बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 में से 9 दोषी फरार, SC ने 2 हफ्ते में जेल जाने का दिया था अल्टिमेटम

राजू झा

• 05:41 AM • 12 Jan 2024

बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों को दोबारा जेल भेजने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मामले से जुड़े 11 में से 9 दोषी फैसले के बाद से फरार बताए जा रहे हैं. वे अपने घरों पर नहीं हैं और सभी के घरों पर ताले लगे हुए हैं.

Bilkis Bano

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Bilkis Bano Gangrape Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों को दोबारा जेल भेजने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मामले से जुड़े 11 में से 9 दोषी फैसले के बाद से फरार बताए जा रहे हैं. वे अपने घरों पर नहीं हैं और सभी के घरों पर ताले लगे हुए हैं. हालांकि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को पलटते हुए दो सप्ताह के अंदर दोषियों को जेल भेजने का आदेश जारी किया है. मलतब सभी फरार दोषियों के पास दो सप्ताह का समय है कि वो खुद को सरेंडर कर दें, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

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गैंगरेप के 11 में से 9 आरोपी रंधिकपुर और सिंगवाड गांवों में रहते हैं. फैसले के बाद से ही इनके घरों पर ताले लगे हुए हैं. हालांकि हर घर के बाहर एक पुलिसकर्मी तैनात है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद कोई भी दोषी अपने घर पर नहीं मिला और उनके रिश्तेदार भी इस बात को लेकर खामोश हैं कि आखिर वे नौ लोग कहां गए.

फरार दोषियों को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने X पर लिखा- ‘गुजरात और केंद्र सरकार ने मिलकर बिलकिस बानो केस के दरिंदों को रिहा किया. फिर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यह 11 दोषी वापस जेल जायें. अब 11 में से 9 दोषी दाहोद जिले के रंधिकपुर और सिंगवड से लापता हो गए हैं. ‘𝐕𝐢𝐛𝐫𝐚𝐧𝐭 𝐆𝐮𝐣𝐚𝐫𝐚𝐭 जारी है!’

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था?

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने बिलकिस बानों गैंगरेप मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 8 जनवरी को सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को फटरकार भी लगाई, साथ में 11 दोषियों को दोबारा जेल में भेजने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब गुजरात पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि, आरोपियों की तलाश के लिए पुलिस ने 6 टीमें बनाई हैं, जो रिश्तेदारों से चर्चा कर आरोपियों की तलाश शुरू करेगी.

जिन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा जेल भेजने के आदेश दिए हैं, उनके नाम जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना हैं. इन दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं. चुनौती देने वालों में बिलकिस बानो के अलावा सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लॉल और टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं.

क्या है पूरा मामला?

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं. बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 21 साल की थी और 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया. 21 जनवरी 2008 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. स्पेशल कोर्ट ने 7 दोषियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. जबकि, एक दोषी की मौत ट्रायल के दौरान हो गई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही बिलकिस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया था.

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