North vs South: तेलंगाना में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने 10 साल से सत्ता में रहे के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (BRS) को हरा दिया है. कांग्रेस के रेवंत रेड्डी अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री बनेंगे. इस बीच देश की राजनीति में दक्षिण भारत बनाम उत्तर भारत की एक बहस फिर से शुरू हो गई है. वैसे तो यह कोई नई बहस नहीं है लेकिन कुछेक वजहें रहीं, जिनसे इस पूरे विवाद को हालिया ट्रिगर मिला है. तेलंगाना के नतीजों के तुरंत बाद 3 दिसंबर को इंडियन प्रोफेशनल कांग्रेस के चीफ प्रवीण चक्रवर्ती ने ट्वीट किया कि दक्षिण-उत्तर की बाउंड्री लाइन बड़ी और साफ होती जा रही है. बाद में विवाद हुआ तो उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर लिया. तमिलनाडु के शिवगंगा से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी ट्वीट किया, ‘The South’. बाद में जब उनसे पूछा गया कि क्या यह दक्षिण बनाम उत्तर है? तो उन्होंने कहा कि वह ऐसा कुछ नहीं कहना चाहते हैं. वह एक कदम आगे बढ़कर बोले कि यह ट्वीट किसी आर्टिस्ट के आर्ट की तरह है और लोग अपनी व्याख्या करने के लिए स्वतंत्र हैं.
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बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार एस ने संसद में कह दिया कि, ‘बीजेपी की ताकत केवल हिंदी पट्टी के राज्यों में चुनाव जीतना है. जिन्हें हम आमतौर पर गौमूत्र राज्य भी कहते हैं. आप दक्षिण भारत में नहीं जीत सकते हैं.’ वैसे बाद में उन्होंने भी अपने इस बयान के लिए माफी मांगी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुख्यंत्री एमके स्टालिन ने उन्हें फटकार भी लगाई. फिलहाल तेलंगाना के नए सीएम बनने जा रहे रेवंत रेड्डी का भी एक पुराना बयान वायरल हो रहा है.
यह बयान 8 नवंबर के इंडिया टुडे के राउन्डटेबल कार्यक्रम का है. एंकर के सवाल की आपका DNA क्या है? पर रेवंत रेड्डी ये बोलते हुए नजर आ रहे हैं कि, ‘उनका DNA तेलंगाना का है. वहीं मुख्यमंत्री केसीआर का DNA बिहार का है. वो बिहारी कुर्मी जाति के हैं जो विजयनगर साम्राज्य के समय माइग्रेट होकर आंध्रा आ गए थे. रेवंत आगे कहते हैं कि तेलंगाना DNA, बिहार DNA से बेहतर है.’
अब बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है. बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने वीडियो पोस्ट कर लिखा है कि कांग्रेस के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मिलिए, जो सोचते हैं कि केसीआर घटिया डीएनए वाले हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि वे बिहार के कुर्मी हैं, जो तेलंगाना जा कर बस गए. मालवीय ने बिहार सीएम नीतीश कुमार जो कुर्मी हैं और INDIA अलायंस का हिस्सा हैं उनसे सवाल किया है कि उन्हें कांग्रेस से यह स्पष्ट करने के लिए कहना चाहिए कि क्या पार्टी को ऐसा लगता है कि उनका डीएनए घटिया है?
पीएम मोदी भी नॉर्थ vs साउथ मुद्दे पर विपक्ष पर कस चुके हैं तंज
पीएम मोदी ने मंगलवार को विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया था. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘वे अपने अहंकार, झूठ,निराशावाद और अज्ञानता से खुश रहें. लेकिन उनके विभाजनकारी एजेंडे से सावधान रहना चाहिए ये उनकी 70 साल पुरानी आदत है जो इतनी आसानी से नहीं जा सकती. उन्होंने आगे लिखा कि जनता इतनी बुद्धिमान है कि उन्हें आगे और मेल्टडाउन यानी गिरावट का इंतजार करना होगा.’
क्या है ये दक्षिण बनाम उत्तर विवाद?
इस साल बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता कांग्रेस के हाथों गवानी पड़ी थी. फिर कांग्रेस ने तेलंगाना भी जीत लिया, जबकि चुनाव से कुछ महीने पहले तक बीआरएस के खिलाफ बीजेपी को ही मुख्य विपक्ष समझा जा रहा था.दक्षिण भारत के किसी राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं है. तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. केरल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट)- CPI(M) की सरकार है. आंध्र प्रदेश में युवाजना श्रामिका रैतु कांग्रेस पार्टी (YSR कांग्रेस) की सरकार है. कर्नाटक के संग अब तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है.
वहीं उत्तर भारत की बात करें, तो हिंदी पट्टी के लगभग सभी राज्यों में बीजेपी की या तो सरकार है या हालिया चुनावों में उसे प्रचंड जीत मिली है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे प्रदेश इसका उदाहरण हैं. इसको दक्षिण भारत बनाम उत्तर भारत की सियासत के तौर पर परिभाषित किया जाता रहा है.
क्या यह कोई नया ट्रेंड है?
ऐसा नहीं है. दक्षिण भारत और उत्तर भारत की सियासत में एक फर्क लंबे समय से देखा जाता रहा है. 1977 में जब जनता पार्टी के प्रयोग ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को सत्ता से हटाया था तब भी कांग्रेस हिंदी पट्टी के राज्यों में बुरी तरह हारने के बावजूद दक्षिण भारत में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश (संयुक्त आंध्र प्रदेश), केरल जैसे राज्यों में अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही. यहां ये बात भी दर्ज करना जरूरी है कि देश में जब कांग्रेस का एकक्षत्र राज हुआ करता था, तो 1967 में मद्रास (अब तमिलनाडु) ही वह राज्य है, जहां पहली गैर कांग्रेस सरकार बनी थी. तब डीएमके ने यहां कांग्रेस को हराया था.
2014 के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने देश की राजनीति को बदल कर रख दिया. 2014 और 2019 लगातार दो आम चुनावों में बीजेपी को अभूतपूर्व जनादेश मिला. इसके बावजूद बीजेपी दक्षिण भारत के राज्यों में उस तरह की सफलता हासिल नहीं कर पाई जैसी उसे उत्तर भारत के राज्यों या पूर्वोत्तर में मिली.
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