मशहूर न्यायविद, एडवोकेट फली एस नरीमन का निधन, ताउम्र रहे नागरिकों की व्यक्तिगत आजादी के पैरोकार

संजय शर्मा

• 04:58 AM • 21 Feb 2024

फली सैम नरीमन साल 1975 में भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे. उसी साल इंदिरा गांधी सरकार ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जिसका विरोध करते हुए उन्होंने अपने पद से स्तीफा दे दिया था.

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Fali S Nariman: प्रख्यात न्यायविद् और देश के वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन का निधन हो गया. उनकी उम्र 95 साल थी. वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे जिसकी वजह से आज उनका निधन हो गया. नरीमन देश के नामी वकील थे जिनकी प्रतिभा को भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मान देकर अलंकृत किया था. वे उम्र भर नागरिकों की व्यक्तिगत आजादी के बड़े पैरोकार रहें. फली नरीमन साल 1972 से 1975 तक तीन साल तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल(ASG) भी रहें.

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रंगून में पारसी परिवार में हुआ था जन्म

फली सैम नरीमन का जन्म 10 जनवरी 1929 को रंगून में एक पारसी परिवार में हुआ था. सैम बरियामजी नरीमन और बानो नरीमन उनके माता-पिता थे. सैम नरीमन ने अपनी स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल , शिमला से की फिर इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज , मुंबई से अर्थशास्त्र और इतिहास में बीए की पढ़ाई की. उसके बाद वे 1950 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से कानून की डिग्री (एलएलबी) हासिल की जहां उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया था जिसके लिए उन्हें किन्लॉक सम्मान से नवाजा गया गया था. सैम नरीमन के पिता शुरू में ये चाहते थे कि वे भारतीय सिविल सेवा कि परीक्षा पास करें लेकिन उस समय परिवार की उसका खर्च वहन नहीं कर सकता था, इसलिए उन्होंने कानून की पढ़ाई को विकल्प के रूप में चुना.

इमरजेंसी लगाने का विरोध कर दे दिया था इस्तीफा

फली सैम नरीमन साल 1975 में भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे. उसी साल इंदिरा गांधी सरकार ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जिसका विरोध करते हुए उन्होंने अपने पद से स्तीफा दे दिया था. फली नरीमन ने देश के कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में जिरह की. उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग(NJAC), सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन(SCAoR) जैसे मामले जिसके तहत जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम आया साथ ही अल्पसंख्यको के अधिकार से जुड़े TMA Pai केस अहम है जिसमे भी उन्होंने जिरह की थीं.

सैम नरीमन को साल 1991 में पद्म भूषण, 2007 में पद्म विभूषण और न्याय के लिए ग्रुबर पुरस्कार (2002) से सम्मानित किया गया था. वे भारत की संसद के उच्च सदन यानी राज्य सभा में साल 1999 से 2005 तक सदस्य भी रहें.

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