Himachal Political Crisis: राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के 6 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया है. गुरुवार को दल-बदल विरोधी कानून के तहत सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का फैसला लिया गया. हिमाचल प्रदेश के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इन विधायकों ने कांग्रेस के व्हिप की अवहेलना की है, इसलिए इनपर दलबदल विरोधी कानून लागू होता है.
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फौरी तौर पर ऐसा माना जा रहा है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग और एक मंत्री की बगावत के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट को संभालने में कामयाब रही है. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बुधवार को बजट पारित किया. बागी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी कहा है कि जब तक नेताओं के साथ बातचीत समाप्त नहीं हो जाती, वह इस्तीफे के लिए दबाव नहीं डालेंगे.
इस बीच सियासी संकट से निपटने के लिए हिमाचल भेजे गए कांग्रेस के पर्यवेक्षकों भूपेंद्र हुड्डा, भूपेश बघेल और डीके शिवकुमार से सीएम सुक्खू की मुलाकात हुई है. माना जा रहा है कि सुक्खू का सीएम पद भी फिलहाल सुरक्षित है. यह संकट तब ज्यादा गहरा गया था जब पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सरकार के खिलाफ खुलेआम विरोध कर दिया था.
हिमाचल राजनीतिक संकट में अबतक ये सब हुआ
मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट देने के बाद कांग्रेस ने छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज अभिषेक मनु सिंघवी को भाजपा के हर्ष महाजन ने ड्रॉ के माध्यम से हरा दिया, दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले. अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा शामिल हैं. कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद कांग्रेस के बागी समेत 3 निर्दलीय विधायको ने कथित तौर पर पंचकुला में एक गेस्ट हाउस में डेरा डाला था.
ऐसे में विधानसभा में वित्त विधेयक पारित कराने के समय कांग्रेस सरकार के अल्पमत में आने का खतरा था. इस बात को भांपते हुए विपक्ष के नेता बीजेपी विधायक जयराम ठाकुर ने बुधवार सुबह ही राज्यपाल से मुलाकात की और यह सुनिश्चित कराने के लिए कहा कि वित्त विधेयक सिर्फ वोटिंग से पास होना चाहिए. बाद में स्पीकार कुलदीप सिंह पठानिया ने जय राम ठाकुर सहित 15 भाजपा विधायकों को 'दुर्व्यवहार' और कथित तौर पर स्पीकर के कक्ष में नारे लगाने के आरोप में निष्कासित कर दिया. इसके बाद कांग्रेस सरकार ने बहुमत से वित्त विधेयक पारित करा लिया.
जैसे ही पार्टी संकट को टालने में कामयाब रही, मुख्यमंत्री सुक्खू ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि न तो आलाकमान, न ही किसी और ने मुझसे इस्तीफा मांगा है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार राज्य में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. जैसे ही यहां संकट सामने आया दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षकों - भूपेश बघेल, भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को शिमला भेज दिया. ऐसा लगता है कि पार्टी का यह क्विक एक्शन अबतक उसके पक्ष में जा रहा है.
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