2009 से लेकर 2019 के बीच ऐसा क्या हुआ की हारती गई कांग्रेस? जवाब इन आंकड़ों में छिपा है

देवराज गौर

• 12:41 PM • 09 Dec 2023

पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीट पार का नारा दिया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराकर बीजेपी ने दावा किया है की देश में सिर्फ ‘मोदी की गारंटी’ चल रही है.

Rahul Gandhi and Mallikarjuna Kharge

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News Tak: पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीट पार का नारा दिया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराकर बीजेपी ने दावा किया है की देश में सिर्फ ‘मोदी की गारंटी’ चल रही है. 2014 और 2019 का चुनाव मोदी लहर में जीतने के बाद बीजेपी 2024 में भी ब्रांड मोदी के सहारे है.

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इन पिछले चुनावी सालों में ऐसा क्या हुआ है की कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है? राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे एक ठोस वजह बता रहे हैं. तर्क यह है की नए वोटर्स जोड़ने के मामले बीजेपी की तुलना में कांग्रेस कुछ ज्यादा ही पिछड़ गई. आइए इसे समझते हैं.

इस बात को समझने के लिए हम 2004 से लेकर 2019 तक की इन दोनों दलों की सियासी यात्रा पर एक नजर डालते हैं.

साल 2004 के लोकसभा चुनावों में कुल रजिस्टर्ड मतदाता 67.14 करोड़ थे. उनमें से 38.99 करोड़ लोगों ने वोट किया. जिसमें कांग्रेस को 10.34 करोड़ वोट मिले. तो बीजेपी को 8.63 करोड़ वोट मिले. तब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) बनाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई.

साल 2009 के लोकसभा चुनावों को देखें तो 71.69 करोड़ कुल मतदाता रजिस्टर्ड थे. जिसमें से 41.73 करोड़ लोगों ने मतदान किया. जिसमें से कांग्रेस को 11.91 करोड़ तो बीजेपी को 7.84 करोड़ वोट मिले. तब दोबारा कांग्रेस ने यूपीए गठबंधन में सरकार बनाई. कांग्रेस पिछले चुनाव की तुलना में इस बार अपना वोटर बेस 1.57 करोड़ मतदाताओं का इजाफा कर पाई. वहीं बीजेपी का वोट करीब 79 लाख घट ही गया.

2014 से बदल गई पूरी तस्वीर

साल 2014 में कुल मतदाताओं की संख्या 83.40 करोड़ थी. जिसमें से 55.41 करोड़ मतदाताओं ने वोट किया. जिसमें बीजेपी को 17.16 करोड़ तो कांग्रेस ने 10.69 करोड़ वोट हासिल किए. यानी बीजेपी ने अपने वोट में 9.32 करोड़ मतदाता ऐड किए. जबकि कांग्रेस के 1.22 करोड़ मतदाता घट गए.

यही ट्रेंड 2019 के चुनाव में भी देखने को मिला. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 91.19 करोड़ थी. जिसमें से 61.46 करोड़ लोगों ने मतदान किया. बीजेपी को 22.90 करोड़ तो कांग्रेस को 11.94 करोड़ वोट मिले. पिछले चुनाव से बीजेपी ने 5.74 करोड़ अधिक वोटर जोड़े. कांग्रेस के लिए भी यह आंकड़ा बढ़ा पर उतना नहीं. कांग्रेस के 1.25 करोड़ वोटर बढ़े.

2004 से 2019 के बीच इन 15 सालों में बीजेपी और कांग्रेस के वोटर के बीच के अंतर को आप देखेंगे कि कैसे बीजेपी का वोटर बढ़ा है और कांग्रेस अपने वोटर बेस को बढ़ाने में असमर्थ रही है.

कांग्रेस को 2004 में 10.34 करोड़ वोट मिले थे. जो 2019 में बढ़कर 11.94 करोड़ हुए. यानी 15 सालों में कांग्रेस सिर्फ 1.6 करोड़ नए वोटर्स को ही अपने साथ जोड़ पाई.

2004 में बीजेपी को जहां 8.63 करोड़ वोट मिला था जो 2019 में बढ़कर 22.90 करोड़ पहुंच गया. यानी करीब 14.27 करोड़ वोटर्स की बढ़ोतरी हुई. बीजेपी के वोटर बेस में अपने कोर मतदाता से भी ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली.

ऐसा माना जाता है कि ब्रांड मोदी ने पहले मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया. इसके बाद मोदी सरकार ने लाभार्थी फैक्टर पर काम किया. सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रहे लोगों के साथ न सिर्फ कनेक्ट को बढ़ाया, बल्कि लाभार्थियों के बेस को भी विस्तार दिया. अब कांग्रेस के सामने यही चुनौती 2024 के चुनाव में है की क्या वह बीजेपी के मुकाबले के लिए नए मतदाताओं को खुद के साथ जोड़ पाएगी या नहीं.

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