संजीव बालियान ने की उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात पर इसमें कितना दम?

अभिषेक

02 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 2 2023 1:42 PM)

केंद्रीय राज्य मंत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता सांसद संजीव बालियान ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग की है. उन्होंने पश्चिमी यूपी…

Sanjeev Balyan

Sanjeev Balyan

follow google news

केंद्रीय राज्य मंत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता सांसद संजीव बालियान ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग की है. उन्होंने पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की बात करते हुए कहा कि इसकी राजधानी मेरठ होनी चाहिए. संजीव बालियान का तर्क है कि पश्चिमी यूपी की आबादी 8 करोड़ है और उच्च न्यायालय 750 किलोमीटर दूर है. पर संजीव बालियान ऐसे कोई पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने यूपी के बंटवारे की बात की हो. सवाल तो यह है कि क्या यूपी के बंटवारे का बीजेपी को कोई सियासी फायदा है या नुकसान है?

यह भी पढ़ें...

उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात सबसे पहले डॉ. अंबेडकर ने की थी. संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने अपनी किताब ‘Thoughts on Linguistic States’ में यूपी को तीन हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव दिया था. बंटवारे के अंबेडकर प्लान में प्रदेश को तीन हिस्सों में विभाजित करना था. तीनों हिस्सों की आबादी तकरीबन 2 करोड़ रखने की बात थी. एक की राजधानी मेरठ, दूसरी की कानपुर और तीसरे की इलाहाबाद (अब प्रयागराज) करने का प्रस्ताव था.

9 नवम्बर 2000 को यूपी से अलग कर उत्तराखंड नया राज्य बना. 2012 विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य को 4 भागों, अवध प्रदेश, बुंदेलखंड, पूर्वाञ्चल और पश्चिमी प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव पास कराया. तब समाजवादी पार्टी(SP) ने ‘अखंड उत्तर प्रदेश’ का नारा देते हुए इसका विरोध किया था. भाजपा, कांग्रेस ने भी मायावती के प्रस्ताव के विरोध में थे. राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के अध्यक्ष रहे दिवंगत नेता अजीत सिंह भी प्रदेश के पश्चिमी भाग को अलग कर ‘हरित प्रदेश’ बनाने की मांग कर चुके हैं.

वैसे यूपी के किसी हिस्से में बंटवारे की मांग को लेकर कोई बड़ा आंदोलन अबतक नहीं देखा गया है. बीजेपी नेता की हालिया मांग को भी 2024 के लोकसभा चुनावों की सियासत से ही जोड़कर देखा जा रहा है. RLD के मौजूदा चीफ और सांसद जयंत चौधरी INDIA अलायंस के साथ हैं. पश्चिमी यूपी में बीजेपी को विपक्षी गठबंधन से चुनौती मिल रही है. माना जा रहा है कि नई सियासी जमीन को तलाशने के लिए अब नए प्रदेश की मांग उठाई जा रही है.

    follow google newsfollow whatsapp