चुनाव के बीच प्रशांत किशोर ने बता दिया किसकी बनेगी सरकार! नई सरकार बनने पर क्या होंगे बदलाव? जानिए
पीके इस इंटरव्यू में ने कहा कि, राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत पेट्रोलियम, शराब और भूमि है. उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात से आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को GST के दायरे में लाया जाए.'
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Prashant Kishore: राजनीतिक विश्लेषक और जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव के बीच इंडिया टुडे से बातचीत की हैं. इस इंटरव्यू में पीके ने चुनाव में किस पार्टी को बहुमत मिलेगा? बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी? के साथ-साथ अगर मोदी सरकार एकबार फिर से आती है तो उसके कौन से बड़े फैसले होंगे? इन सभी सवालों पर विस्तार से बात की है. आइए आपको बताते हैं क्या-क्या कहा पीके ने.
'बीजेपी दुहरा सकती है अपना पिछला प्रदर्शन'
इंटरव्यू में प्रशांत किशोर से जब ये सवाल पूछा गया कि, लोकसभा चुनाव में बीजेपी आप कहा देखते है? इस सवाल के जवाब में पीके ने कहा कि, देश की जनता में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कोई बड़ा गुस्सा नहीं है. उन्होंने बीजेपी के लिए 300 सीटों का अनुमान लगाया है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव बीजेपी ने 303 सीटें हासिल की थी. इस बार के भी चुनाव में पार्टी अपना पिछला प्रदर्शन दुहरा सकती है.
बीजेपी को कैसे मिलेगी 300 सीटें?
प्रशांत किशोर ने इस बातचीत में इस बात की भी भविष्यवाणी की है कि आखिर तीसरी बार में बीजेपी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है. उन्होंने बीजेपी के लिए 300 सीटों का अनुमान लगाया है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव बीजेपी ने 303 सीटें कहां से हासिल कीं? 303 में 250 सीटें उत्तर और पश्चिम क्षेत्र से आईं.' प्रशांत किशोर ने कहा, 'देश के पूर्व और दक्षिण में बीजेपी के पास लोकसभा में लगभग 50 सीटें हैं, इसलिए माना जाता है कि पूर्व और दक्षिण में बीजेपी की सीट हिस्सेदारी बढ़ रही है. यहां 15-20 सीटें बढ़ने की उम्मीद है, जबकि उत्तर और पश्चिम में कोई खास नुकसान नहीं हो रहा है.'
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कैसी होगी मोदी 3.0 सरकार?
प्रशांत किशोर ने कहा, "मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी. केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का और भी ज्यादा कंसंट्रेशन होगा. 'पीके ने कहा अगले टर्म की सरकार में मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल बदलावों की भविष्यवाणी हो सकती है. प्रशांत किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि, केंद्र राज्यों को संसाधनों के डिस्ट्रीब्यूशन में देरी कर सकता है. उन्होंने कहा कि, 'केंद्र संसाधनों के हस्तांतरण में देरी कर सकता है और राज्यों के बजट से इतर उधारी लेने के नियम सख्त कर दी जाएगी.'
GST के दायरे में आ सकते है पेट्रोल-डीजल
पीके इस इंटरव्यू में ने कहा कि, राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत पेट्रोलियम, शराब और भूमि है. उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात से आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को GST के दायरे में लाया जाए.' आपको बता दने कि, फिलहाल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और नेचुरल गैस जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स GST के दायरे से बाहर है. हालांकि, उन पर अभी भी वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगते है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के दायरे में लाना पेट्रोलियम इंडस्ट्री की लंबे समय से मांग रही है. हालांकि राज्य इस मांग के खिलाफ है, क्योंकि राज्यों को इससे राजस्व का भारी नुकसान होगा.
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अगर पेट्रोल को GST के दायरे में लाया जाता है तो इससे राज्यों को टैक्स का नुकसान होगा और अपना हिस्सा हासिल करने के लिए राज्यों को केंद्र पर और ज्यादा निर्भर रहना होगा. मौजूदा समय में GST के तहत उच्चतम टैक्स स्लैब 28% है. पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है. इन्हें GST के दायरे में लाने पर इसको कैसे एडजेस्ट किया जाएगा ये भी देखना दिलचस्प ही होगा.
देखिए पीके के साथ बातचीत का वीडियो-
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