पैसों की तंगी से सेक्स वर्कर बनीं टीचर और डॉक्टर्स, भारत के पड़ोसी देश में ये क्या चल रहा?

शुभम गुप्ता

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Myanmar: कहानी म्यांमार की है, जहां डॉक्टर से लेकर टीचर्स तक कई महिलाएं घर चलाने के लिए देह बेचने को मजबूर हैं. पहले ही कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहे देश पर 2021 में सैन्य तख्तापलट की मार पड़ी, जिससे अर्थव्यवस्था चरमरा गई. इस राजनीतिक संकट के बाद से महंगाई और बेरोजगारी में जबरदस्त इजाफा हुआ. फरवरी 2021 में सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से लाखों लोग मुश्किल जीवन जीने को मजबूर हैं.  

शिक्षित महिलाओं ने चुना देह व्यापार

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ऐसी ही एक महिला 'मे' का जिक्र किया गया है, जिन्होंने पिता की बीमारी और आर्थिक संकट से जूझते हुए देह व्यापार का रास्ता अपनाया. वह एक डॉक्टर थीं, लेकिन लगातार बढ़ती कीमतों और जरूरतों के चलते उन्हें यह काम करना पड़ा. मे बताती हैं कि वह 'डेट गर्ल्स' के जरिए पुरुषों के साथ सेक्स करके गुजारा कर रही हैं. कई शिक्षित महिलाएं, जिनमें डॉक्टर, टीचर और नर्स शामिल हैं, अब अपने जीवनयापन के लिए इसी पेशे का सहारा ले रही हैं. 

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तख्तापलट से बंद हुए कारखाने 

म्यांमार में कपड़ों की फैक्ट्रियों को ग्रामीण महिलाओं के लिए जीवनरेखा माना जाता था. 2026 तक इन फैक्ट्रियों में 16 लाख महिलाओं को रोजगार मिलने का टार्गेट था. लेकिन सैन्य तख्तापलट के बाद कई कारखाने बंद हो गए और कंपनियां देश छोड़कर चली गईं. इसका सबसे बुरा असर ग्रामीण महिलाओं पर पड़ा, जो अब बेरोजगारी और गरीबी का सामना कर रही हैं.  

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देश की हालात खराब

देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोई ठोस सुधार होता नहीं दिख रहा. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों पर घूमती महिलाओं की संख्या बढ़ गई है. आधा दर्जन महिलाओं ने बताया कि वह पुरुषों के साथ संबंध बनाकर जीवनयापन कर रही हैं. यह स्थिति सिर्फ आर्थिक संकट का परिणाम नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ती असमानता और महिलाओं की असुरक्षा को भी उजागर करती है.  

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आर्थिक संकट का असर

म्यांमार की यह कहानी बताती है कि कैसे राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक असमानता ने लाखों महिलाओं को उनके पेशे से अलग कर, उन्हें मजबूर कर दिया. यह संकट न केवल म्यांमार के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स संगठन के लिए भी चिंता का विषय है.  

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