बिहार NDA के सीट बंटवारें में चाचा पशुपति को पछाड़ चिराग बने हीरो, कहानी पासवान परिवार की

रूपक प्रियदर्शी

19 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 19 2024 10:50 AM)

चाचा के खेल के बाद चिराग पासवान के पास न पार्टी रही, न सरकार में एंट्री हो पाई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार से LJP ने 6 सीटें जीती थी. भतीजे चिराग पासवान की आंखों के सामने से पूरी पार्टी अपने साथ ले उड़े.

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Bihar Paswan Family: रामविलास पासवान देश की राजनीतिक मौसम के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते थे. वे समाजवादी विचारधारा की राजनीति करते थे और दलित उत्थान उनका नारा होता था. लालू यादव, नीतीश कुमार, शरद यादव-रामविलास पासवान के पुराने दोस्त होते थे. लोक दल, जनता पार्टी, जनता दल, जनता दल यूनाइटेड सभी उनके दोस्त रहे लेकिन बार-बार टूटने वाले जनता परिवार से रामविलास जब उकता गए तब उन्होंने साल 2000 में अपनी पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी(LJP) बनाई थी. 

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एक वक्त बिहार में चिराग पासवान के साथ वही हुआ था जो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की NCP के साथ हुआ. बीजेपी की शह पर एकनाथ शिंदे शिवसेना और अजित पवार NCP तोड़कर बीजेपी के साथ चले गए. तब चिराग पासवान चाचा का खेल भांप नहीं पाए. कहा जाता है कि, बीजेपी की शह पर पशुपति पारस ने LJP के पांच लोकसभा सांसदों को लेकर पार्टी तोड़ दी थी. इसके इनाम में पशुपति पारस को मोदी सरकार में मंत्री का पद मिला था. 

तब चिराग पड़ गए थे अलग-थलग 

चाचा के खेल के बाद चिराग पासवान के पास न पार्टी रही, न सरकार में एंट्री हो पाई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार से LJP ने 6 सीटें जीती थी. भतीजे चिराग पासवान की आंखों के सामने से पूरी पार्टी अपने साथ ले उड़े. 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी बनाई लोक जनशक्ति पार्टी बेटे चिराग और भाई पशुपति पारस के बीच वर्चस्व की लड़ाई में बंट गई. बेटे चिराग पासवान के हिस्से में आई थी LJP रामविलास. भाई पशुपति पारस राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी चलाते थे. पार्टी को दो हिस्सों में बांटने का क्रेडिट पशुपति पारस को दिया जाता है. 

पीएम मोदी का हनुमान बन भतीजे चिराग के पलटा खेल 

पशुपति पारस का सब बढ़िया चल रहा था लेकिन वो बस एक गलती कर गए. भतीजे के एक खेल से उनकी बनी-बनाई राजनीतिक जमीन खिसक गई. चिराग खुद को मोदी का हनुमान बताते रहे और इसी बात को पशुपति पारस समझ नहीं पाए कि, हनुमान में पारस वाला गुण कौन देख रहा है. चिराग पासवान जब दिल्ली में NDA में शामिल होने आए तो पीएम मोदी ने उनको गले लगा लिया. बस यहीं से पासवान परिवार की राजनीति का चक्र ऐसा घूमा कि, पशुपति पारस अकेले लड़ गए हैं और ऐसा लगता है कि बीजेपी ने उन्हें त्याग दिया है.  

सीट बंटवारें में चिराग बने हीरो 

बिहार में NDA की पार्टियों का सीट बंटवारा फंसा हुआ था. हाजीपुर की सीट को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान का झगड़ा खत्म नहीं हो रहा था. सीटों का अलायंस फाइनल हुआ तो चिराग पासवान जीत गए. पिता रामविलास पासवान वाली सीट हाजीपुर भी मिली. उसके साथ चार और सीटें भी. पशुपति पारस को NDA की सीट शेयरिंग कुछ नहीं मिला. पशुपति पारस अब या तो अकेले लड़ें या किसी और अलायंस में जाएं फैसला उनको करना है क्योंकि बीजेपी तो चिराग पासवान के साथ चल पड़ी है. 

अब पासवान परिवार को भी जान लीजिए 

रामविलास पासवान ने दो शादियां की थी. पहली पत्नी राजकुमारी देवी जिनसे 1981 में तलाक लिए जाने का खुलासा 2014 में हुआ था. रामविलास की दूसरी पत्नी रीना शर्मा हैं जिनके बेटे चिराग पासवान हैं. रामविलास पासवान के दो भाई रहे-पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान. दोनों भाइयों को रामविलास पासवान ने राजनीति में हमेशा अपने साथ रखा. वैसे अब रामविलास और रामचंद्र पासवान दोनों नहीं रहे. 

2019 में LJP के जो 6 सांसद जीते थे उसमें एक बेटा चिराग पासवान था और दो भाई पशुपति और रामचंद्र पासवान थे. चिराग पासवान रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने वाली राजनीति कर रहे हैं. रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस पासवान पिता के निधन के बाद समस्तीपुर उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे. वो चिराग के साथ माने जाते है. इसके साथ ही अब परिवार के सबसे बड़े पशुपति कुमार पारस अकेले पड़ गए हैं. 

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