एक वक्त में थे इंदिरा के सिक्योरिटी इंचार्ज, अब बनेंगे मिजोरम के CM! कहानी लालदुहोमा की

देवराज गौर

• 10:24 AM • 04 Dec 2023

मिजोरम में सत्तारूढ़ दल मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को बहुमत से अधिक सीटें मिल चुकी हैं. मिजोरम की 40 सीटों वाली विधानसभा में अब तक ZPM 27 और MNF 10 सीटें जीत चुकी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2 और कांग्रेस को 1 सीट मिली है.

लालदुहोमा बन सकते हैं मिजोरम के मुख्यमंत्री, zpm को मिली सबसे ज्यादा सीटें

लालदुहोमा बन सकते हैं मिजोरम के मुख्यमंत्री, zpm को मिली सबसे ज्यादा सीटें

follow google news

Who is Lalduhoma: पांच राज्यों के चुनावों में से चार राज्यों के नतीजे 3 नवंबर को आ गए हैं. आज मिजोरम को लेकर चुनावी नतीजे आने शुरू हो गए हैं. मिजोरम में सत्तारूढ़ दल मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को बहुमत से अधिक सीटें मिल चुकी हैं. मिजोरम की 40 सीटों वाली विधानसभा में अब तक ZPM 27 और MNF 10 सीटें जीत चुकी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2 और कांग्रेस को 1 सीट मिली है. ZPM के अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा के मुख्यमंत्री बनने चर्चा है. आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं लालदुहोमा और ZPM की क्या है कहानी.

यह भी पढ़ें...

लालदुहोमा कौन है जो मिजोरम में ZPM के मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं

74 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा मिजोरम की राजनीति में एक अहम चेहरे के रूप में उभरे हैं. उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) इस बार चुनावों में मैदान में थी. तीन साल पहले बनी इनकी पार्टी मिजोरम में गेमचेंजर बन गई है. 1977 में सिविल सेवा परीक्षा निकाल आईपीएस बने. पहली पोस्टिंग गोवा में हुई.

वहां उनके काम से प्रभावित हो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपनी सिक्योरिटी का इंचार्ज बना दिया. वह वो समय था जब मिजोरम में अलगाववादी आंदोलन चरम पर था. मिजो नेता लालडेंगा मिजोरम को भारत से अलग करने की जिद पर अड़े थे. तब इंदिरा गांधी ने लालदुहोमा को ही लालडेंगा से बातचीत कर रास्ता निकालने के लिए भेजा.

लालदुहोमा और लालडेंगा की मुलाकात लंदन में हुई. लालदुहोमा ने न सिर्फ लालडेंगा को मनाया बल्कि कांग्रेस की तारीफ में लालडेंगा ने कसीदे भी पढ़े. लालडेंगा का मिजो नेशनल फ्रंट एक अलगाववादी गुट से एक राजनैतिक पार्टी बना और लाल डेंगा मिजोरम के पहले मुख्यमंत्री बने. लालदुहोमा के काम को देखते हुए इंदिरा ने 31 मई 1984 को उन्हें मिजोरम का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया.

लालदुहोमा ने 2017 में बनाई जोरम पीपुल्स मूवमेंट

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद चली सहानुभूति लहर में लालदुहोमा पहली बार सांसद बने. पर 2 साल बाद ही उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. दल-बदल कानून के तहत उन्हें डिस्क्वॉलिफाई कर दिया गया. भारतीय संसदीय इतिहास में इस कानून के तहत डिस्क्वॉलिफाई होने वाले वह पहले सांसद बने. उसके बाद साल 1997 में लालदुहोमा ने जोरम नेशनलिस्ट पार्टी का गठन किया. जिसके तहत उन्होंने मिजोरम की जनता के हितों की लड़ाई जारी रखा.

इसके बाद साल 2017 में लालदुहोमा ने कई गठबंधनों के साथ मिलकर सेक्युलर विचारधारा को आगे बढ़ाने, अल्पसंख्यकों हितों और सामाजिक मुद्दों को केंद्र में रखकर एक ग्रुप जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) को स्थापना की. जिसमें 6 अलग-अलग ग्रुप मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जोरम नेशनल पार्टी, जोरम एक्सोडस मूवमेंट, जोरम डीसेंट्रलाइजेशन फ्रंट, जोरम रीफॉर्मेशन फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स पार्टी शामिल हुए.

लेकिन, 2018 के चुनावों में जब इस ग्रुप के लीडर्स ने चुनाव लड़ने की ठानी तो इस इस ग्रुप में सबसे बड़े दल मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने इस गठबंधन को छोड़ दिया. कुछ समय बाद 2 और दलों ने इसका साथ छोड़ दिया.

चुनाव आयोग ने पार्टी को मान्यता नहीं दी, तो निर्दलीय लड़े, बाद में गई सदस्यता

साल 2018 में जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने लालदुहोमा को अपना सीएम कैंडिडेट घोषित किया. लेकिन तब इस पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिलने के कारण लालदुहोमा निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते. 2019 में जोरम पीपुल्स मूवमेंट को चुनाव आयोग ने एक पार्टी की मान्यती दी. लालदुहोमा इस पार्टी के प्रमुख और नेता प्रतिपक्ष चुने गए.

लेकिन 27 नवंबर 2020 को उनकी सदस्यता एक बार फिर चली गई. क्योंकि वह चुनाव निर्दलीय जीते थे और बाद में उन्होंने किसी पार्टी की सदस्यती ले ली थी. उपचुनावों में सेरछिप सीट से दोबारा जीतकर लालदुहोमा विधानसभा पहुंचे. 33 साल की उम्र में मिजोरम से सांसद बने लालदुहोमा अब पहली बार 2023 में मिजोरम के मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

    follow google newsfollow whatsapp