बार-बार जाती है संसद सदस्यता और फिर बन जाते हैं सांसद, जानिए मोहम्मद फैजल का पूरा किस्सा!

रूपक प्रियदर्शी

03 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 3 2023 10:32 AM)

पहली बार मोहम्मद फैजल की संसद सदस्यता जाने और बहाल होने की उतनी चर्चा नहीं हुई थी लेकिन जब राहुल गांधी को सजा हुई लगभग उसी समय उनकी संसद सदस्यता बहाल होने से फैजल का संसद वाला किस्सा मशहूर हो गया.

Faizal Mohammad, NCP, Supreme Court

Faizal Mohammad, NCP, Supreme Court

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News Tak: लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की संसद सदस्यता बड़े हिचकोले खाती रही है. कभी चली जाती है, कभी वापस आती है. फैजल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) के सांसद हैं. एक बार फिर फैजल की संसद सदस्यता बहाल हुई है. एक साल में दो बार मोहम्मद फैसल की संसद सदस्यता गई और वापस बहाल हुई. इस बार सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक लगने से राहत मिली है. संसदीय इतिहास में दो बार संसद सदस्यता जाने और बहाल होने का ये अनोखा मामला है.

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फैजल के पोर्टफोलियों में अपराध और राजनीति का है मेल

मोहम्मद फैजल की राजनीति में अपराध भी है और अपराध की राजनीति भी. मोहम्मद फैसल पर मर्डर का चार्ज साबित हो चुका है. 10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है. जेल भी होकर आए लेकिन कभी कोर्ट से सजा बहाल होती है, कभी सजा पर रोक लग जाती है. इससे मोहम्मद की संसदीय राजनीति बार-बार ठप होकर चालू हो जाती है.

लक्षद्वीप से पहली बार बने सांसद

मोहम्मद फैजल 2014 और 2019 में लक्षद्वीप से सांसद का चुनाव जीते. सांसद बनने से पहले मोहम्मद फैजल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद कांग्रेस नेता मोहम्मद सालिया पर हमले का आरोप था. आरोप साबित भी हुआ कि सालिया पर जिस भीड़ ने जानलेवा हमला किया उसका नेतृत्व फैजल कर रहे थे. चार लोगों को सजा हुई जिसमें एक मोहम्मद फैजल भी थे.

मोहम्मद फैजल पर हत्या का केस 2009 से चल रहा है. इस साल जनवरी में लक्षदीप के कवरत्ती लोअर कोर्ट ने 10 साल कैद, एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी. उन्हें केरल के कन्नूर सेंट्रल जेल भेजा गया था. सजा होते ही 11 जनवरी को उनकी सदस्यता सदस्यता खत्म हो गई. चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप में उपचुनाव अनाउंस कर दिया.

जन प्रतिनिधित्व कानून में 2 साल की सजा मिलने पर संसद या विधानसभा सदस्यता खत्म करने का प्रावधान है. लेकिन अगर सजा रद्द या रोक जाती है तो संसद सदस्यता बहाल हो जाती है. बशर्ते उस सीट पर नया चुनाव न हुआ हो. ऐसा ही केस राहुल गांधी का भी है जिसमें एक बार संसद सदस्यता खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद संसद सदस्यता बहाल हुई थी.

पहली बार मोहम्मद फैजल की संसद सदस्यता जाने और बहाल होने की उतनी चर्चा नहीं हुई थी लेकिन जब राहुल गांधी को सजा हुई लगभग उसी समय उनकी संसद सदस्यता बहाल होने से फैजल का संसद वाला किस्सा मशहूर हो गया. फैजल केरल हाईकोर्ट से अपने लिए राहत लाए. हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट का सजा वाला फैसला रद्द कर दिया. इससे फैजल की सजा पर रोक लग गई. उपचुनाव का आदेश भी रद्द हो गया. इससे फैजल की संसद सदस्यता फिर बहाल हो गई.

सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया फैसला

फैजल की सजा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी. अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने फैजल की सजा पर स्टे वाला आदेश पलट दिया और 10 साल की सजा बहाल कर दी. विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केस वापस केरल हाईकोर्ट भेजा था. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केरल हाईकोर्ट ने सजा पर फिर विचार किया और फैजल की 10 साल की सजा बरकरार रखी. अगले दिन यानी 4 अक्टूबर को लोकसभा ने एक बार फिर संसद सदस्यता रद्द कर दी. फैजल की संसद सदस्यता फिर चली गई. फिर 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी तो फिर सांसद बनने का रास्ता क्लियर हुआ.

दूसरी बार आई संसद सदस्यता

सुप्रीम कोर्ट से फैजल को राहत मिलने के बाद भी लोकसभा सचिवालय ने 23 दिन से सदस्यता बहाली को होल्ड पर डाला हुआ था. शरद पवार ने भी इस पर नाराजगी जताई थी. सुप्रिया सुले के स्पीकर से शिकायत करने के बाद फैजल की सदस्यता बहाली का नोटिफिकेशन निकला.
लोकसभा में एनसीपी के चार सांसद हैं. तीन महाराष्ट्र से हैं और चौथे पीपी मोहम्मद फैजल लक्षद्वीप से. बतौर सांसद फैजल का लोकसभा में रिकॉर्ड बढ़िया है. करीब 5 साल में फैजल की संसद में अटेंडेंस 81 परसेंट रही. उन्होंने 35 डिबेट में हिस्सा लिया और सरकार से प्रश्न काल में 223 सवाल पूछे.

भविष्य पर अभी भी बनी हुई है अनिश्चितता

भविष्य में मोहम्मद फैजल के लिए कुछ भी परमानेंट नहीं हैं. क्योंकि जिस हत्या के केस में सजा पर रोक लगी है वो केस अभी खत्म नहीं हुआ है. उन पर लगा हत्या का आरोप अभी तक बना हुआ है. अगले 6 महीने में फिर से चुनाव होंगे. हो सकता है फैजल फिर से चुनाव जीतकर सांसद भी बन जाएं लेकिन केस चलने तक उनकी संसद सदस्यता पर तलवार लटकती रहेगी.

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