Sam Pitroda: सैम पित्रोदा कांग्रेस पार्टी के एक ऐसे चेहरे हैं जिन्हें न पार्टी को न निगलते बनता है न ही छोड़ते. पित्रोदा कई बार चुनावों के ऐन मौकों पर कांग्रेस पार्टी के शर्मिंदगी की वजह बने हैं. हाल का मामला लोकसभा चुनाव का है जब पित्रोदा ने इनहेरिटेंस टैक्स और लोगों के मूल वंश पर बयान देकर पार्टी की फजीहत कराई थी. तब आनन-फानन में कांग्रेस ने उनके बयान से पल्ला झाड़ लिया था और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया था. अब बीते दिन उन्हें फिर से अपने पद पर बहाल कर दिया गया है. चुनाव के नतीजे आए अभी महीना भर भी नहीं हुए की उनकी वापसी हो गई. आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है कांग्रेस में उनके वापसी की असली वजह.
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कांग्रेस में पित्रोदा की वापसी पर पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि, कांग्रेस ने पित्रोदा को इस आश्वासन पर लिया है की वह भविष्य में विवाद पैदा होने की गुंजाइश नहीं छोड़ेंगे. दूसरी तरफ बीजेपी को पित्रोदा के बहाने कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है. बीजेपी ने कहा कि उनकी कांग्रेस में वापसी 1984 के सिख विरोधी दंगों और पुलवामा में आतंकी हमला के बारे में उनकी सभी आपत्तिजनक और अशोभनीय टिप्पणियों पर पार्टी के समर्थन की मुहर लग गई है. बीजेपी ने यह भी पूछा कि क्या लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पित्रोदा की टिप्पणियों से खुद को दूर रखने का कांग्रेस का बयान सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाने और भ्रमित करने के लिए था?
1- क्या सैम पित्रोदा की वजह से कांग्रेस को नुकसान के बजाय फायदा हुआ?
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि, कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में जो बढ़त हासिल हुई है उसके पीछे राहुल गांधी का बार-बार दलितों-पिछड़ों और कमजोर तबकों की बात करना हो सकता है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि देश के सबसे कमजोर लोगों को यह महसूस हुआ है की राहुल गांधी उनकी आवाज बन रहे हैं. यही कारण रहा है कि बीजेपी को मिलने वाले पिछड़े और दलित वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुए हैं.राहुल गांधी के इर्द-गिर्द रहने वालों में सैम पित्रोदा सबसे खास रहे हैं. यह कहा भी जाता है कि राहुल पर जो कम्युनिस्ट विचारों की छाप है उसके पीछे सैम पित्रोदा का ही हाथ है. वैसे भी सैम पित्रोदा 2019 के चुनावों से ही विरासत टैक्स की बात करते रहे हैं. 2024 के चुनावों के ऐन पहले उन्होंने फिर विरासत टैक्स की बात की. हो सकता है राहुल गांधी और कांग्रेस को ऐसा महसूस हो रहा हो कि पार्टी की लोकसभा चुनावों में जीत का कारण गरीब समर्थित उनकी रणनीति रही हो. अगर कांग्रेस की विजय का आधार कहीं से भी राहुल की गरीब समर्थित छवि है तो जाहिर है कि पार्टी उस छवि को और मजबूत करना चाहेगी. हो सकता है कि भविष्य की योजनाओं के लिए सैम पित्रोदा की वापसी का प्लान तैयार किया गया हो.
2- क्या कांग्रेस की विदेशों में भी मोदी और बीजेपी पर लगातार हमले की है तैयारी?
कांग्रेस जिस तरह आजकल बीजेपी पर लगातार हमले कर रही है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है की पार्टी की तैयारी विदेशों में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को घेरने की है. यह सभी जानते हैं कि सैम पित्रोदा राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के मुख्य आयोजक रहे हैं. राहुल गांधी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान अक्सर शैक्षणिक संस्थानों में या विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करते हैं, उसके पीछे पित्रोदा ही होते हैं. फरवरी-मार्च, 2023 में लगभग एक सप्ताह के यूके दौरे के वक्त राहुल गांधी के कार्यक्रमों के पीछे पित्रोदा ही थे. इस यात्रा के दौरान कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक संबोधन, लंदन में चैथम हाउस थिंक टैंक में एक चर्चा और मीटिंग का आयोजन पित्रोदा ने ही कराया था. जिसमें भारतीय मूल के लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा भी शामिल हुए थे. इन मीटिंग्स में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना की थी, जिसकी चर्चा विदेशी मीडिया में खूब हुई थी.
ऐसा लगता है कि, कांग्रेस इसी सोच के तहत पित्रोदा की वापसी करवा रही है. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि, हमारे संगठन का मुख्य काम कांग्रेस पार्टी और गांधीवादी विचारधारा का संदेश भारत से बाहर फैलाना है. जाहिर है की पित्रोदा का विदेश में मजबूत नेटवर्क है, जिसे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व देश के बाहर अपना संदेश फैलाने में फायदेमंद मानता है. पित्रोदा का विदेशों, विशेषकर पश्चिम के अकादमिक हलकों से अच्छा संबंध है. वह पार्टी को विदेशों में कार्यक्रमों की योजना बनाने में मदद करते हैं. राजनयिक समुदाय के भीतर भी उनके अच्छे संबंध हैं. इसी का सहारा लेकर कांग्रेस प्रवासी भारतीयों के साथ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत करने के नाम पर भारतीय जनता पार्टी को विदेशों में टार्गेट करती है.
3- पित्रोदा के गांधी फैमिली से है पुराने संबंध
कांग्रेस में उनकी वापसी का एक और आधार यह है की गांधी परिवार से उनका रिश्ता बहुत पुराना है. पित्रोदा का पार्टी में महत्व गांधी परिवार के साथ उनके लंबे समय से चले आ रहे संबंधों के कारण है. जब पित्रोदा राजीव गांधी के लिए काम करते थे तो वे वेतन के रूप में 1 रुपये लेते थे. पित्रोदा हर सुख-दुख में गांधी परिवार के साथ खड़े रहे हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा कि, अब जब कांग्रेस पार्टी देश में थोड़ी बेहतर स्थिति में है तो वह इस दिग्गज नेता को नहीं छोड़ेगी. ये चीजें कांग्रेस के लिए बहुत मायने रखती हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में पहली बार कांग्रेस से जुड़ने के बाद वह 1989 में दूरसंचार आयोग के पहले अध्यक्ष बने थे. बाद में पित्रोदा ने 2005 से 2009 तक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के अधीन राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का नेतृत्व किया. 2009 में, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में लौटे, तो पित्रोदा को कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था.
(यह लेख संयम श्रीवास्तव ने आजतक के लिए लिखी है.)
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