नोटों से भरी 10 अलमारी, 40 मशीनों से गिनती! कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ठिकानों से क्या मिला?

अभिषेक

11 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 11 2023 7:14 AM)

उनके ठिकानों पर इतना कैश मिला की उसको गिनने के लिए 40 मशीनें लगी थीं. अधिकारियों ने नोटों को 176 बैगों में भरकर रखा था. इतिहास में किसी एक ऑपरेशन में इतना कैश बरामदगी का नया रिकॉर्ड भी बना.

Dhiraj Sahu

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Income Tax raid on Dhiraj Sahu: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों से 354 करोड़ रुपए मिले हैं. आयकर विभाग की टीम सांसद के झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के 9 ठिकानों पर पिछले बुधवार से तलाशी कर रही थी जो पांच दिनों तक चली. उनके यहां से नोटों से भरी 10 आलमारी मिलीं. ठिकानों पर इतना कैश मिला की उसको गिनने के लिए 40 मशीनें लगी थीं. अधिकारियों ने नोटों को 176 बैगों में भरकर रखा था. इतिहास में किसी एक ऑपरेशन में इतना कैश बरामदगी का नया रिकॉर्ड भी बना.

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कौन हैं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू

धीरज साहू झारखंड के एक रसूखदार परिवार से आते हैं. इनका परिवार खानदारी रूप से कांग्रेस से जुड़ा रहा है. धीरज साहू 2019 में तीसरी बार राज्यसभा सांसद बने हैं. धीरज साहू ने झारखंड की चतरा सीट से दो बार किस्मत आजमाई लेकिन सफल नहीं हो सकें. झारखंड में कांग्रेस की चुनावी राजनीति और वित्तीय पोषण में साहू परिवार की हमेशा से ही अहम भूमिका रही है. उनका आवास कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था जिसकी वजह से उनके मकान को लोहरदगा का ‘व्हाइट हाउस’ भी कहा जाता है.

इलेक्शन एफिडेविट के मुताबिक धीरज साहू की संपत्ति 34 करोड़ रुपए है. उनपर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की देनदारियां है. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी के मारवाड़ी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया हुआ है. धीरज साहू पर अबतक कोई भी अपराधिक मामला दर्ज नहीं है. साहू के परिवार का मुख्य कारोबार शराब से जुड़ा हुआ है. इनके परिवार की ज्यादातर शराब कंपनियां ओडिसा में हैं. इनका रांची में सफायर इंटरनेशनल स्कूल और हास्पिटल भी है जो इनके भतीजे चलाते हैं.

इंदिरा गांधी के करीब रहा है इनका परिवार

धीरज साहू के पिता का नाम स्व.राय साहब बलदेव साहू है. धीरज साहू के कुल चार भाई हैं. जिनमें रांची से कांग्रेस सासंद रहे शिवप्रसाद साहू और एक भाई नंदलाल साहू का निधन हो चुका है. शिवप्रसाद साहू को कांग्रेस में इंदिरा गांधी के काफी करीबी माना जाता था. किसी जमाने में चुनाव प्रचार के दौरान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इनके यहां रुकती थीं. देश के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी के घर आ चुके हैं. धीरज साहू के बड़े भाई शिव प्रसाद साहू जो अब जिंदा नहीं हैं, उनके जमाने में झारखंड में सांसद, विधायक के चुनाव के लिए टिकट से लेकर मंत्री पद भी इस परिवार की सिफारिश पर तय होता था. उनके एक और भाई उदय साहू हैं. इन्हीं के जिम्मे परिवार का मुख्य कारोबार है.

आजादी के बाद अर्थव्यवस्था सुधारने परिवार ने दिया है योगदान

देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू आजादी के पहले और आजादी के बाद राय साहब बलदेव साहू के घर आए थे. देश जब आजाद हुआ तो आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. ऐसा कहा जाता है कि, उस दौर में बलदेव साहू ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत सरकार को 47 लाख रुपए और 47 किलो सोना दान में दिया था.

इनपुट- सत्यजीत

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