अपने ‘संस्थापक’ शरद पवार की नहीं रही NCP! पार्टी-सिंबल दोनों मिले अजित को, EC ने दिया ये फैसला

NewsTak

• 03:42 PM • 06 Feb 2024

NCP news: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अब अपने संस्थापक शरद पवार की ही नहीं रही. मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है.

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Sharad Pawar news: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अब अपने संस्थापक शरद पवार की ही नहीं रही. मंगलवार को चुनाव आयोग ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसकी कल्पना भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार होने वाले शरद पवार ने कभी नहीं की होगी. चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को ही “असली” एनसीपी घोषित कर दिया है. फिलहाल चुनाव आयोग ने भले ही इस विवाद का निपटारा कर दिया हो, लेकिन शरद पवार गुट अब इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा है.

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आपको बता दें कि जुलाई 2023 में एनसीपी में तब फूट पड़ी थी जब अजित पवार ने अपने चाचा और एनसीपी संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत की थी. तब अजित पवार महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार के गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है. इसे ‘असली’ एनसीपी घोषित किया है और इसे एनसीपी का चुनाव चिन्ह दीवार घड़ी आवंटित कर दिया है.

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इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘हमारे वकीलों द्वारा प्रस्तुत पक्ष को सुनने के बाद चुनाव आयोग द्वारा दिए गए फैसले को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं.’ चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर शरद पवार को छूट देते हुए अपने नए राजनीतिक दल का नाम तय करने के लिए बुधवार शाम 4 बजे तक का समय दिया है.इसके लिए उनसे तीन नाम मांगे गए हैं.

चुनाव आयोग का फैसला दोनों गुटों की कानूनी टीमों द्वारा छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद आया है. अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट की कानूनी टीम में मुकुल रोहतगी, नीरज कौल, अभिकल्प प्रताप सिंह, श्रीरंग वर्मा, देवांशी सिंह, आदित्य कृष्णा और यामिनी सिंह शामिल थे. शरद पवार गुट की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी, कामत समेत टॉप एडवोकेट्स ने दलीले दी थीं.

चुनाव आयोग ने कहा है कि इस फैसले को सुनाते वक्त मामले की पोषणीयता से जुड़े सारे पक्षों का विश्लेषण किया गया है. इनमें पार्टी के संविधान के उद्देश्य के साथ-साथ संगठन और विधायी स्थिति में मौजूद बहुमत का परीक्षण भी किया गया है.

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