एयरपोर्ट पर डीके शिवकुमार से यूं ही मिले चंद्रबाबू नायडू या ये है DK और PK का बड़ा खेल?

रूपक प्रियदर्शी

29 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 29 2023 1:34 PM)

प्रशांत किशोर और टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात ने आंध्र प्रदेश का सियासी टेंपरेचर बढ़ाया हुआ है. विजयवाडा में पीके और चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के बाद चर्चा तेज है कि जगन मोहन को हराने के लिए पीके और चंद्रबाबू नायडू साथ आ सकते हैं.

Chandrababu Naidu and DK Shivkumar

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News Tak : प्रशांत किशोर और टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात ने आंध्र प्रदेश का सियासी टेंपरेचर बढ़ाया हुआ है. विजयवाडा में पीके और चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के बाद चर्चा तेज है कि जगन मोहन को हराने के लिए पीके और चंद्रबाबू नायडू साथ आ सकते हैं. इसी के साथ ये चर्चा भी है कि कहीं चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस के बीच दोबारा अलायंस का माहौल तो नहीं बन रहा है?

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कांग्रेस के डीके शिवकुमार के साथ आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की क्या हुई बातचीत

इस थ्योरी को पुश तब और मिला जब बेंगलुरू एयरपोर्ट पर चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात कांग्रेस के क्राइसिस मैनेजर और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिव कुमार से हो गई. स्टाफ और सिक्योरिटी स्टाफ के साथ डीके और नायडू ने मुस्कुराते हुए फोटो तो खिंचवा ली लेकिन फिर डीके हाथ पकड़कर चंद्रबाबू को साइड ले गए और फिर होने लगी कानाफूसी.

एयरपोर्ट पर ऐसी छोटी मुलाकात में अलायंस पक्के नहीं होते लेकिन माहौल जरूर बन जाता है. डीके कांग्रेस हाईकमान के करीबी हैं. आंध्र प्रदेश के सबसे पड़ोसी राज्य तेलंगाना चुनाव में डीके ने जमकर कांग्रेस को जिताने का काम किया था. तेलंगाना के पूर्व सीएम रेवंत रेड्डी भी कांग्रेस में आने से पहले चंद्रबाबू नायडू के बेहद करीबी नेता माने जाते थे.

आंध्र प्रदेश में टीडीपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर राहुल गांधी को सलाह

27 दिसंबर को चुनावी तैयारियों को लेकर आंध्र प्रदेश कांग्रेस के नेता पर राहुल गांधी और खड़गे से मिलने दिल्ली पहुंचे थे. बात हुई कि तेलंगाना के बाद कैसे आंध्र प्रदेश भी जीत सकते हैं. राहुल गांधी आंध्र प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा लेकर भी गए थे. यात्रा का रिस्पॉन्स भी बढ़िया था. राहुल, खड़गे से बैठक में आंध्र प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सलाह दी थी कि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी से अलायंस के बारे में सोचना चाहिए. राहुल ने इनकार नहीं किया. कहा तो बस इतना कि 2 परसेंट वोट शेयर को 15 पर ले जाने पर सोचिए.

अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण को लगा है इस बात से झटका

चंद्रबाबू नायडू के पुराने दोस्त हैं एक्टर से पॉलिटिशियन बने पवन कल्याण. तेलंगाना में पवन कल्याण ने बीजेपी के साथ अलायंस किया हुआ है. चंद्रबाबू जेल गए तो पवन कल्याण ने समर्थन में सड़क पर लेट-लेटकर विरोध जताया. जनसेना पार्टी के कार्यकर्ता टीडीपी कार्यकर्ताओं के कंधे से कंधा मिलाकर गिरफ्तारी से हल्ला मचाते रहे. चंद्रबाबू नायडू ने प्रशांत किशोर वाली बात पवन कल्याण से भी छुपाकर रखी. जिस दिन विजयवाड़ा में नायडू और पीके मिले उस दिन पवन कल्याण भी विजयवाडा में थे लेकिन उनको हवा तक नहीं लगने दी. इससे पवन कल्याण को बड़ा धक्का लगा है.

कांग्रेस और टीडीपी पहले भी कर चुके हैं गठबंधन

चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस एक दूसरे के लिए अनजान नहीं हैं. 2018 तक चंद्रबाबू नायडू एनडीए में होते थे. अलग हुए तो मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए जिसमें जीत मोदी सरकार की हुई. 2018 में तेलंगाना के लिए टीडीपी और कांग्रेस में अलायंस हुआ था लेकिन 2019 में कांग्रेस ने टीडीपी के साथ अलायंस से मना करके अकेले चुनाव लड़ा था. लोकसभा और विधानसभा दोनों के नतीजे भयावह रहे. 175 में से 151 सीटें जीतकर जगन मोहन रेड्डी जीत गए. कांग्रेस जीरो, टीडीपी 23 पर निपट गई.

आंध्र प्रदेश में पांच साल बाद एंट्री ले रहे हैं पीके

जगन मोहन को हराने के लिए कांग्रेस-चंद्रबाबू को एक दूसरे की जरूरत महसूस हो सकती है. प्रशांत किशोर इसकी कड़ी बन सकते हैं. नायडू से मिलने से ठीक पहले प्रशांत किशोर ने बयान दिया कि वो कांग्रेस विचारधारा के करीब हैं. इसी के बाद वो नायडू से मिले और कांग्रेस-टीडीपी अलायंस की अटकलें लगने लगी. प्रशांत किशोर ने ये कन्फर्म किया है कि वो चंद्रबाबू नायडू से मिले लेकिन शिष्टाचार के नाते. चुनाव के समय ऐसी शिष्टाचार मुलाकातें राजनीति में बड़े-बड़े गुल खिलाती रही हैं.

हालांकि बिना कन्फर्मेशन के कहना मुश्किल है कि प्रशांत किशोर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के लिए काम कर रहे हैं या नहीं.

प्रशांत किशोर के जरिए चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस में कोई बात हो रही है या नहीं. ये भी पता नहीं कि पीके और कांग्रेस टच में हैं या नहीं लेकिन अगर ऐसा हो तब भी कोई हैरानी नहीं होगी. आंध्र प्रदेश में 5 साल बाद पीके एंट्री ले रहे हैं. पिछले चुनाव में उन्होंने जगन मोहन के लिए काम किया था. उनकी पुरानी कंपनी आईपैक तो आज भी जगन के लिए काम कर रही है. अब हो सकता है पीके जगन के खिलाफ चंद्रबाबू नायडू के लिए काम करे. पीके की एंट्री से जगन कैंप में भी बेचैनी है. एक तो पीके को जगन के सारे दांव-पेंच पता है. कांग्रेस भी पीके चंद्रबाबू के साथ आ गई तो सारा खेल पलट सकता है.

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