Tirupati Balaji Temple में लोग क्यों मुड़ाते हैं सिर, सैकड़ों टन बालों का क्या होता है? जानें सब कुछ

बृजेश उपाध्याय

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तस्वीर: इंडिया टुडे.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल अर्पण करने का बड़ा महत्व है.

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अर्पण किए बालों को साफ कर कटेगरी में बांटा जाता है.

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इन बालों की ई-नीलामी होती है जिसमें करोड़ों रुपए मिलता है.

तिरुमला की पहाड़ी पर स्थित दिव्य तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल मुड़ाने और बालों को अर्पण करने की एक बहुत ही पुरानी प्रथा है. एक अनुमान के मुताबिक यहां एक महीने में सैकड़ों टन बाल इकट्‌ठा हो जाते हैं. इन बालों की हर महीने नीलामी होती है. इनमें बालों की कटेगरी बनाई जाती है और कटेगरी वाइज नीलमी से आय होती है. मंदिर में रोजाना 20 हजार से ज्यादा लोग बाल अर्पित करते हैं. यहां लोगों का मुंडन करने के लिए 500 से ज्यादा बाल काटने वाले होते हैं. 

इंडिया टुडे में वर्ष 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति मंदिर में भक्तों द्वारा दान किए गए बालों की मासिक ई-नीलामी से 6.39 करोड़ रुपए की भारी भरकम आमदनी हुई थी. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की तरफ से आयोजित नीलामी में अलग-अलग कटेगरी में कुल 1,87,000 किलो बाल बेचे गए थे.

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में तिरुपति बालाजी का मंदिर इस समय काफी चर्चाओं में है. वजह है मंदिर के विशेष प्रसाद श्रीवारी लड्‌डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी मछली के तेल के मिलावट का आरोप. यहां क्लिक करके पढ़ें आरोपों की ये पूरी कहानी

कैसे होता है मुंडन? क्या है इसके पीछे की मान्यता?

तिरुपति बालाजी मंदिर में एक मुंडल स्थल है, जिसे कल्याण कट्‌टा कहा जाता है. एक मान्यता है कि मानव के सिर से बाल हटा दें तो उसकी खूबसूरती काफी कम हो जाती है. ऐसे में भगवान के दरबार में लोग अपनी सबसे खास चीज दान में देते हैं. इसके पीछे ये भी मान्यता है कि बालों के अर्पण के साथ मनुष्य अपने अहंकार और पाप का प्रतीकात्मक दान दे देता है और उसपर भगवान वेंकटेश की कृपा होती है. लोग अपनी मिन्नतों को पूरा करने के लिए भी यहां बाल दान में देते हैं. यहां मुंडन बिना पैसे लिए होता है. मुंडन के बाद स्नान करने के बाद अपना एक बाल प्रभु को अपर्ण करना होता है. 

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मुंडन कराने की इच्छा रखने वाले महिला और पुरूष को एक ब्लेड के साथ टोकन जारी किया जाता है. टोकन में कमरा नंबर होता है. उस कमरें में जाने पर वहां मौजूद बाल काटने वाला मुंडन करता है. वहां से बाल का एक टुकड़ा लेकर स्नान करने जाना होता है. स्नान के बाद वहां के ड्रेस कोड के मुताबिक कपड़े धारण कर टुकड़े को भी पवित्र करने के बाद साथ लेकर फिर बालाजी के दर्शन करने की अनुमति मिलती है.   

मुंडन के पीछे एक कथा भी है प्रचलित

तिरुपति बालाजी मंदिर में मुंडन कराने के पीछे एक कथा भी प्रचलित है. कहते हैं प्राचीन काल में भगवान बालाजी की मूर्ति पर चीटियों ने पहाड़ सा बना दिया. वो पूरी तरह से ढक गए. वहां हर रोज एक गाय आने लगी और बालाजी पर दूध देकर चली जाती थी. जब उसका मालिक दूध नहीं निकालता तो उसे दूध ही नहीं मिलता था. एक दिन उसने गाय को एक स्थान पर दूध देते देखा. उसने गुस्से में कुल्हाड़ी चला दी. कुल्हाड़ी गाय को लगती हुई बालजी के सिर के बाल काटते आगे जा गिरी.

तब बालाजी भगवान की मां नीला देवी ने अपने बाल काटकर उनके सिर पर रख दिए. ऐसे में बालाजी प्रसन्न हो गए. उन्होंने कहा- मां आपने मेरी सुंदरता के लिए अपनी सुंदरता का त्याग कर दिया. तब उन्होंने कहा कि जो भी मेरे लिए बालों का त्याग करेगा मैं उसकी हर इच्छा पूरी करूंगा. तब से वहां बालों को त्याग करने की परंपरा भी शुरू हो गई. ध्यान देने वाली बात है कि मंदिर के पास नीलाद्रि हिल्स पर नीला देवी का मंदिर भी है. 

इतने कटेगरी में बालों की होती है नीलमी

एक अनुमान के मुताबिक हर साल लगभग 500 से 600 टन इंसानों के बाल तिरुपति मंदिर में दान किए जाते हैं. इन बालों को गर्म पानी में साफ किया जाता है. फिर सुखाया जाता है. फिर एक निश्चित तापमान में रखा जाता है. बालों की कटेगरी बनाई जाती है. बालों को 1 से 5 किस्म में बांटा जाता है.

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सबसे अच्छे बाल नंबर 1 में और सबसे खराब बल नंबर 5 की कटेगरी में रखे जाते हैं. सफेद बालों की अलग से नीलामी होती है. फिर इन बालों की ई-नीलामी होती है. इन बालों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जाता है. इनका इस्तेमाल हेयर विग बनाने के अलावा अलग-अलग चीजों के लिए होता है. इनकी मांग यूरोप, अमेरिका, चीन समेत कई देशों में काफी है. 

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नंबर वन कटेगरी के बालों से मिलते हैं ज्यादा दाम

इंडिया टुडे में प्रकाशित खबर के मुताबिक साल 2018 में बालों की नीलामी में नंबर वन किस्म के बालों के लिए प्रति किलो साढ़े 22 हजार रुपए की राशि मिली थी. नंबर 2 किस्म के बालों के लिए 17,223 रुपये प्रति किलोग्राम, नंबर 3 किस्म का बाल 2833 रुपए प्रति किलो और नंबर 4 किस्म का बाल 1195 रुपए प्रति किलो की दर से बिका था. वहीं नंबर 5 कटेगरी का बाल 24 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया था. सफेद बालों को 5462 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा गया था.

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