बेटे के टिकट के लिए अमित शाह से मिलने आए ईश्वरप्पा, टाइम न मिलने पर कही हार नहीं मानने की बात 

रूपक प्रियदर्शी

04 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 4 2024 6:53 PM)

ईश्वरप्पा ने ठान लिया है कि बेटे का भविष्य बने या नहीं लेकिन वो हार नहीं मानेंगे. वैसे ईश्वरप्पा का रूठना नई बात नहीं है. विधानसभा चुनाव में भी ऐसे रूठे थे. तब पीएम मोदी ने खुद फोन करके मना लिया था लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई पूछ नहीं रहा है. 

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Lok Sabha Election Karnataka: लोकसभा चुनाव से पहले के एस ईश्वरप्पा का विद्रोह कर्नाटक में बीजेपी के गले की हड्डी बन गया है. ईश्वरप्पा को मनाने के लिए जो करना पड़ेगा उसके लिए बीजेपी उसके लिए तैयार भी नहीं है. असल लड़ाई है येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा के बीच जिसमें शामिल हैं दोनों के बेटे. झगड़े की जड़ में है लोकसभा चुनाव जिसके लिए ईश्वरप्पा अपने बेटे के लिए टिकट चाहते थे लेकिन टिकट मिल गया येदियुरप्पा के बेटे को. 

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येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा कर्नाटक बीजेपी में लगभग बराबर कद के नेता माने जाते हैं, जिन्होंने मिलकर प्रदेश में पार्टी को खड़ा किया. येदियुरप्पा सीएम बनते रहे लेकिन ईश्वरप्पा के हिस्से में हमेशा डिप्टी सीएम का कद ही आया. अब बेटों को सेट करने की लड़ाई में येदियुरप्पा, ईश्वरप्पा पर बहुत भारी पड़ गए. पार्टी हाईकमान ने येदियुरप्पा की साइड लेकर ईश्वरप्पा को अपना भला-बुरा सोचने के लिए फ्री कर दिया है. 

अमित शाह ने नहीं दिया मिलने का टाइम

अमित शाह कर्नाटक के दौरे पर आए थे. ईश्वरप्पा का मामला सुना-समझा. शिवमोगा की दावेदारी छोड़ने के लिए कहा. ईश्वरप्पा नहीं माने तो दिल्ली आकर मिलने को कहा. उम्मीद बंधी की अमित शाह मिल लेंगे तो मामला सुलझा जाएगा. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. डेक्कन हेरल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ईश्वरप्पा दिल्ली तो आए लेकिन अमित शाह ने उनसे मिलने से मना कर दिया. ईश्वरप्पा को अमित शाह के ऑफिस ने कहा कि, गृह मंत्री मुलाकात के लिए उपलब्ध नहीं हैं. ईश्वरप्पा ने पूछा कि मैं मिलने के लिए दिल्ली में इंतजार करूं या लौट जाऊं. शाह के ऑफिस ने कहा कि इंतजार करने के लिए जरूर नहीं, लौट जाइए. 

अमित शाह से ईश्वरप्पा से मुलाकात नहीं हुई. उनका इशारा समझ दिल्ली से खाली हाथ ईश्वरप्पा कर्नाटक लौट गए. वैसे ईश्वरप्पा ने ये एलान कर दिया है कि, 'अब कोई बातचीत नहीं होगी कहते हुए कई आरोप मढ़ दिए. उन्होंने कहा, पीएम मोदी कहते हैं कि कांग्रेस में परिवारवाद है. कर्नाटक में बीजेपी भी एक परिवार के हाथों में है. परिवार से पार्टी को मुक्त किया जाना चाहिए.' 

कर्नाटक में बीजेपी की पहली पसंद बने हुए हैं येदियुरप्पा 

बीजेपी हाईकमान येदियुरप्पा पर मेहरबान है. पहले येदियुरप्पा के एक बेटे बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया. दूसरे बेटे बी वाई राघवेंद्र  को लोकसभा का टिकट दे दिया. कर्नाटक में डिप्टी सीएम रहे ईश्वरप्पा  के लिए हालात ऐसे बन गए हैं कि पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ेगा. तब भी जीतेंगे या नहीं, बेटे को सेट करा पाएंगे या नहीं, कोई गारंटी नहीं हैं.

ईश्वरप्पा मांगते रह गए कि, हावेरी से मेरे बेटे केई कांतेश को टिकट दे दो लेकिन पार्टी ने पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई को टिकट दिया. अब ईश्वरप्पा आरोप लगा रहे हैं कि, येदियुरप्पा ने वादा तोड़कर बेटे का टिकट कटवाया. ईश्वरप्पा अड़ गए हैं कि अब वो निर्दलीय येदियुरप्पा के बेटे के खिलाफ शिवमोगा से चुनाव लड़ेंगे. दूसरी शर्त ये है कि येदियुरप्पा के दूसरे बेटे बीवाई विजयेंद्र से बीजेपी अध्यक्ष का पद लिया जाए. बीजेपी दोनों ही शर्तें मानने के मूड में नहीं है. 

हार नहीं मानेंगे ईश्वरप्पा 

ईश्वरप्पा ने ठान लिया है कि बेटे का भविष्य बने या नहीं लेकिन वो हार नहीं मानेंगे. कर्नाटक बीजेपी के सबसे पुराने नेताओं में से एक ईश्वरप्पा का रूठना नई बात नहीं है. विधानसभा चुनाव में भी ऐसे रूठे थे. तब तो सीनियर नेता का लिहाज करके पीएम मोदी ने खुद फोन करके मना लिया था लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई पूछ नहीं रहा है. 

मंड्या की सांसद सुमनलता अंबरीश भी अपनी सीट जेडीएस को दिए जाने से नाराज होकर बागी हो रही थी. अमित शाह से मुलाकात के बाद अंबरीश मान गईं. कुमारस्वामी का समर्थन करेंगी लेकिन ईश्वरप्पा का मामला येदियुरप्पा के बेटों से जुड़ा है, पार्टी ईश्वरप्पा के लिए येदियुरप्पा को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहती.

 

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