अमित शाह ने बता दिया चुनाव में क्या रहेगा BJP का स्कोर, वसुंधरा-शिवराज के ‘भविष्य’ पर भी बोले

देवराज गौर

15 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 15 2023 2:32 PM)

अगर किसी नेता को लगता है कि केंद्र की राजनीति से मन भर गया है और वह राज्य में जाना चाहता है तो यह पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह उस नेता की योग्यता के आधार पर उसके निर्णय पर विचार करे.

अमित शाह ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के बारे में बताने के साथ-साथ राजस्थान और मध्यप्रदेश में वसुंधरा और शिवराज के राजनैतिक भविष्य के बारे में भी बताया है.

अमित शाह ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के बारे में बताने के साथ-साथ राजस्थान और मध्यप्रदेश में वसुंधरा और शिवराज के राजनैतिक भविष्य के बारे में भी बताया है.

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Amit Shah Interview: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का बहुत कुछ दांव पर लगा है. इन चुनावों को 2024 लोकसभा चुनावों से पहले का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. खासकर हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश (MP), राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजे काफी अहम हैं. MP में बीजेपी के सामने अपनी सरकार को बचाने की चुनौती है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसे वापसी करनी है. इस बीच बीजेपी के स्टार कैंपेनर और गृहमंत्री अमित शाह ने अपना कैलकुलेशन बताया है. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में शाह ने तमाम चुनावी रणनीतियों पर खुलकर बात की है. यह भी बताया है कि आखिर राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया और MP में शिवराज सिंह चौहान को चेहरा नहीं बनाने उनके सियासी भविष्य पर सवाल है या नहीं.

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आइए आपको इस इंटरव्यू की खास बातें बताते हैं.

शाह ने कहा है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत की संभावनाएं हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को एक प्रमुख कारण बताया है. शाह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आसान जीत की भी भविष्यवाणी की है. अमित शाह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा के चुनावी अभियान को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं. MP में BJP के सामने सत्ता विरोधी लहर की चुनौती है, जबकि कई सर्वे में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. पर शाह को लगता है कि बीजेपी ये तीनों राज्य जीत रही है.

उन्होंने कहा कि हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में हम जीतेंगे, बस मार्जिन अलग-अलग हो सकता है.

चुनावी राज्यों में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधायकी के लिए मैदान में उतरने के प्रश्न पर शाह कहते हैं कि

राजनीति में कोई एक निश्चित खाका नहीं होता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी नेता को लगता है कि केंद्र की राजनीति से मन भर गया है और वह राज्य में जाना चाहता है तो यह पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह उस नेता की योग्यता के आधार पर उसके निर्णय पर विचार करे.

मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजनीति में क्या है शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा का भविष्य?

बीजेपी ने इस बार वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को अंडरप्ले किया है. पार्टी ने राज्यों में उन्हें अपना चेहरा नहीं बनाया है. इस सवाल पर शाह कहते हैं कि वह सभी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, लीडरशिप का मुद्दा बाद में देखा जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व का बीजेपी का प्रयोग उसे नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि पिछले तीन दशक में पहले भैरो सिंह शेखावत और अब वसुंधरा राजे बीजेपी का पर्याय बनी हुई हैं? इस पर अमित शाह कहते हैं कि “मैं ऐसा नहीं मानता”.

क्या तेलंगाना में बीजेपी के हाल खराब हैं?

इस सवाल पर अमित शाह कहते हैं कि तेलंगाना में बाद में चुनाव हैं. आप पांच दिन और बीत जाने दीजिए फिर हम देखेंगे कि चीजें कहां हैं. इन चुनावों का लोकसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस पर शाह कहते हैं कि हमने पिछले चुनाव में पांचों राज्यों को खो दिया था. लेकिन लोकसभा में हमने इन राज्यों की 80 फीसदी लोकसभा सीटों को जीता. अगर आप तेलंगाना को छोड़ दें जहां हमने ज्यादा कुछ नहीं जीता, अन्य राज्यों से हमने जिसमें मिजोरम भी है करीब 90 फीसदी लोकसभा सीटों को जीता.

जाति जनगणना और ओपीएस की मांग पर क्या करेंगे?

कांग्रेस की जाति जनगणना के वादे को लेकर शाह कहते हैं कि जनता जानती है कि कांग्रेस ने हमेशा से उनका विरोध किया है. उन्होंने काका कालेलकर और मंडल कमीशन की सिफारिशों को डीप फ्रीजर में डाल दिया था. वह सवाल करते हैं कि संसद में मंडल आयोग का विरोध किसने किया? उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से इनकार कर दिया. ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीसी)पर शाह से पूछा गया कि हिमाचल जैसे राज्यों में ओपीएस की बहाली एक बड़ा चुनावी मुद्दा था, जहां भाजपा हार गई. इस पर शाह कहते हैं कि

यह सच है कि कई लोग पुरानी पेंशन योजना की वापसी की मांग कर रहे हैं. लेकिन, हमें संसाधनों की उपलब्धता और बजटीय बाधाओं को भी देखना होगा. इसकी जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है.

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