पूर्वांचल की 4 सीटों बलिया, घोसी, चंदौली और मिर्जापुर में जातियों के भंवर में उलझ गया है NDA, समझिए 

News Tak Desk

• 03:42 PM • 31 May 2024

बलिया से बीजेपी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी से सनातन पांडेय प्रत्याशी है. सनातन पांडेय पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से उम्मीदवार थे तब वो बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त से नजदीकी मुकाबले में करीब 15000 वोटों वो हार गए थे.

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UP Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव सातवें और आखिरी फेज के लिए 1 जून यानी कल वोटिंग होगी. सातवें फेज में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की 57 सीटों के उम्मीदवारों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है.  इन 57 सीटों में यूपी की 13 सीटें भी शामिल है. चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे. यूपी की इन 13 सीटों में चार सीटें बलिया, मिर्जापुर, चंदौली और घोसी ऐसी है जिन पर एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. इन सीटों पर को बीजेपी को कड़ी चुनौती देखने को मिल रही है और पार्टी अपनी सीटें गंवा भी सकती है. यूपी में बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर है. वहीं बसपा के प्रत्याशी बेशक चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन वो अन्य पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं. कहीं बसपा से बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है तो कहीं सपा को हो रहा है. 

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बलिया में बीजेपी की तरफ से नीरज शेखर चुनावी मैदान में हैं जो पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे है. वहीं सपा ने सनातन पांडेय को टिकट दिया है. चंदौली में बीजेपी ने महेंद्र नाथ पांडेय को टिकट दिया है और सपा ने बिरेंद्र सिंह को दिया है. मिर्जापुर में NDA प्रत्याशी और अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का सामना सपा के रमेश चंद बिंद से हैं. घोसी में NDA उम्मीदवार अरविंद राजभर की टक्कर सपा के राजीव राय और बसपा के बालकृष्ण से हैं. इन चारों सीटों के प्रत्याशियों को देखकर समझा जा सकता है कि, मुकाबला एकतरफा नहीं बल्कि कांटे की टक्कर का है. आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है इन सीटों का चुनावी समीकरण. 

बीजेपी को नहीं मिल रहा राम मंदिर का फायदा!

लोकसभा चुनाव से पहले 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने यूपी में बीजेपी की राह आसान कर दी थी. विपक्षी पार्टियों का ये कहना था कि, बीजेपी ने चुनाव से पहले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा इसलिये करवाई जिससे वो हिंदू वोट अपने पाले में ला सके. लेकिन बीजेपी को क्या पता था कि हिंदू वोट जातियों में बिखर जायेंगे और बीजेपी जातियों के ऐसे भंवर में उलझ जायेगी जिसमें से बाहर निकलना पार्टी के लिए मुश्किल हो सकता है. जिस हिसाब से प्रत्येक पार्टी ने  बलिया, मिर्जापुर, चंदौली और घोसी सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे है. इससे साफ तौर पर समझ आता है कि, जातियों के वोट को साधने के लिए ऐसा किया गया है. 

आपको बता दें कि, इन चार सीटों में से तीन सीटों पर बीजेपी ने 2019 के चुनाव में ज्यादा मार्जिन से जीत नहीं मिली थी. यही वजह है कि, इन सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है और कोई भी पार्टी एकतरफा जीत नहीं रही है. 

समझिए इन चारों सीटों पर कैसे फंसा है पेंच

बलिया लोकसभा सीट की बात करें तो बीजेपी ने यहां से नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने सनातन पांडेय को मैदान में उतारा है. सनातन पांडेय पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से उम्मीदवार थे. बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त से नजदीकी मुकाबल में करीब  15000 वोटों वो हार गए थे. वैसे माना ये जाता है कि, ब्राह्मण बीजेपी के कोर वोटर है. सनातन पांडेय के चुनाव लड़ने से अगर वो ब्राह्मण वोट अपने खाते में ले आते है तो बीजेपी को काफी नुकसान देखने को मिल सकता है.

कुछ ऐसा ही समीकरण चंदौली में देखने को मिल रहा है. यहां पर सपा ने वीरेंद्र सिंह को चुनाव में उतारा है. जो राजपूत समुदाय से आते हैं. चंदौली सीट पर दिलचस्प बात ये है कि, बसपा ने यहां से मौर्य जाति का प्रत्याशी उतारा है. जबकि ऐसा देखा जाता है कि, मौर्य वोट बीजेपी को ज्यादा मिलता है. अब ऐसे में देखना ये होगा क्या इस बार मौर्य वोट बीजेपी को मिलेंगे या नहीं.

घोसी में बीजेपी को इस बार भूमिहार वोट कम मिलने की आशंका है. क्योंकि सपा ने यहां से भूमिहार प्रत्याशी राजीव राय को टिकट दिया है. घोसी में NDA के लिए दिक्कत ये भी है कि, बसपा के प्रत्याशी अनिल राजभर NDA के अरविंद राजभर के वोट काट सकते हैं.

लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर की सीट काफी चर्चाओं में बनी हुई है. अपना दल की अनुप्रिया पटेल जो NDA की तरफ से यहां से उम्मीदवार हैं पिछले दिनों राजा भैया के ऊपर बयान देकर फंस गई हैं. दरअसल, उन्होंने कहा था कि, अब रानी के पेट से राजा पैदा नहीं होते, EVM से होते है. इसके अलावा बसपा प्रत्याशी मनीष त्रिपाठी भी अनुप्रिया पटेल के कोर वोटर्स में सेंध मारी कर सकते हैं. कुल मिलाकर अनुप्रिया पटेल चारों ओर से घिरती नजर आ रही हैं. 

सपा ने रणनीति बनाकर उतारें प्रत्याशी 

समाजवादी पार्टी के बारे में अकसर कहा जाता है कि, वो यादव और मुस्लिमों को अधिकतर टिकट देती है. लेकिन उसने इस बार ऐसा नहीं किया है. सपा ने इस चुनाव में बेहतर रणनीति बनाकर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और खासकर इन चारों सीटों पर तो ऐसा ही दिखता है. सपा की ये तरकीब उसे कितना फायदा पहुंचाती है ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन हम कुछ पहलुओं पर नजर डालते हैं जिनसे NDA को बलिया, मिर्जापुर, चंदौली और घोसी में नुकसान हो सकता है.

फैक्टर 1- सपा ने चुनाव में अपने प्रत्याशी स्थानीय हवा के अनुसार उतारें है-  अगर हम बात करें बलिया सीट की तो सपा के सनातन पांडेय बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं क्योंकि पिछली बार भी वो करीब 15000 वोटों से हारे थे. ऐसे में अगर वो ब्राह्मण वोट खुद के लिए ले आने में कामयाब होते हैं. तो यह कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी हार भी सकती है. क्योंकि उन्होंने इस बार भी राजपूत प्रत्याशी उतारा है. ऐसे ही सपा ने घोसी से राजीव राय को टिकट दिया है. जिनका 2012 यूपी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण योगदान था. उनकी घोसी लोकसभा क्षेत्र पर अच्छी पकड़ भी है. राजीव राय इस संसदीय क्षेत्र में अरविंद राजभर को हरा भी सकते हैं.

फैक्टर 2- बसपा के प्रत्याशी नहीं देंगे टक्कर- इस चुनाव में सपा को बसपा के प्रत्याशियों से सीधी टक्कर देखने को नहीं मिलेगी. दिलचस्प बात ये है कि, बसपा बीजेपी के कोर वोटर्स में सेंध लगा रही है. इसके पीछे की वजह ये है कि, बसपा ने इन सीटों पर सवर्ण,  भूमिहार प्रत्याशी उतारे हैं.

यह स्टोरी न्यूज तक के साथ इंटर्नशिप कर रहे अवनीश चौधरी ने लिखी है. 

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