पापा YSR की सीट से चुनाव लड़ भैया जगन की टेंशन बढ़ाएंगी शर्मिला, ओपिनियन पोल में भी आंध्र सीएम का माहौल खराब, समझिए 

रूपक प्रियदर्शी

03 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 3 2024 10:20 AM)

खानदानी गढ़ कडप्पा पर शर्मिला का चैलेंज और पूरे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के साथ-साथ टीडीपी-बीजेपी अलायंस का चैलेंज जगन मोहन रेड्डी के लिए आगामी चुनाव में बड़ी मुश्किल पैदा कर दिया है.

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Andhra Pradesh News: आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव का प्रेशर सीएम जगन मोहन रेड्डी पर भारी पड़ रहा है. हर छोर से उनकी घेराबंदी हो गई है और जगन मोहन अकेले पड़ गए हैं. गैर तो गैर ठहरे, अपने भी उन्हें हराने की फिराक में हैं. वाईएसआर परिवार की खानदानी सीट पर जगन मोहन घिर गए हैं क्योंकि कांग्रेस ने उनकी बहन शर्मिला रेड्डी को जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएसआर वाली सीट कडप्पा से उम्मीदवार बना दिया है. कडप्पा से टिकट मिलने का मतलब ये हुआ कि वाईएस राजशेखर रेड्डी की विरासत पर शर्मिला रेड्डी का ऑफिशियल क्लेम है.

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कडप्पा लोकसभा सीट से शर्मिला रेड्डी की उम्मीदवारी का मतलब है कि, अब वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद लगातार हार रही कांग्रेस किसी बड़े करिश्मे की उम्मीद में तो नहीं है लेकिन कोशिश इतनी है कि, खोया हुआ जनाधार वापस आ जाए. वाईएसआर की बेटी को कांग्रेस अध्यक्ष और चुनाव का चेहरा बनाने के पीछे की रणनीति यही है.

चारों ओर से घिर गए हैं जगन मोहन रेड्डी 

खानदानी गढ़ कडप्पा पर शर्मिला का चैलेंज और पूरे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के साथ-साथ टीडीपी-बीजेपी अलायंस का चैलेंज जगन मोहन रेड्डी के लिए आगामी चुनाव में बड़ी मुश्किल पैदा कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के ओपिनियन पोल के इशारे भी उनके लिए पॉजिटिव नहीं हैं. लोक पोल के लेटेस्ट ओपिनियन पोल में अनुमान है कि, लोकसभा चुनाव में YSRCP की वापसी मुश्किल है. बहुत अच्छा किया तब भी लोकसभा की 25 सीटों में से 10-11 सीटें मिल सकती है. इस बार अनुमान ये है कि, चंद्रबाबू नायडू बीजेपी को लेकर जोरदार वापसी कर सकते हैं. टीडीपी-बीजेपी-जनसेना यानी NDA की प्रदेश में 13 से 15 सीटें जीत सकती है. वैसे पिछले चुनाव की बात करें तो 2019 में YSRCP ने प्रदेश की 25 सीटों में से 22 सीटें जीत ली थी यानी एकतरफा कब्जा रहा.

कडप्पा सीट का इतिहास भी जान लीजिए 

वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के बड़े नेता रहे. आंध्र प्रदेश के सीएम रहे. कडप्पा से उन्होंने बिना हारे कुल 9 चुनाव जीते. 1989 से चार बार कडप्पा से लोकसभा के सांसद चुने गए. 5 बार कडप्पा की विधानसभा सीट पुलिवेंदुला से विधायक का चुनाव जीते. मुख्यमंत्री बनना था इसलिए लोकसभा सीट अपने भाई विवेकानंद रेड्डी को दे दी.  विवेकानंद भी कडप्पा से 1999 और 2004 में चुनाव जीते. 2009 में वाईएसआर के बेटे जगन रेड्डी ने कडप्पा से चुनाव लड़ना शुरू किया. दो बार वो भी जीते. आंध्र की राजनीति के लिए उन्होंने भी संसद की राजनीति छोड़ दी. जगन चाहते तो बहन रेड्डी या मां को चुनाव लड़ने के लिए कह सकते थे लेकिन उन्होंने चचेरे भाई अविनाश रेड्डी को सीट सौंपी. कुल मिलाकर 1989 से लेकर आज तक कड़प्पा की सीट पर वाईएसआर के परिवार के अलावा कोई जीत नहीं सका. 

आंध्र प्रदेश में भी भाई जगन और बहन शर्मिला रेड्डी की लड़ाई हो रही है. कडप्पा में शर्मिला के आने से भी लड़ाई भाई-बहन के बीच फाइनल हो गई है. अविनाश रेड्डी शर्मिला रेड्डी के भी चचेरे भाई हैं और मौजूदा सांसद हैं. टीडीपी से भूपेश रेड्डी एनडीए के उम्मीदवार होंगे. बीजेपी कडप्पा सीट मांग रही थी लेकिन बीजेपी के कारण मुस्लिम वोटों के इधर-उधर होने के डर से चंद्रबाबू ने कोई रिस्क नहीं लिया. 

वाईएसआर को गए 15 साल हो गए लेकिन आंध्र प्रदेश के चुनावों में एक फैक्टर वाईएसआर से जुड़ा सेंटीमेंट भी होता है. जिसके साथ सेंटीमेंट उसी जीत पक्की. जगन मोहन रेड्डी ने इसका खूब फायदा उठाया. अब शर्मिला रेड्डी ने कडप्पा से चुनाव लड़ने का फाइनल करके आधी विरासत पर दावा ठोंक दिया है. 

कांग्रेस में आते ही शर्मिला रेड्डी ने ठोका कडप्पा पर दावा 

कांग्रेस में आने और आंध्र कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद शर्मिला रेड्डी सबसे पहले कडप्पा पहुंची थी. उसी समय से अटकलें थी कि शर्मिला रेड्डी की राजनीतिक पारी कडप्पा से शुरू होगी. जगन मोहन ने भी कडप्पा से रिश्ता कमजोर होने नहीं दिया. सरकार बनने पर पिता के नाम पर कडप्पा जिले का नाम YSR रख दिया. जिला वाईएसआर है जिसकी लोकसभा सीट है कडप्पा. YSRCP के 175 विधानसभा और 25 लोकसभा उम्मीदवारों का एलान करने के लिए भी जगन मोहन ने पिता की समाधि को चुना था. 

कडप्पा की विरासत की लड़ाई में खून-खराबा भी हुआ. 2019 के चुनाव से ठीक पहले कडप्पा के पूर्व सांसद विवेकानंद रेड्डी की हत्या हुई थी. आरोप लगाया जाता है कि विवेकानंद कडप्पा सीट अविनाश रेड्डी देने के खिलाफ थे. शर्मिला रेड्डी या वाईएसआर की पत्नी विजयम्मा को देने पर अड़ गए थे. उसी दौरान विवेकानंद रेड्डी की हत्या हुई जिसकी जांच आज भी सीबीआई कर रही है. केस में अविनाश रेड्डी और उनके पिता भास्कर रेड्डी आरोपी हैं और शर्मिला रेड्डी गवाह. विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता इंसाफ की लड़ाई लड़ रही हैं जिसमें शर्मिला साथ दे रही हैं.
 

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