Kisan Protest: किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर मशहूर पहलवान विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध स्थल पर पहुंचीं और अपने समर्थन किया. इस दौरान किसानों ने विनेश फोगाट का स्वागत किया. विनेश ने धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों के संघर्ष की तारीफ की और उनकी स्थिति को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की.
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विनेश ने किया किसानों का समर्थन
विनेश फोगाट ने शंभू बॉर्डर पर किसानों के साथ समय बिताया और उनके आंदोलन की सख्त चुनौतियों का सामना करते हुए उनके साथ खड़ी हुईं. उन्होंने कहा, "यह देखकर दुख होता है कि इन्हें यहां बैठे हुए 200 दिन हो गए हैं. वे सभी इस देश के नागरिक हैं, और किसान इस देश की रीढ़ हैं. उनके बिना कुछ भी संभव नहीं है, यहां तक कि एथलीट भी नहीं. अगर किसान हमें खाना नहीं देंगे, तो हम प्रतियोगिता में हिस्सा भी नहीं ले पाएंगे."
विनेश फोगाट ने कहा कि वे देश के लिए बड़े स्तर पर प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन जब अपने परिवार और किसानों को संघर्ष करते देखती हैं, तो कुछ भी नहीं कर पाने की पीड़ा होती है.
सरकार से अपील
विनेश ने सरकार से किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा करने की अपील की. उन्होंने कहा, सरकार को अपनी पिछली गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और जो वादे उन्होंने किए थे, उन्हें पूरा करना चाहिए.
किसान आंदोलन का महत्व
विनेश फोगाट के इस कदम ने एक बार फिर किसानों के आंदोलन को देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है. उनकी मौजूदगी ने इस आंदोलन को और भी मजबूती दी है और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह किसानों की मांगों पर ध्यान दे और उनके साथ न्याय करे.
शंभू बॉर्डर पर अब भी डटे हैं 400 किसान
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के विभिन्न हिस्सों से करीब 400 किसान अब भी शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. हालांकि, ज्यादातर किसान चावल की रोपाई के बाद अपने खेतों में वापस लौट गए हैं, लेकिन ये 400 किसान अभी भी धरना स्थल पर मौजूद हैं. पांच महीने से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अब तक 24 से अधिक किसानों की जान जा चुकी है. किसान यूनियनों ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि वे अपना मार्च कब दोबारा शुरू करेंगे.
किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
शंभू बॉर्डर पर चल रहे इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) कर रहे हैं. किसानों ने तीन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर पहले शंभू रेलवे स्टेशन को जाम किया था, लेकिन एक महीने बाद इसे खाली करा लिया गया. किसान यूनियनों की प्रमुख मांगों में दो दर्जन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन और कर्ज माफी शामिल हैं.
किसानों के इस संघर्ष को अब पूरे पांच महीने हो चुके हैं, और वे अभी भी अपनी मांगों के लिए डटे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगे.
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