इंदौर के भिखारियों पर इमोशनल हुए तो बुरी तरह फंसेंगे, काटने पड़ सकते हैं थाने के चक्कर
Indore News: मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई यानी इंदौर शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीमों ने पिछले दिनों भिखारियों को पकड़ने का अभियान चलाया और 14 भिखारियों को पकड़ा. इसमें एक महिला के पास से 75 हजार रुपये बरामद हुए थे, यह राशि उसने महज 10-12 दिनों में इकट्ठी की थी.
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Indore News Update: मध्य प्रदेश के मिनी मुंबई के नाम से मशहूर इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए प्रशासन और पुलिस ने सख्त कदम उठाए हैं. हाल ही में इस अभियान के तहत 14 भिखारियों को पकड़ा गया है. हैरान करने वाली बात यह रही कि राजवाड़ा के शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला के पास से 75 हजार रुपये बरामद हुए, जो उसने महज 10-12 दिनों में इकट्ठे किए थे.
इंदौर कलेक्टर ने कहा कि शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जो दिसंबर के अंत तक जारी रहेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि 1 जनवरी 2025 से यदि कोई व्यक्ति किसी को भीख देता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. कलेक्टर ने इंदौरवासियों से अपील की कि वे भीख देकर इस समस्या को बढ़ावा न दें और इसे रोकने में प्रशासन का साथ दें.
गिरोहों का पर्दाफाश और रीहैविलिटेशन
प्रशासन ने हाल के महीनों में भिक्षावृत्ति को मजबूरी बनाने वाले कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है. इन गिरोहों के जरिए लोग भीख मांगने के लिए मजबूर किए जाते थे. इसके साथ ही प्रशासन ने कई भिखारियों का पुनर्वास भी किया है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें. अभियान से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि शहर में कुछ ऐसे परिवार हैं, जो बार-बार पकड़े जाने के बावजूद भिक्षावृत्ति में लिप्त रहते हैं. इन परिवारों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है. प्रशासन का मानना है कि ऐसे परिवार संगठित तरीके से भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देते हैं और इससे शहर की छवि खराब होती है.
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कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि भीख देना न केवल सामाजिक बुराई को बढ़ावा देता है, बल्कि इसे अपराध की श्रेणी में भी लाया जाएगा. प्रशासन ने साफ किया है कि भीख देने वाले लोग पाप के भागीदार बनते हैं और यह आदत भिक्षावृत्ति को खत्म करने में सबसे बड़ी बाधा है.
केंद्रीय मंत्रालय की पायलट योजना
इंदौर उन 10 शहरों में शामिल है, जिन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है. इस योजना का उद्देश्य न केवल भिक्षावृत्ति को खत्म करना है, बल्कि भिक्षुकों का पुनर्वास कर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है. हाल की कार्रवाई में यह भी सामने आया कि कई भिक्षुक आर्थिक रूप से मजबूत होने के बावजूद भीख मांगते हैं. राजवाड़ा के शनि मंदिर के पास पकड़ी गई महिला इसका उदाहरण है, जिसने सिर्फ 10-12 दिनों में 75 हजार रुपये इकट्ठे कर लिए.
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ये है प्रशासन का प्लान
प्रशासन ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएंगे. इस अभियान के तहत पकड़े गए भिक्षुकों को पुनर्वास योजनाओं के तहत सहायता दी जाएगी, लेकिन जो लोग बार-बार पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन का मानना है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए जनता का सहयोग बेहद जरूरी है. लोगों को यह समझना होगा कि भीख देना समस्या का समाधान नहीं, बल्कि इसे और बढ़ावा देता है.
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इंदौर का बड़ा टारगेट
इंदौर प्रशासन और पुलिस का लक्ष्य है कि शहर को पूरी तरह से भिक्षुक मुक्त बनाया जाए. यह कदम न केवल शहर की छवि सुधारने के लिए है, बल्कि भिक्षावृत्ति से जुड़े अपराधों और गिरोहों को खत्म करने के लिए भी है. इंदौर के इस अभियान से उम्मीद की जा रही है कि शहर को एक नई पहचान मिलेगी और यह अन्य शहरों के लिए एक मिसाल बनेगा.
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