National Pension System : NPS पर इतनी हाय-तौबा क्यों? एनपीएस में कितनी और कैसे मिलती है पेंशन? जानें Full डिटेल
Personal Finance: पर्सनल फाइनेंस की इस कड़ी में हम आपको नेशनल पेंशन सिस्टम की पूरी डिटेल बताने जा रहे हैं. पुरानी पेंशन योजना से ये किस तरह अलग है इसकी जानकारी भी हम आपको देगें.
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अक्सर राज्य या केंद्रीय कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) का विरोध करते हुए देखे जाते हैं. उनकी मांग है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था (Old Pension Scheme) लागू की जाए. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1 अप्रैल 2004 से पुरानी पेंशन व्यवस्था पर ताला लगा दिया गया. 1 जनवरी 2004 से NPS को सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू कर दिया गया. इसमें जिन कर्मचारियों की नौकरी 1 अप्रैल 2004 से पहले लगी थी उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन देने की बात कही गई.
NPS से जुड़ने वाले कर्मचारियों ने इसका विरोध कर दिया. वे चाहते हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम को हो लागू किया जाए. अब सवाल ये है कि एनपीएस में आखिर ऐसा क्या है जिसका सरकारी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. एनपीएस का लाभ कौन-कौन ले सकते हैं? क्या ये केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए ही है या निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी इसका लाभ ले सकते हैं? इसके बेनिफिट का कैलकुलेशन कैसे होता है? क्या इनकम टैक्स में NPS को लेकर छूट मिलती है?
पर्सनल फाइनेंस की इस कड़ी में हम आपको नेशनल पेंशन सिस्टम की पूरी डिटेल बताने जा रहे हैं. पुरानी पेंशन योजना से ये किस तरह अलग है इसकी जानकारी भी हम आपको देगें.
NPS क्या है?
ये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक मार्केट-लिंक्ड पेंशन स्कीम है. इसमें निवेश करने के बाद 60 साल की उम्र से पेंशन मिलता है. इसमें सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों के कर्मचारी अपना योगदान कर पेंशन पा सकते हैं. वहीं ओपीएस का लाभ केवल सरकरी कर्मचारियों को ही मिलता था. पहले इसे भी सरकारी कर्मचारियों के लिए ही ओपीएस के विकल्प के तौर पर शुरू किया गया. 1 मई 2009 से इसे निजी कर्मचारियों और आम जनता के लिए भी ऑफर किया जाने लगा.
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NPS में करना होता है निवेश
- एनपीएस में सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा निवेश करता है.
- ये निवेश न्यूनतम 500 रुपए हो सकता है.
- प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए निवेश वैकल्पिक है.
- यानी निवेश की कोई सीमा नहीं है, लेकिन इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए इसकी सीमा है.
- मूल वेतन का 10 फीसदी या सालाना अधिकतम डेढ़ लाख इसमें भी कम हो उसपर छूट मिलती है.
- इनकम टैक्स की धारा धारा 80CCD(1B) के तहत इसमें 50 हजार रुपए की अतिरिक्त छूट मिलती है.
- यानी इनकम टैक्स बचाने के लिए एनपीएस में अधिकतम 2 लाख रुपए सालाना निवेश कर सकते हैं.
- 60 साल की उम्र के बाद कर्मचारी निवेश की गई राशि का 60 फीसदी एकमुश्त निकाल सकते हैं.
- 40 फीसदी रकम से एन्युटी खरीदनी पड़ेगी. इससे मिलने वाली इनकम पेंशन के रूप में मिलेगी.
- पेंशन की राशि कितनी होगी ये एन्युटी प्लान के चुनाव पर डिपेंड करेगा.
- इसमें दो टियर होते हैं. एक टियर -1 और दूसरा टियर-2
- टियर-1 में लॉकिंग पीरियड निवेशक की 60 साल की उम्र तक होता है.
- टियर-वन में 60 फीसदी राशि, पेंशन मिलेगा.
- कुछ शर्तों पर बाकी 40 फीसदी राशि में आंशिक निकासी संभाव है.
- कोई लॉक-इन पीरियड नहीं है. कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलेगा.
मान लीजिए अंकित की उम्र 30 साल है. इन्हें सरकारी नौकरी मिली है. इनकी मासिक सैलरी फिलहाल 55 हजार रुपए महीने हैं. अब ये 60 साल की उम्र में कितना पेंशन पाएंगे. इसकी एक अनुमानित कैलकुलेशन करते हैं.
- अभी अंकित की इन-हैंड सैलरी: ₹55,000
- सालाना सैलरी ग्रोथ: 10%.
- रिटायरमेंट की उम्र: 60 साल.
- एनपीएस योगदान: बेसिक सैलरी का 10% (कर्मचारी) + 14% (सरकार).
- रिटायरमेंट के बाद: 60% राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है और 40% से एन्युटी लेनी होगी.
- एन्युटी रिटर्न: 6% वार्षिक अनुमानित.
- नौकरी के साल: 30 वर्ष
- रिटायरमेंट तक कुल फंड: ₹2.22 करोड़
- 60% एकमुश्त निकासी: ₹1.33 करोड़ (टैक्स-फ्री)
- 40% एन्युटी निवेश: ₹88.92 लाख
- मंथली पेंशन: ₹44,460 (ये आय टैक्सेबल होगी)
नोट: अगर कोई दूसरा एन्युटी विकल्प चुना जाए तो पेंशन राशि अलग हो सकती है. ये एक अनुमानित कैलकुलेशन है.
NPS की खास बातें
- गवर्नमेंट रेगुलेटेड स्कीम है. ये PFRDA (Pension Fund Regulatory and Development Authority) से नियंत्रित होता है.
- इक्विटी और डेट फंड में निवेश होता है, जिससे लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिलता है.
- अन्य पेंशन योजनाओं की तुलना में कम खर्च.
- टैक्स बेनिफिट भी मिलता है.
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