सीएम बीरेन सिंह के घर पर भी हमले की कोशिश, चार महीने से क्यों सुलग रहा है मणिपुर?

देवराज गौर

• 01:58 PM • 29 Sep 2023

मणिपुर में महीनों से चल रही हिंसा फिर बड़े पैमाने पर भड़क गई है. इम्फाल में भीड़ ने यहां के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खाली…

newstak
follow google news

मणिपुर में महीनों से चल रही हिंसा फिर बड़े पैमाने पर भड़क गई है. इम्फाल में भीड़ ने यहां के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खाली पड़े पैतृक घर पर हमला करने की कोशिश की. फोर्स ने गुस्साई भीड़ को घर से 100 मीटर की दूरी पर ही रोक लिया. यह तब हुआ जब इंफाल वैली में कर्फ्यू की स्थिति है. इससे पहले भीड़ बीजेपी के एक मंडल ऑफिस को भी जला चुकी है. सवाल यह है कि मणिपुर में आखिर क्या हुआ है कि यहां हिंसा थम ही नहीं रही?

यह भी पढ़ें...

पहले हालिया हिंसा के पीछे की वजह जान लेते हैं. पिछले दिनों मणिपुर में इंटरनेट चालू हुआ, तो दो मैतेई युवाओं की डेड बॉडी की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. ये दोनों जुलाई से लापता थे. इसके बाद इंफाल में फिर हिंसा शुरू हो गई.

क्या है मामलाः

असल में मणिपुर में मैतेई और कुकी, दो समुदायों के बीच हिंसा भड़की हुई है. 19 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट ने मणिपुर सरकार को चार सप्ताह के भीतर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) कैटेगरी में शामिल करने के अनुरोध पर विचार करने को कहा. कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को एक सिफिरिश भेजने को कहा. ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) मणिपुर ने 3 मई को इसके विरोध में इंफाल से करीब 65 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर जिले के तोरबंद इलाके में आदिवासी एकजुटता मार्च रैली का आयोजन किया. उसी रैली से हिंसा भड़क गई. हिंसा की शुरुआत किसने की, इसका पता अभी तक नहीं लगाया जा सका है.

अब बैकग्राउंड समझिएः

मणिपुर की आबादी करीब 30 लाख है. इसमें मैतेई समुदाय बहुसंख्यक है. इसमें ज्यादातर हिंदू हैं, कुछ मुस्लिम भी हैं. ये मैदानी इलाकों में रहते हैं. मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही जनजातियों में एक कुकी जनजाति है, जो पहाड़ों में रहती है और ईसाई धर्म को मानती है. विरोध कर रही जनजातियों का कहना है कि मैदानी इलाकों में रह रहे मैतेई समुदाय की अलग-अलग जातियों को उनकी सामाजिक परिस्थितियों के हिसाब से ओबीसी और एससी के साथ आर्थिक रूप से पिछड़ा होने का आरक्षण पहले ही मिला हुआ है. यह पूरा मामला जमीन से जुड़ा हुआ है. विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दे दिया गया तो वह उनके क्षेत्र में घुस आएंगे जिससे उनकी जमीनों के लिए कोई सुरक्षा नहीं बचेगी.

यही वजह है कि कुकी समुदाय खुद को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहा है. छठी अनुसूची संविधान द्वारा कुछ विशेष क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान करती है. अभी छठी अनुसूची उत्तर पूर्वी क्षेत्र में असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के लिए लागू होती है. ये जनजातियों की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण अनुसूची है.

 

    follow google newsfollow whatsapp