दलित+आदिवासी! मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में मायावती की नई सोशल इंजीनियरिंग को समझिए

देवराज गौर

10 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 11 2023 11:26 AM)

असेंबली इलेक्शन 2023ः मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती राज्य की किसी भी प्रमुख दल के साथ…

दलित और आदिवासियों को लेकर क्या है मायावती की नई सोशल इंजीनियरिंग

दलित और आदिवासियों को लेकर क्या है मायावती की नई सोशल इंजीनियरिंग

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असेंबली इलेक्शन 2023ः मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती राज्य की किसी भी प्रमुख दल के साथ गठबंधन करने से बच रही हैं. हालांकि, वह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ चुनावों में उतरने की तैयारी कर रही हैं. जीजीपी के साथ चुनाव लड़ने की मायावती की क्या है रणनीति और दलित+आदिवासी फॉर्मूला जानिए.

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पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग की घोषणा के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मिजोरम को छोड़कर राजस्थान व तेलंगाना में अकेले चुनाव में उतरेगी. वहीं बसपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीजीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. 230 विधानसभा सीटों वाले राज्य मध्यप्रदेश में बसपा 178 तो जीजीपी 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. छत्तीसगढ़ में 90 सीटों में से 53 पर बसपा और 37 पर जीजीपी अपने प्रत्याशा उतारेगी.

क्या है रणनीतिः

इस रणनीति से दलित और आदिवासी वोटर साथ में आएंगे, जिससे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसपा के वोट शेयर में बढ़त मिल सकती है. इसे बसपा का नया सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला कहा जा रहा है.

मध्यप्रदेश में 47 ST और 35 SC रिजर्व सीटें हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो 29 ST और 10 SC रिजर्व सीटें हैं.

जनसंख्या के हिसाब से एमपी में 17% दलित और 22% आदिवासी है, वहीं छत्तीसगढ़ में 15% दलित और 32% आदिवासी हैं.

लोकसभा को भी साधना चाहती हैं मायावती

बसपा इस गठबंधन के माध्यम से 2024 के लोकसभा और 2027 के यूपी के विधानसभा चुनाव में भी फायदा देख रही है. बसपा की नजर यूपी में मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली जैसे जिलों पर है जहां गोंड वोटरों की सघन आबादी है जो जीजीपी के समर्थक हैं.

यूपी के समीकरणों पर भी है नजर

यूपी की 403 विधानसभा सीटों में सिर्फ 2 सीटें ही ST रिजर्व हैं और करीब 2% आदिवासी वोट है जो कि करीब 17 जिलों में फैले हुए हैं. बसपा की नजर इसी वोट बैंक पर है, जिसे वो आने वाले चुनावों में अपने पाले में करना चाहती है. गौरतलब है कि जीजीपी 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ी थी. 2017 के चुनावों में उसने 11 प्रत्याशा उतारे थे जिनकी जमानत जब्त हो गई थी.

“मायावती मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बहाने लोकसभा और 2027 में होने वाले विधासभा चुनावों को साधना चाहती हैं.”

दोनो राज्यो में क्या रही है पार्टी की स्थिति

जीजीपी 2018 के एमपी और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भी एक भी सीट जीतने में असफल रही थी. वहीं बसपा एमपी में 2 सीटों के साथ 5.01% वोट शेयर हासिल करने में कामयाब रही थी. वहीं छत्तीसगढ़ में भी बसपा को 2 सीटों के साथ 3.87% वोट शेयर मिला था.

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