चर्चित चेहरा: D Gukesh ने रचा इतिहास लेकिन कोई नहीं जानता अंदर की ये बात, रह जाएंगे दंग!

कीर्ति राजोरा

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पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा...पापा ने कहा और बेटे ने कर दिखाया और रच दिया एक बड़ा इतिहास, ये बेटा कोई और नहीं बल्कि पिता के साथ देश का भी सिर गर्व से ऊंचा कराने वाला डोमराजू गुकेश यानी डी गुकेश है, जो अब 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बन चुका है यानी चेस में पहले नंबर का खिलाड़ी.

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पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा...पापा ने कहा और बेटे ने कर दिखाया और रच दिया एक बड़ा इतिहास, ये बेटा कोई और नहीं बल्कि पिता के साथ देश का भी सिर गर्व से ऊंचा कराने वाला डोमराजू गुकेश यानी डी गुकेश है, जो अब 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बन चुका है यानी चेस में पहले नंबर का खिलाड़ी. खुशी का वो पल इस वक्त चर्चा में, जब गुकेश की आंखे खुशी से भर आई, वो पल वायरल है जब गुकेश की जीत की खबर सुनते ही पिता रजनीकांत बेटे से मिलने भागे-भागे आए. इसी के साथ चर्चा में गुकेश के माता-पिता का वो संघर्ष जब उन्होंने अपना करियर दांव पर लगाकर बेटे के लिए क्राउड फंडिंग कर जमीन आसमान एक कर दिया. आज चर्चित चेहरा में बात गुकेश के वर्ल्ड चैंपियन बनने और उनके कोच पैडी अप्टन की, जिन्हें गुकेश का द्रोणाचार्य भी कहा जा रहा है.

18 साल की उम्र में जब बच्चे स्कूल पास कर रहे होते हैं, जब ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होता कि आगे करना क्या है? उनका पैशन क्या है? उस छोटी उम्र में भारत के डी गुकेश ने इतिहास रच दिया है. वो चेस की दुनिया यंगेस्ट चैंपियन बन गए हैं.  12 दिसंबर को सिंगापुर में वर्ल्ड चैस चैंपियनशिप में गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को 14वें गेम में शिकस्त दी. मतलब चेन्नई चीन पर भारी पड़ा. ये पल वाकई खास था जब गुकेश ने डिंग लिरेन को हराया वो किस कदर भावुक नजर आए वो देखने लायक था. शायद इस जीत के पल को गुकेश वही सपना समझ रहे थे जो उन्होंने 7 साल की उम्र से देखना शुरू किया था..लेकिन ये सपना आज हकीकत में बदल चुका था.

गुकेश को पीएम मोदी ने दी बधाई

इसके बाद से ही गुकेश को दुनियाभर से बधाईयां मिल रही हैं, पीएम मोदी ने भी उन्हें जीत की बधाई दी. लेकिन इन सबके बीच वायरल है गुकेश के पिता का वो रिएक्शन जब उन्होंने अपने सपने को सच होते देखा. जब गुकेश ने चेस की ये बाजी जीती तो उनके पिता रजनीकांत फोन पर बात करने के लिए बाहर आए हुए थे. फोन पर बात करने के दौरान जब एक शख्स ने उन्हें गुकेश की जीत के बारे में बताया तो पिता रजनीकांत भावुक होकर अपनी नजरे झुकाए नजर आए. फिर जब गुकेश खुद उन्हें ये खुशखबरी देने बाहर आए तो देखिए कैसे दोनों भावुक नजर आए.

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गुकेश को मिलेंगे 20.86 करोड़ रुपए

अंतरराष्ट्रीय चेस फेडरेशन के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब 2 एशियाई खिलाड़ी आमने-सामने हुए. डी गुकेश को वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने पर 20.86 करोड़ रुपए (2.5 मिलियन यूएस डॉलर) मिलेंगे. इस जीत में गुकेश की जितनी मेहनत है उससे थोड़ी ज्यादा मेहनत उनके माता-पिता की है. पिता रजनीकांत पेशे से इएनटी सर्जन यानी नाक, कान और गले के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, जबकि मां पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं. इन दोनों के त्याग से ही गुकेश आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. एक तरफ गुकेश के पिता उनके साथ टूर्नामेंट में जाते, 15 दिन बेटे के साथ सफर और 15 दिन सर्जरी करते थे. गुकेश के साथ लगातार सफर करने का असर उनके करियर पर भी हुआ. हालांकि वह बेटे के लिए सबकुछ करने को तैयार थे. एक समय ऐसा भी आया जब पिता रजनीकांत को 2017-18 में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस रोकनी पड़ी. उन्होंने काम को त्याग कर बेटे पर पूरा ध्यान दिया. बाप-बेटे की जोड़ी ने कम बजट में दुनिया भर की यात्रा की ताकि गुकेश को पूरा एक्सपोजर मिल सके. लेकिन इस दौरान घर की जिम्मेदारी संभाली गुकेश की मां पद्मा ने. इस बीच गुकेश के पास कोई स्पोंसर भी नहीं था. खबर के मुताबिक कई बार प्राइज मनी और क्राउड-फंडिंग के जरिए इस परिवार को सब कुछ मैनेज करना पड़ा.

चौथी कक्षा के बाद रेगुलर स्कूल जाना छोड़ दिया

डी गुकेश चेन्नई के रहने वाले हैं और उसी स्कूल से ताल्लुक रखते हैं जहां से देश को विश्वनाथान आनंद जैसे खिलाड़ी मिले हैं. गुकेश ने अपने ही स्कूल में पढ़ने वाले और ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानंद को देखकर चेस खेलना शुरू किया था. उस समय प्रज्ञानंद अंडर 10 चैंपियन थे. गुकेश ने चौथी कक्षा के बाद रेगुलर स्कूल जाना छोड़ दिया और पूरी तरह चेस पर ध्यान दिया. गुकेश के सपने के लिए उनके माता-पिता ने भी अपना सबकुछ झोंक दिया. गुकेश के करियर में सबसे अहम सफलता उन्हें मिली जब वह महज 8 साल के थे. उन्होंने अंडर 9 में एशियन स्कूल चैंपिनयशिप जीती और फिर 2018 में अंडर 12 कैटेगरी में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया. साल 2019 में वह उस समय के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर थे. साल 2022 में वह मैग्नस कार्लसन को हराने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे. गुकेश ने 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट भी जीता था. तब वह ऐसा करने वाले सबसे युवा प्लेयर बने थे. लेकिन इस बार वर्ल्ड चैंपियन बनने के साथ वो दुनिया के पहले टीनएजर हैं जिनके सिर ये ताज सजा है.

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गुकेश के द्रोणाचार्य साबित हुए पैडी अप्टन 

गुकेश की इस जीत में एक बड़ा हाथ पैट्रिक एंथनी हॉवर्ड अप्टन यानी पैडी अप्टन का भी माना जा रहा है. अप्टन गुकेश के मानसिक कंडीशनिंग कोच हैं. पैडी अप्टन ने गुकेश को वर्ल्ड चैंपियनशिप में होने वाली हर परिस्थिति के लिए तैयार किया. उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दिया है, जैसे कि जब डिंग अपने मूव्स के बारे में सोच रहा हो तो गुकेश क्या करना चाहिए और खाली समय में उन्हें क्या करना चाहिए.  इससे पहले पैडी अप्टन को 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप जीतने, पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के ब्रॉन्ज मेडल जीतने का भी कुछ हद तक क्रेडिट दिया गया था और अब उन्हीं की देखरेख में डी गुकेश ने सबसे कम उम्र में चेस वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास रचा. शायद इसलिए ही पैट्रिक एंथनी हॉवर्ड अप्टन यानी पैडी अप्टन को गुकेश का द्रोणाचार्य और भारत के लिए लकी चार्म भी कहा जा रहा है.

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