Hemant Soren Bail: जमीन घोटाले मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिली जमानत, 5 महीने से थे जेल में

अभिषेक

28 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 28 2024 1:04 PM)

Hemant Soren Granted Bail In Land Scam Case: पांच महीने से जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन निकलेंगे बाहर

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Former Jharkhand CM Hemant Soren: जमीन घोटाले मामले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने आज फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राहत देते हुए जमानत दे दी है. 13 जून को सुनवाई के दौरान ED और बचाव पक्ष की ओर से बहस पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. आज दिए अपने फैसले में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. आपको बता दें कि, जमीन घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने उन्हें 31 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया था. तभी से वो जेल में है. 

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जानिए क्या है वो मामला जिसमें जाना पड़ा था जेल 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमीन का घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है. जानकारी के मुताबिक सोरेन पर 31 करोड़ रुपये से अधिक की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप है. सोरेन पर ये मामला 2022 से ही चल रहा है. ED  उनपर मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत केस दर्ज कर जांच कर रही है. इस मामले में सोरेन को 14 अगस्त 2023 को पहला समन जारी किया गया था, उसके बाद से 10 समन जारी किये जा चुके है. इन समनों के बाद भी सोरेन ED के सामने पेश नहीं हुए. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद 31 जनवरी को कथित जमीन घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद से वह रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा जेल में हैं.

मिलीभगत से हुआ था जमीन हड़पने का पूरा खेल: ED 

जमीन घोटाले के इस मामले में ED ने 191 पन्नों की चार्जशीट में हेमंत सोरेन, राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानु प्रताप प्रसाद और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया है. उस जमीन को भी ED ने 30 मार्च को कुर्क कर लिया है जिसकी कीमत 31.07 करोड़ रुपये से अधिक है. केंद्रीय एजेंसी को 2022 में रांची के मोरहाबादी में रक्षा मंत्रालय की 4.55 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करते समय उपरोक्त भूमि घोटाले के बारे में भनक लगी थी. ED के मुताबिक, जांच में पाया गया कि पूर्व डीसी रांची छवि रंजन और भानु प्रताप प्रसाद (झारखंड सरकार के राजस्व विभाग के उप-निरीक्षक) सहित सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों में धोखाधड़ी करके कुछ निजी व्यक्तियों के एक समूह ने 8.86 एकड़ भूमि हड़प ली थी. 

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