आखिर मतदान का डेटा प्रक्राशित होने में क्यों लगता है समय? जानें पूरी प्रक्रिया
मतदान के आंकड़े पहले से तय एक फॉर्मेट में भेजा जाता हैं, जिसे फॉर्म 17 C कहा जाता है. इसी फॉर्म में एक निश्चित समय तक की जानकारी लिख कर भेज दी जाती है. इस प्रकिया को एक दिन में दो से तीन बार अपनाया जाता है.
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Election Commission: देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के दो चरण सफलतापूर्वक समाप्त हो गए है. बुधवार को चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का आंकड़ा जारी किया. पहले चरण के मतदान होने के करीब 11 दिन बाद और दूसरे चरण के मतदान के करीब चार दिन बाद आंकड़ा जारी किया गया. देर से आंकड़ा जारी करने पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल खड़े किए. विपक्ष का कहना है कि आंकड़े जारी करने में इतनी देरी क्यों की गई. क्या डेटा के साथ कुछ छेड़-छाड़ किया गया है? चलिए जानते है डेटा प्रकाशित होने की पूरी प्रकिया क्या है?
बुधवार को चुनाव आयोग ने बैठक में तय किया कि आगामी चरणों में वोटिंग डेटा वेरिफिकेशन और रिलीज करने की रफ्तार बढ़ा दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक मतदान का डेटा हासिल करने की प्रकिया में पांच चरण होते हैं. बूथ, सेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी यानी रिटर्निंग अफसर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ और आखिर में आता है भारत का निर्वाचन आयोग.
मतदान के आंकड़े पहले से तय एक फॉर्मेट में भेजा जाता हैं, जिसे फॉर्म 17 C कहा जाता है. इसी फॉर्म में एक निश्चित समय तक की जानकारी लिख कर भेज दी जाती है. इस प्रकिया को एक दिन में दो से तीन बार अपनाया जाता है.
डेटा फॉर्म में दी जाती हैं बारीक से बारीक जानकारियां
मतदान के दिन बूथ पर मौजूद प्रिजाइडिंग ऑफिसर यानी बूथ इंचार्ज दोपहर एक बजे, फिर मतदान खत्म होने के बाद अमूमन शाम सात बजे तक अपने यहां मतदाता सूची में कुल मतदाता संख्या, डाले गए कुल वोट, पुरूष, महिला और थर्ड जेंडर के मतदाताओं का डेटा फॉर्म 17C में भरकर अपने-अपने सेक्टर के इंचार्ज के पास जमा करा देते हैं. इस फॉर्म में मतदान के दौरान हुई हर एक छोटी बड़ी घटना का विवरण होता हैं. मतदान केंद्र पर अगर किसी मतदाता ने शिकायत दर्ज कराई है या मतदान किसी भी वजह से रुका हो तो यह सारी जानकारियां फॉर्म में दर्ज होती हैं.
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चुनाव आयोग को भेजते है फाइनल डेटा
अलग-अलग सेक्टर से वेरिफाई होकर यह डाटा जिला निर्वाचन अधिकारी यानी रिटर्निंग अफसर से होते हुए राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ के पास पहुंचता है. सीईओ के दफ्तर में मौजूद विशेषज्ञों की टीम फॉर्म में लिखी सभी डिटेल्स को वेरिफाई करती है, ताकि किसी तरह की मानवीय चूक को दूर किया जा सके. फिर फाइनल डेटा को निर्वाचन आयोग को भेज दिया जाता है. यह प्रक्रिया बूथ स्तर पर दोपहर एक बजे तक की जाती है और फिर मतदान खत्म होने के बाद भी फाइनल डेटा भेजा जाता है.
डेटा को दिल्ली पहुंचने में लग जाते हैं 36 घंटे
अगर किसी लोकसभा या विधानसभा सीट पर देर शाम तक मतदान चलता है या फिर किसी दुर्गम जगह बूथ होता है तो डेटा अगले दिन सुबह 7-8 बजे तक आते रहते हैं. ऐसे में आयोग मुख्यालय तक आंकड़े पहुंचने में मतदान खत्म होने के बाद भी 36 घंटे तक का समय लग जाता हैं. हाल ही में विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप के बाद चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को प्रभावी, शीघ्र और सटीक ढंग से काम करने के लिए चुनावी तंत्र को सतर्क रहने का निर्देश दिया है. चुनाव आयोग उम्मीद कर रहा है कि आगामी पांच चरणों के मतदान के आंकड़े समय पर मिल जाएंगे, ताकि किसी को चुनावी प्रक्रिया और उसकी पारदर्शिता पर उंगली उठाने का मौका नहीं मिले.
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इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.
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