करता है. जैसे सामान्य आचरण, सभाएं, जुलूस, मतदान दिवस, मतदान बूथ, पर्यवेक्षक, सत्ताधारी दल, घोषणा पत्र संबंधी दिशानिर्देश.

आचार संहिता लागू होने के बाद सत्ताधारी दल किसी भी प्रकार की घोषणा, शिलान्यास, लोकार्पण व भूमिपूजन नहीं कर सकता है. किसी भी प्रकार की सरकारी मशीनरी का उपयोग चुनाव प्रचार लिए नहीं कर सकता है. सरकारी विज्ञापन पर भी मनाही है क्योंकि उसका पैसा भी सरकारी धन से ही आता है.

चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता को लागू किया है. सोशल मीडिया पर होने वाले कैंपेन का खर्चा भी चुनावी खर्चे में जोड़ा जाता है. एक चुनाव में एक कैंडिडेट कितना खर्च करेगा, इसकी भी सीमा चुनाव आयोग ने तय की है. कैंडिडेट द्वारा तय सीमा से अधिक खर्च करने पर तीन साल के लिए चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है.

किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने के लिए पुलिस की अनुमति अनिवार्य है. जाति या धर्म के नाम पर मतदाताओं से वोट नहीं मांगा जा सकता है. किसी की अनुमति के बिना उसकी अचल संपत्ति का उपयोग किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है, जैसे पोस्टर या बैनर लगाना इत्यादि.

इसके अलावा वोटर को किसी भी प्रकार का प्रलोभन देना सभी तरह से वर्जित है. चाहे वह किसी भी रूप में क्या न हो. जैसे धन, गहने, शराब या दावत देना इत्यादि. वोटर को डराना-धमकाना, फर्जी वोट डलवाना सख्त मना है. मतदान केंद्र तक वोटर को लाने-ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना भी मना है.

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