IIT से इंजीनियरिंग किए छात्रों को नौकरी नहीं, राहुल गांधी ने कहा BJP लाई 'बेरोजगारी की बीमारी'

रूपक प्रियदर्शी

03 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 3 2024 5:58 PM)

IIT बॉम्बे में बेरोजगारी की इसी रिपोर्ट को शेयर करते हुए राहुल गांधी ने इसे 'बेरोजगारी वाली बीमारी' का नाम दे दिया और उन्होंने कहा कि, देश को ये बीमारी बीजेपी ने दिया है.

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Job crisis in IIT: क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि IIT  में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भी किसी को नौकरी न मिले. अब कल्पना करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब ऐसा हो रहा है. हाल ही में आए आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो साल से IIT मुंबई के 32 से 36 फीसदी इंजीनियर्स को नौकरी नहीं मिल रही. वैसे तो इंस्टिट्यूट में हर साल दिसंबर से फरवरी तक प्लेममेंट कैंप लगता है. बड़ी-बड़ी कंपनियां शानदार पैकेज ऑफर देकर IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री लिए युवाओं को नौकरी देती हैं लेकिन पिछले साल 32 फीसदी और इस साल करीब 36 फीसदी इंजीनियरों को कोई ऑफर नहीं मिला. 

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IIT देश का सबसे प्रतिष्ठित ब्रैंड है. माना जाता रहा है कि IIT, IIM से डिग्री ले ली तो बेहद शानदार करियर की गारंटी होती है. National Institutional Ranking Framework के मुताबिक देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में IIT मुंबई की रैकिंग नंबर 3 है. फिर भी अब उसके बनाए इंजीनियर्स की पूछ नहीं रही. देश में इस समय 23 IIT हैं. इसी साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने डेटा दिया कि पिछले 10 साल में मोदी सरकार ने ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर बनाने के लिए 7 नए IIT शुरू किए. सबसे पुराना IIT खड़गपुर में है जो 1950 में शुरू हुआ था. 

IIT बॉम्बे में भी जॉब की गारंटी नहीं?

IIT के इंजीनियरों को नौकरी न मिलने का खुलासा हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक IIT बॉम्बे में करीब 2 हजार इंजीनियर्स जॉब ऑफर का इंतजार कर रहे थे. प्लेसमेंट तो हुआ लेकिन सबकी नौकरी नहीं लगी. 700 से ज्यादा इंजीनियरों को कोई प्लेसमेंट नहीं मिला. IIT बॉम्बे में 2209 का एडमिशन हुआ. कोर्स पूरा करने के बाद 1485 तो नौकरी पा गए लेकिन 700 से ज्यादा लटक गए.

क्या है इस डेटा की सच्चाई?

 हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट का ये डेटा कैंपस प्लेसमेंट का है जिसका सीजन खत्म हो चुका है. वैसे इसके बाद भी किसी और तरीके से नौकरी के रास्ते बंद नहीं होते है. ऐसा माना जाता है कि IIT जैसे संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट होने से शानदार सैलरी, पैकेज वाली जॉब मिलती है. इस रिपोर्ट में सिर्फ कैंपस प्लेसमेंट के डेटा को शामिल किया गया है. 

वैसे IIT में प्लेसमेंट का सिस्टम ये है कि, कैंपस प्लेसमेंट के लिए IIT ही सैलरी, पैकेज का एक मिनिमम लेवल फिक्स करता है. प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियां उस लेवल या उससे ज्यादा सैलरी, पैकेज पर हायरिंग करती हैं. कंपनियों ने जो ऑफर दिए उसे बहुत सारे इंजीनियर्स ने ही रिजेक्ट कर दिए. कहा कि हम अपना देख लेंगे. 2200 में से सिर्फ 22 इंजीनियर्स को एक करोड़ का पैकेज ऑफर हुआ जबकि ऐसा होता नहीं है.

राहुल गांधी ने रिपोर्ट शेयर कर मोदी सरकार को जमकर घेरा 

IIT बॉम्बे में बेरोजगारी की इसी रिपोर्ट को शेयर करते हुए राहुल गांधी ने इसे 'बेरोजगारी वाली बीमारी' का नाम दे दिया और उन्होंने कहा कि, देश को ये बीमारी बीजेपी ने दिया है. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया साईट एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘बेरोज़गारी की बीमारी’ की चपेट में अब IIT जैसे शीर्ष संस्थान भी आ गए हैं. IIT बॉम्बे में पिछले वर्ष 32 फीसदी और इस वर्ष 36 फीसदी स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट नहीं हो सका. देश के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान का ये हाल है, तो कल्पना कीजिए बीजेपी ने पूरे देश की स्थिति क्या बना रखी है.' उन्होंने आगे लिखा, नरेंद्र मोदी के पास न रोज़गार देने की कोई नीति है और न ही नीयत है. वह सिर्फ भावनात्मक मुद्दों के जाल में फंसा कर देश के युवाओं को धोखा दे रहे हैं. 

मोदी सरकार पर निशाना साध, बता दिया अपना प्लान 

IIT मुंबई की ये हालत राहुल गांधी के लिए सरकार को घेरने के लिए मौका बनी. राहुल गांधी नौकरी, रोजगार को लेकर बहुत पहले से मोदी सरकार पर बरस रहे हैं. राहुल ये आरोप लगाते रहे हैं कि, मोदी सरकार ने 2 करोड़ नौकरियों के झूठ वादे किए. 10 लाख सरकारी खाली पदों पर भी भर्ती नहीं की. राहुल वादा कर चुके हैं कि, सरकार आई तो सेना में 4 साल वाली अग्निवीर योजना बंद कर देंगे. लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने नौकरी, रोजगार की यूथ गारंटी भी दी है. हालांकि राहुल गांधी ने जो गारंटी दी है वो कम से कम IIT से इंजीनियरिंग करने वालों के लिए भी कोई ऑप्शन नहीं है. 

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