Anupriya Patel: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से हासिल नहीं कर पाई लेकिन फिर भी सरकार एनडीए की बनी. विपक्ष में राहुल गांधी ही बैठे. वैसे तो सब पहले जैसा रहा लेकिन माहौल ये बना कि सरकार में बैठकर भी बीजेपी सदमे में है. विपक्ष में होकर भी इंडिया ब्लॉक वाले पार्टी मूड में हैं. चुनाव बाद बीजेपी में दिल्ली से लखनऊ तक खलबली मची है. सबसे बड़ी हार यूपी में हुई जहां 80 में से 80 सीटें जीतने का इरादा था लेकिन मिली सिर्फ 33. एक्स्ट्रा कुछ मिला नहीं, जो था वो भी हाथ से चला गया.
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बीजेपी पर क्या बोलीं अनुप्रिया?
बीजेपी की पार्टनर अपना दल सोनोवाल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल पहली बार यूपी की हार-जीत पर बोली हैं. हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में अनुप्रिया पटेल ने चौंकाने वाला बयान दिया कि विपक्ष के संविधान बदलने वाले नैरेटिव से नुकसान हुआ. अनुप्रिया पटेल ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया लेकिन जो कहा उसका इशारा यही कि राहुल ने 400 सीट वाले नारे में से जो बात पकड़ी उससे बीजेपी का दिल्ली से लखनऊ तक भारी नुकसान हुआ.
सीएम योगी को लेकर कड़े तेवर
लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ-साथ अनुप्रिया पटेल को भी झटका लगा है. अनुप्रिया मिर्जापुर से अपना चुनाव कम अंतर से जीत पाईं. रॉबर्ट्सगंज पर हार हुई. एनडीए पार्टनर के भरोसे चल रही मोदी सरकार में अनुप्रिया पटेल फिर से राज्यमंत्री बन गई हैं. अब उनका मूड जरा बदला-बदला लग रहा है. चुनाव तक योगी-योगी करती रहीं अनुप्रिया पटेल अब उनकी बैठक में नहीं जा रहीं.
यूपी में बीजेपी के प्रदर्शन के लिए जबर्दस्त रिव्यू बैठकें चल रही हैं. पार्टी वाली बैठक बीएल संतोष ले रहे हैं. सीएम योगी भी पैरेरल रिव्यू कर रहे हैं. योगी ने मंडल स्तर पर रिव्यू की बैठक बुलाई. अनुप्रिया पटेल को भी बुलाया लेकिन न खुद गईं न उनके पति आशीष पटेल गए. आशीष पटेल यूपी सरकार में मंत्री होकर भी सीएम की बैठक से गायब रहे.
इससे पहले चुनाव नतीजे आने के बाद अनुप्रिया पटेल ने सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि आरक्षित पदों को अनारक्षित किए जाने की व्यवस्था पर रोक लगे. साक्षात्कार के आधार पर होने वाली भर्तियों में पिछड़ों और एससी-एसटी वर्ग की भर्ती नहीं करने का भी आरोप लगाया था.
'संविधान बदलने की अफवाह फैलाई'
लोकसभा चुनाव पर हिंदुस्तान टाइम्स से अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यूपी में नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे. शुरुआत में सब कुछ ठीक-ठाक था, लोग केंद्र सरकार के काम से खुश थे. तीसरे चरण के बाद सातवें चरण तक गड़बड़ी के संकेत मिलने लगे थे. विपक्ष ने संविधान बदलने की जो अफवाह फैलाई, उसका उसे काफी फायदा मिला. ये सब बातें वायरल होती रहीं और विपक्ष को मौका मिल गया क्योंकि उनके पास और कुछ नहीं था. ये एक बड़ी अफवाह थी और समय के साथ-साथ और बड़ी होती चली गई. हम चुनाव के अंतिम चरण की ओर बढ़ रहे थे. चुनाव भी लंबा खिंच गया था. इसलिए इसे और समय मिल गया और इससे काफी फर्क पड़ा.
बीजेपी के नेताओं ने ज्योति मिर्धा, अनंत हेगड़े ने डंके की चोट पर ये दावे किए थे कि 400 सीट चाहिए संविधान बदलने के लिए. रैलियों, भाषणों में ऐसे भाषण दिए जाते हैं लेकिन ये इसे पकड़ लिया राहुल गांधी ने. राहुल गांधी चुनाव में संविधान की किताब लेकर घूमने लगे. चुनाव बाद भी उन्होंने संविधान की उस लाल किताब को नहीं छोड़ा. राहुल गांधी ने नारा बना दिया कि संविधान बचाना है वरना बीजेपी आएगी तो संविधान बदल देगी. संविधान बदल देगी तो दलितों, पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण खत्म हो जाएगा.
अनुप्रिया पटेल की बात यहां तक तो ठीक है कि चुनावों में जनता के मोदी के नेतृत्व और एनडीए पर भरोसा कायम रखा लेकिन अनुप्रिया की संविधान बदलने वाली बात को बीजेपी को नुकसान की बड़ी वजह माना जा रहा है.
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