क्या है रोहिणी आयोग और क्यों हो रही है इसकी चर्चा? जानें इसकी पूरी डिटेल

देवराज गौर

04 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 5 2023 5:44 AM)

रोहिणी आयोग न्यूजः बिहार में नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर राज्य और देश की सियासत मे बड़ा दांव खेल…

बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत सर्वे के आंकड़े

बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत सर्वे के आंकड़े

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रोहिणी आयोग न्यूजः बिहार में नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर राज्य और देश की सियासत मे बड़ा दांव खेल दिया है. हालांकि, राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक बीजेपी के तरकश में अभी एक तीर बाकी है. कुछ तो उसे ब्रह्मास्र तक बता रहे हैं. तरकश का वो तीर है रोहिणी आयोग की रिपोर्ट. आइए जानते हैं उस रिपोर्ट की पूरी डिटेल…

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ओबीसी के उप-वर्गीकरण को लेकर इस आयोग का गठन किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि ओबीसी के भीतर जितनी भी जातियां हैं, उन्हें समान रूप से आरक्षण का लाभ मिल रहा है या नहीं?

2017 में हुआ था इस आयोग का गठन

रोहिणी आयोग का गठन 2 अक्टूबर 2017 को किया गया था. इस चार सदस्यीय आयोग की अध्यक्ष हाईकोर्ट की रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी को नियुक्त किया गया था. 14 बार समय सीमा की मियाद बढ़ने के बाद आखिरकार इसी साल 31 जुलाई को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी.

यह रिपोर्ट राजनीतिक रूप से भी बहुत संवेदनशील मानी जा रही है, जो आने वाले लोकसभा चुनावों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती है. हालांकि रिपोर्ट के नतीजों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.

OBC आरक्षण में कोटा के भीतर कोटा का तर्क

ओबीसी समुदाय को सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश वगैरह में 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता है. ओबीसी की केंद्रीय सूची में 2600 से भी ज्यादा जातियां शामिल हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर आरक्षण का लाभ कुछ गिनी-चुनी प्रभावशाली जातियों के लोगों को ही मिलता है. बाकी जातियां इसके लाभों से आंशिक या पूरी तरह से वंचित रह जाती हैं. इसलिए यह तर्क दिया जाता है कि ओबीसी के भीतर जातियों का सब-कैटेगराइजेशन (उप-वर्गीकरण) होना चाहिए. ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण के भीतर कोटा के अंदर कोटा का प्रावधान होना चाहिए.

इस आयोग का गठन करते समय तर्क दिया गया कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण के समान वितरण की पहल की जा रही है.

आयोग के तीन लक्ष्य

पहला… इस कमीशन का पहला काम यह पता लगाना था कि ओबीसी की केंद्रीय सूची के भीतर जितनी भी जातियां हैं उनमें किस जाति को आरक्षण का कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही ये भी पता करना था कि किन जातियों को बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल रहा.

दूसरा… साइंटिफिक अप्रोच के साथ ओबीसी की जातियों के सब-कैटेगराइजेशन के लिए एक फॉर्मूला तैयार करना.

तीसरा…ओबीसी के अंदर किस जाति को किस कैटेगरी के अंदर डालना चाहिए.

आयोग के सर्वे में सामने आई ये बातें

कमीशन ने अपने सर्वे में पाया कि 97 फीसदी सरकारी नौकरियां और शैक्षणिक संस्थाओं में जो सीटें हैं, उनपर केवल 25 फीसदी प्रभावशाली ओबीसी जातियों का ही कब्जा है. सर्वे में ये भी सामने आया कि ओबीसी की केंद्रीय सूची में 2600 से अधिक जातियां हैं, उनमें 24.95 फीसदी नौकिरियों में केवल 10 प्रभावशाली जातियों का ही कब्जा है. सर्वे में ये बात भी सामने आई कि 37 फीसदी ओबीसी जातियों यानी 983 समुदाय ऐसे हैं, जिनकी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में शून्य हिस्सेदारी है. साथ ही 994 जातियों का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में सिर्फ 2.68 फीसदी प्रतिनिधित्व है.

आयोग ने दिए ये सुझाव

रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने अभी सार्वजनिक नहीं किया है. हालांकि, सूत्रों के हवाले से आयोग ने कुछ सुझाव दिए हैं. इसके तहत ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को तीन स्तर पर वर्गीकृत करने की बात की गई है. आरक्षण से अभी तक पूरी तरह से वंचित रहीं उन जातियों को 10 फीसद आरक्षण और बकाया 17 फीसदी को भी दो श्रेणियों में बांटा गया है. वहीं ओबीसी में शमिल सभी जातियों को चार कटेगरी में बांटने की बात कही गई है. इसके तहत कम लाभ पाने वाली जातियों से लेकर ज्यादा लाभ पाने वाली जातियों के बीच चार कटेगरी में 10, 9, 6, 2 फीसदी तक आरक्षण देने की बात कही गई है.

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