छापेमारी में जब्त पैसों का क्या करती है ED? पैसों पर किसका होता है अधिकार? जानिए पूरा प्रोसेस

News Tak Desk

08 May 2024 (अपडेटेड: May 8 2024 2:47 PM)

जब्त नकदी का इस्तेमाल न तो ईडी कर सकती है, न ही बैंक और न ही सरकार. जब्ती के बाद ईडी एक अटैचमेंट ऑर्डर तैयार करती है और संबंधित अधिकारी को छह महीने के भीतर कोर्ट के सामने जब्ती की पुष्टि करनी होती है. जब्ती की पुष्टि हो जाने के बाद और ट्रायल खत्म होने तक सारा पैसा बैंक में ही रहता है.

newstak
follow google news

Enforcement Directorate: झारखंड की राजधानी रांची में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने कल रेड मारकर 35 करोड़ से अधिक रकम बरामद की है. यह रेड झारखंड सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के नौकर के यहां की गई थी. ईडी ने सोमवार को संजीव लाल के हाउस हेल्पर जहांगीर आलम के यहां छापा मारा था. जहांगीर आलम के फ्लैट से ईडी ने 35.23 करोड़ रुपये जब्त किए. वहीं उसके दूसरे ठिकानों से 2.13 करोड़ से ज्यादा रुपये की जब्ती की गई है. 

यह भी पढ़ें...

आपको बता दें कि ईडी ने यह छापेमारी टेंडर घोटाले से जुड़े मामले में की है. पैसों की जब्ती के अलावा ईडी ने संजीव लाल और जहांगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया है. सूत्रों का कहना है कि दोनों लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और ईडी के सवालों को टाल रहे थे. कुल मिलाकर अब तक इस मामले में 37 करोड़ से ज्यादा की नकदी जब्त की जा चुकी है. चलिए जानते हैं कि इस जब्त रकम का ईडी आखिरकार करती क्या है? 

मनी लॉन्ड्रिंग की जांच ईडी करती है  

प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के मुताबिक, पैसों की हेराफेरी या गबन कर कोई संपत्ति या नकदी जुटाई गई है तो उसे 'आपराधिक आय' की श्रेणी में रखा जाता है और उसे मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. 'अपराध की आय' का मतलब ऐसी कमाई से है, जो व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधि के जरिए कमाता है. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच ईडी करती है. वहीं जब मामला 'बेहिसाब नकदी' का होता है तो उसकी जांच आयकर विभाग करता है. 

जब्त रकम को कहां रखा जाता है ? 

भारत का कानून ईडी को पैसे जब्त करने का अधिकार तो देता है, लेकिन ईडी इस बरामद नकदी को अपने पास नहीं रख सकती है. प्रोटोकॉल के मुताबिक, जब भी एजेंसी नकदी बरामद करती है तो आरोपी से पैसे का सोर्स पूछा जाता है. अगर आरोपी सोर्स बताने में सक्षम नहीं होता है या ईडी उसके जवाब से संतुष्ट नहीं होती है तो इसे 'बेहिसाब नकदी' या 'गलत तरीके' से कमाई गई रकम मान लिया जाता है.
 
इसके बाद ईडी PMLA कानून के तहत नकदी को जब्त कर लेती है. इसके बाद नोट गिनने के लिए ईडी एसबीआई की टीम को बुलाती है. मशीनों से नोट गिने जाते हैं. फिर ईडी की टीम एसबीआई अधिकारियों की मौजूदगी में सीजर मेमो तैयार करती है. सीजर मेमो में यह बताया जाता है कि कुल कितना कैश बरामद हुआ? किस करंसी के कितने नोट हैं? ये सबकुछ सीजर मेमो में नोट किया जाता है. बाद में गवाहों की मौजूदगी में पैसों को बक्सों में सील कर दिया जाता है. सील करने और सीजर मेमो तैयार होने के बाद बरामद नकदी को एसबीआई की ब्रांच में जमा कराया जाता है. ये सारी रकम ईडी के पर्सनल डिपॉजिट अकाउंट में जमा कर दी जाती है. कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी रकम को केंद्र सरकार के खजाने में जमा करा दिया जाता है.   

सरकार नहीं कर सकती जब्त पैसे का इस्तेमाल    

हालांकि, जब्त नकदी का इस्तेमाल न तो ईडी कर सकती है, न ही बैंक और न ही सरकार. जब्ती के बाद ईडी एक अटैचमेंट ऑर्डर तैयार करती है और संबंधित अधिकारी को छह महीने के भीतर कोर्ट के सामने जब्ती की पुष्टि करनी होती है. जब्ती की पुष्टि हो जाने के बाद और ट्रायल खत्म होने तक सारा पैसा बैंक में ही रहता है. ट्रायल के दौरान पैसों का इस्तेमाल कोई भी नहीं कर सकता है. अगर कोर्ट आरोपी को दोषी करार घोषित कर देती है तो सारा पैसा केंद्र सरकार की संपत्ति बन जाती है. वहीं आरोपी बरी हो जाता है तो सारा पैसा उसे लौटा दिया जाता है.

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

    follow google newsfollow whatsapp